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किसान आंदोलन के 2 वर्ष पूरे होने पर किसानों ने निकाली रैली, बोले- 'हमारी मांगे पूरी करे सरकार" - etv bharat news

अररिया में किसान मार्च निकाला (Kisan March Was Taken Out In Araria) गया. किसान आंदोलन के दो साल पूरे होने पर अररिया में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने किसान मार्च निकाला. किसानों ने कहा कि आज ही के दिन संविधान को हमने अपनाया था और आज ही दो साल पहले संविधान विरोधी तीन किसान पर बने कानून के विरोध में लाखों किसानों ने दिल्ली में प्रदर्शन शुरू किया था. इस आंदोलन के चलते सरकार को किसान कानून वापस लेना पड़ा था. लेकिन कई मांगों को अभी भी गवर्मेंट ने पूरी नहीं की है. पढे़ं पूरी खबर...

अररिया में किसान मार्च निकाला गया
अररिया में किसान मार्च निकाला गया
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Published : Nov 26, 2022, 9:19 PM IST

अररिया: किसान आंदोलन के दो वर्ष पूरे (Two Years Of Farmers Protest) होने पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (All India Kisan Sangharsh Coordination Committee) के आह्वान पर अररिया में बस स्टैंड से चांदनी चौक तक किसान मार्च निकाला गया. जिसमें खाद और कीटनाशक की किल्लत को दूर करने, धान खरीद में तेजी लाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कानून बनाने और लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से रौंद देने वाला केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे को गिरफ्तार करने की मांग की गई है.

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन पर आधारित पुस्तक का हुआ विमोचन, किसान नेता ने किया बड़ा खुलासा

किसान आंदोलन के 2 वर्ष पूरे : बता दें कि 1949 में 26 नवंबर को संविधान समिति ने देश का संविधान अपनाया था. इसीलिए इस दिन को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. किसानों ने कहा कि आज ही के दिन संविधान को हमने अपनाया था और आज ही दो साल पहले संविधान विरोधी तीन किसान पर बने कानून के विरोध में लाखों किसानों ने दिल्ली में प्रदर्शन शुरू किया था. इस आंदोलन के चलते सरकार को किसान कानून वापस लेना पड़ा था. रैली के माध्यम से मांग की गई कि जब तक किसानों के फसल का उचित दाम नहीं मिलता और ए एसपी पर कानून नहीं बनता, किसान चुप नहीं रहने वाले हैं. रैली के बाद जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को मांग पत्र भेजा गया है.

किसानों ने की MSP कानून बनाने की मांग : गौरतलब है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान आंदोलन (Farmers Protest) शुरू करने के दो साल पूरा हो गया है. इस मौके पर शनिवार यानी 26 नंवबर को किसान संघ देश भर के राजभवनों तक मार्च निकालें. कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दो साल पूरे होने के मौके पर किसान संघ (Farmers Union) देशभर में राजभवनों तक मार्च निकालें. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने कई मांगें पूरी नहीं की है. इसलिए इस मार्च के जरिए किसान विरोध दर्ज कराएंगे. किसान नेताओं ने दावा किया कि सरकार ने उन्हें लिखित में दिया था कि वह चर्चा करके फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून लाएगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया.

अररिया: किसान आंदोलन के दो वर्ष पूरे (Two Years Of Farmers Protest) होने पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (All India Kisan Sangharsh Coordination Committee) के आह्वान पर अररिया में बस स्टैंड से चांदनी चौक तक किसान मार्च निकाला गया. जिसमें खाद और कीटनाशक की किल्लत को दूर करने, धान खरीद में तेजी लाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर कानून बनाने और लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से रौंद देने वाला केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे को गिरफ्तार करने की मांग की गई है.

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किसान आंदोलन के 2 वर्ष पूरे : बता दें कि 1949 में 26 नवंबर को संविधान समिति ने देश का संविधान अपनाया था. इसीलिए इस दिन को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. किसानों ने कहा कि आज ही के दिन संविधान को हमने अपनाया था और आज ही दो साल पहले संविधान विरोधी तीन किसान पर बने कानून के विरोध में लाखों किसानों ने दिल्ली में प्रदर्शन शुरू किया था. इस आंदोलन के चलते सरकार को किसान कानून वापस लेना पड़ा था. रैली के माध्यम से मांग की गई कि जब तक किसानों के फसल का उचित दाम नहीं मिलता और ए एसपी पर कानून नहीं बनता, किसान चुप नहीं रहने वाले हैं. रैली के बाद जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को मांग पत्र भेजा गया है.

किसानों ने की MSP कानून बनाने की मांग : गौरतलब है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान आंदोलन (Farmers Protest) शुरू करने के दो साल पूरा हो गया है. इस मौके पर शनिवार यानी 26 नंवबर को किसान संघ देश भर के राजभवनों तक मार्च निकालें. कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दो साल पूरे होने के मौके पर किसान संघ (Farmers Union) देशभर में राजभवनों तक मार्च निकालें. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने कई मांगें पूरी नहीं की है. इसलिए इस मार्च के जरिए किसान विरोध दर्ज कराएंगे. किसान नेताओं ने दावा किया कि सरकार ने उन्हें लिखित में दिया था कि वह चर्चा करके फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून लाएगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया.

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