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अररिया: मक्का किसानों को हो रही परेशानी, प्रिंट से ज्यादा दाम पर कर रहे बीजों की खरीदारी

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Published : Dec 8, 2019, 10:15 AM IST

खुदरा मक्का बीज विक्रेता ने बताया कि यहां कई तरह के मक्के का बीज है उसके अलग अलग दाम है. जो प्रिंट रेट है उतने में ही बेचते हैं जो जिलाधिकारी ने मूल्य तय कर रखा है. उन्होंने यह भी बताया कि 12 महीने इसकी खेती की जाती है.

maize farmers
maize farmers

अररिया: जिले के किसानों को मक्का बीज का कोई सरकारी दाम फिक्स नहीं होने के कारण किसानों को प्रिंट मूल्य से ड़ेढ गुना ज़्यादा मूल्य पर मक्का खरीदना पड़ रहा है. जिससे उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दुकानदारों का कहना है कि कई तरह के मक्के का बीज हैं उसके अलग अलग दाम हैं. इसका जिलाधिकारी ने मूल्य तय कर रखा है. वहीं दाम लिया जाता है.

araria
मक्का किसानों को हो रही परेशानी

मक्के की खेती में मंहगाई
महंगाई का मार अब मक्का किसानों पर भी पड़ने लगा है, जिले में मक्के की खेती को लेकर किसान बहुत ज़्यादा परेशान और चिंतित हैं. किसान रंजीत कुमार ने बताया कि मक्के का बीज का दाम खुदरा बाज़ार में मनमर्जी दाम पर बिक रहा है. ये परेशानी इसलिए है कि यहां कि ज्यादातर किसान ऐसे हैं जो मक्का के अलावा किसी दूसरे चीज़ की खेती नहीं कर पाते हैं.

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मक्का के खेत

'दाम के अनुसार ही बेच रहे हैं बीज'
खुदरा मक्का बीज विक्रेता ने बताया कि यहां कई तरह के मक्के का बीज है उसके अलग अलग दाम है. जो प्रिंट रेट है उतने में ही बेचते हैं जो जिलाधिकारी ने मूल्य तय कर रखा है. उन्होंने यह भी बताया कि 12 महीने इसकी खेती की जाती है. लेकिन टेम्परेचर 6 डिग्री सी से नीचे ना हो और 32 डिग्री सी से ऊपर ना हो अन्यथा पोलीनेशन नहीं हो पाएगी.

प्रिंट से ज्यादा दाम देकर कर रहे बीजों की खरीदारी

किसानों ने नहीं की शिकायत
जिप अध्यक्ष अफताब अजीम ने बताया कि बीज को लेकर किसानों की ओर से कोई शिकायत अभी तक नहीं आई है. वहीं उन्होंने कहा कि वैसे किसानों को भी सचेत रहने की जरुरत है. लेकिन यदि कोई किसान इसकी शिकायत करता है तो कार्रवाई की जाएगी.

अररिया: जिले के किसानों को मक्का बीज का कोई सरकारी दाम फिक्स नहीं होने के कारण किसानों को प्रिंट मूल्य से ड़ेढ गुना ज़्यादा मूल्य पर मक्का खरीदना पड़ रहा है. जिससे उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दुकानदारों का कहना है कि कई तरह के मक्के का बीज हैं उसके अलग अलग दाम हैं. इसका जिलाधिकारी ने मूल्य तय कर रखा है. वहीं दाम लिया जाता है.

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मक्का किसानों को हो रही परेशानी

मक्के की खेती में मंहगाई
महंगाई का मार अब मक्का किसानों पर भी पड़ने लगा है, जिले में मक्के की खेती को लेकर किसान बहुत ज़्यादा परेशान और चिंतित हैं. किसान रंजीत कुमार ने बताया कि मक्के का बीज का दाम खुदरा बाज़ार में मनमर्जी दाम पर बिक रहा है. ये परेशानी इसलिए है कि यहां कि ज्यादातर किसान ऐसे हैं जो मक्का के अलावा किसी दूसरे चीज़ की खेती नहीं कर पाते हैं.

araria
मक्का के खेत

'दाम के अनुसार ही बेच रहे हैं बीज'
खुदरा मक्का बीज विक्रेता ने बताया कि यहां कई तरह के मक्के का बीज है उसके अलग अलग दाम है. जो प्रिंट रेट है उतने में ही बेचते हैं जो जिलाधिकारी ने मूल्य तय कर रखा है. उन्होंने यह भी बताया कि 12 महीने इसकी खेती की जाती है. लेकिन टेम्परेचर 6 डिग्री सी से नीचे ना हो और 32 डिग्री सी से ऊपर ना हो अन्यथा पोलीनेशन नहीं हो पाएगी.

