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अररिया: सावधान! मक्के की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं यह कीड़े

फॉल आर्मी वर्म को मक्का के महामारी के नाम से भी जाना जाता है. इसकी पुष्टि कराने के लिए मक्का किसान विजय मेहता पौधे में लग रहे कीड़े को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र पहुंचे. जिसे देख कर वैज्ञानिक हैरान रह गए.

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Published : Nov 6, 2019, 10:11 PM IST

मक्के की खेती को नुकसान पहुंचा रहे फॉल आर्मी कीड़े

अररिया: सीमांचल क्षेत्र में मक्के की पैदावार ज्यादा होती है. ऐसे में मक्का किसानों के लिए बुरी खबर है. जिले में फॉल आर्मी नामक कीड़े ने फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. जिसकी वजह से मक्का की खेती करने वाले किसान दहशत में हैं. जिले में 90 प्रतिशत मक्का की खेती की जाती है. यहां सबसे ज्यादा खेती पटुआ की होती थी. जिसमें किसानों को मेहनत ज्यादा और मुनाफा कम होने लगा था. जिसके बाद किसान उसे छोड़ मक्के की खेती में लग गए और लागत से डेढ़ गुना मुनाफा होने लगा.

'महामारी के नाम से भी जाना जाता है'
इस फसल को साल के नवंबर महीने से दिसंबर महीने तक लगाया जाता है. जिले में कुल 36 हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है. फॉल आर्मी वर्म को मक्का के महामारी के नाम से भी जाना जाता है. इसकी पुष्टि कराने के लिए मक्का किसान विजय मेहता कीड़ों को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र पहुंचे. जिसे देख कर वैज्ञानिक हैरान रह गए. आनन-फानन में कृषि पदाधिकारी ने कृषि वैज्ञानिक डॉ. वीके मिश्रा, डॉ. आफताब आलम और अन्य के नेतृत्व में टीम बनाई. इसके बाद मक्के को देखने पहुंचे.

पेश है रिपोर्ट

पांच साल पहले अमेरिका में पाया गया था
कृषि पदाधिकारी ने उसके बचाव के लिए स्पेनेटोरम 11.7 % प्रति 5 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने के लिए कहा है. इसके साथ ही क्लोरेन्ट्रानि लिप्रोयल 18.5 एससी 5 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने का निर्देश दिया गया है. थियामेथाकसम 12.6 प्रतिशत प्लस लेम्बडा साइहेलोथरीन 9.5% को 0.25 मिली मीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर बारी-बारी से छिड़काव करने को कहा गया है. बता दें कि आज से पांच साल पहले यह कीड़ा अमेरिका में पाया गया था. उसके बाद भारत के बैंगलोर, हैदराबाद, राजस्थान, ओडिसा और फिर बिहार के पूर्णिया और अररिया में इसका प्रकोप देखा जाने लगा.

अररिया: सीमांचल क्षेत्र में मक्के की पैदावार ज्यादा होती है. ऐसे में मक्का किसानों के लिए बुरी खबर है. जिले में फॉल आर्मी नामक कीड़े ने फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है. जिसकी वजह से मक्का की खेती करने वाले किसान दहशत में हैं. जिले में 90 प्रतिशत मक्का की खेती की जाती है. यहां सबसे ज्यादा खेती पटुआ की होती थी. जिसमें किसानों को मेहनत ज्यादा और मुनाफा कम होने लगा था. जिसके बाद किसान उसे छोड़ मक्के की खेती में लग गए और लागत से डेढ़ गुना मुनाफा होने लगा.

'महामारी के नाम से भी जाना जाता है'
इस फसल को साल के नवंबर महीने से दिसंबर महीने तक लगाया जाता है. जिले में कुल 36 हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है. फॉल आर्मी वर्म को मक्का के महामारी के नाम से भी जाना जाता है. इसकी पुष्टि कराने के लिए मक्का किसान विजय मेहता कीड़ों को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र पहुंचे. जिसे देख कर वैज्ञानिक हैरान रह गए. आनन-फानन में कृषि पदाधिकारी ने कृषि वैज्ञानिक डॉ. वीके मिश्रा, डॉ. आफताब आलम और अन्य के नेतृत्व में टीम बनाई. इसके बाद मक्के को देखने पहुंचे.