प्रिंट से ज्यादा दाम देकर कर रहे बीजों की खरीदारी

किसानों ने नहीं की शिकायत
जिप अध्यक्ष अफताब अजीम ने बताया कि बीज को लेकर किसानों की ओर से कोई शिकायत अभी तक नहीं आई है. वहीं उन्होंने कहा कि वैसे किसानों को भी सचेत रहने की जरुरत है. लेकिन यदि कोई किसान इसकी शिकायत करता है तो कार्रवाई की जाएगी.

Intro:महंगाई की मार अब मक्का किसानों पर भी पड़ने लगा है, मक्का बीज खरीदने में किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, प्रिंट मूल्य से ड़ेढ गुना ज़्यादा मूल्य पर खुदरा बीज बिक्रेता दुकान पर बेच रहे हैं। सरकारी तौर पर मक्के का दुकानदारो के ज़रिए कोई फिक्स नहीं है जिस वजह से मनमाने ढंग से उसका व्यापार किया जा रहा है। हालांकि जिप अध्यक्ष ने बताया कि ऐसा कोई शिकायत किसान के ज़रिए हमें प्राप्त नहीं हुआ है आपके माध्यम से जानकारी मिल रहा है इसे हम ज़िलापदधिकारी को अवगत करा ब्लैक बेचने वालों पर करवाई की जाएगी।


Body:अररिया में मक्के की खेती को लेकर किसान बहुत ज़्यादा परेशान व चिंतित नज़र आ रहे हैं उन्होंने बताया कि मक्के के बीज का दाम खुदरा बाज़ार में अनाप शनाप बिक रहा है पर मक्का के अलावा किसी दूसरे चीज़ की खेती नहीं कर पाते हैं ज़्यादातर किसान मक्का का खेती करते हैं। हालांकि खुदरा मक्का बीज विक्रेता ने बताया कि यहां कई तरह के मक्के का बीज है उसके अलग अलग दाम है जो प्रिंट रेट है उतना में ही बेचते हैं जो ज़िला अधिकारी ने मूल्य तय कर रखा है। उन्होंने यह भी बताया कि बारह महीने इसका खेती किया जाता है पर टेम्परेचर 6℃ से नीचे न हो और 32℃ से ऊपर न हो अन्यथा पोलीनेशन नहीं हो पाएगा। अक्टूबर में जो मक्का लगाया जाता है उसे तैयार होने में 165 दिन लगता है और नवंबर से मार्च के बीच लगेगा वो 140 दिन में तैयार हो जाता है साथ ही उसके बाद मौसम में बदलाव आने के कारण फ़सल का छती ज़्यादा हो जाता है बाढ़ पानी के कारण। इस वक़्त मार्केट में जिस बीज का इस्तेमाल हो रहा है वो ज़्यादातर 22 और 55 सेगमेंट के मक्के का समय है इसमें लाइट और वेट कम होता है जिससे मॉइस्चराइजिंग कम होने के कारण सुखाना कम पड़ता है। जितना अधिक दिन की वराइटी होता है उत्पादन क्षमता ज़्यादा होता है पर आज बदलते मौसम के मिज़ाज़ को देखते हुए कम दिन वाला ही अच्छा होता है। वराइटी 7720 व 6607 बालरी सफ़ेद, पतला व दाना छोटा होता है। 9120 बलरी पतला, दाना वज़नदार, छोटा पौधा गिरता नहीं है और तेल का मात्रा ज्यादा होता है। 9081 बलरी सफ़ेद मोटा पर दाने का वज़न कम होता है जिससे तेज़ हवा में पौधा टूट जाता है क्योंकि लंबाई इसका ज़्यादा होता है। जो लोग अक्टूबर के महीने में इसे यूज़ किए हैं वही मक्का बड़ा हो चुका है और अब कटने के लायक हो गया है।


Conclusion:संबंधित विसुअल
बाइट किसान शर्ट
बाइट दुकानदार मोहम्मद इस्तियाक ब्लैक स्वेटर
बाइट जिप अध्यक्ष आफ़ताब अज़ीम बण्डी वाइट कुर्ता
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