पेश है रिपोर्ट

पांच साल पहले अमेरिका में पाया गया था
कृषि पदाधिकारी ने उसके बचाव के लिए स्पेनेटोरम 11.7 % प्रति 5 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने के लिए कहा है. इसके साथ ही क्लोरेन्ट्रानि लिप्रोयल 18.5 एससी 5 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने का निर्देश दिया गया है. थियामेथाकसम 12.6 प्रतिशत प्लस लेम्बडा साइहेलोथरीन 9.5% को 0.25 मिली मीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर बारी-बारी से छिड़काव करने को कहा गया है. बता दें कि आज से पांच साल पहले यह कीड़ा अमेरिका में पाया गया था. उसके बाद भारत के बैंगलोर, हैदराबाद, राजस्थान, ओडिसा और फिर बिहार के पूर्णिया और अररिया में इसका प्रकोप देखा जाने लगा.

Intro:मक्का किसानों में दहशत फॉल आर्मी वार्म नामक कीड़े ने दिया दस्तक, कृषि विभाग देख हुआ अचंभित किसान चौपाल के माध्यम से लोगों को फ़सल सुरक्षित करने व दवा का नाम बताकर 15 में छिड़काव करने का दिया सलाह। आज से पांच साल पूर्व यह कीड़ा अमेरिका में पाया गया था उसके बाद भारत के बंगलोर हैदराबाद, राजस्थान, ओडिसा फ़िर बिहार के पूर्णिया अब अररिया में पाया गया है।


Body:बिहार के सीमांचल क्षेत्र में मक्के की पैदावार ज़्यादा होती है ऐसे में मक्का के किसानों के लिए बुरी ख़बर है कि फॉल आर्मी नामक कीड़े ने दस्तक दिया है जिससे मक्का की खेती करने वाले किसान दहशत में हैं। अररिया ज़िले में 90% मक्का की खेती की जाती है जो अभी पांच सालों से शुरू हुआ है। यहां सबसे ज़्यादा खेती पटुआ का किया जाता था जिसमें किसानों को मेहनत ज़्यादा और मुनाफ़ा कम होने लगा था तो किसान उसे छोड़ मक्के की खेती में लग गए और लागत से डेढ़ गुना मुनाफ़ा होने लगा। साल के नवंबर माह से दिसंबर माह 15 तक फ़सल को लगाया जाता है ज़िले में कुल 36 हेक्टेयर मक्के की खेती होती है। मक्का किसान सावधान हो जाएं फॉल आर्मी वर्म नामक कीड़ा फ़सल पर धावा बोल चुका है जिसे मक्का के महामारी के नाम से भी जाना जाता है। इसकी पुष्टि अररिया आरएस वार्ड संख्या चार के मक्का किसान विजय मेहता ने पौधे में लग रहे कीड़े को कृषि विज्ञान केंद्र लेकर पहुंचे। उसे देख वैज्ञानिक हतप्रभ रह गए जिसे यहां होने के बारे में सोचा भी नहीं था। आनन फानन में कृषि पदाधिकारी ने कृषि वैज्ञानिक डॉ. वीके मिश्रा डॉ. आफ़ताब आलम व अन्य के नेतृत्व में टीम पांच एकड़ में लगे मक्के को देखने पहुंचे थे जिसमें बात सही पाया गया। उसके बचाव के लिए स्पेनेटोरम 11.7% /5 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करना व क्लोरेन्ट्रानि लिप्रोयल 18.5 एससी 5 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करना तथा थियामेथाक़सम 12.6% प्लस लेम्बडा साइहेलोथरीन 9.5% को 0.25 मिली मीटर/लीटर पानी मिलाकर बारी बारी से छिड़काव करना है।


Conclusion:संबंधित विसुअल वॉइस ओवर पैकेज के साथ
बाइट किसान
बाइट कृषि वैज्ञानिक डॉ. वीके मिश्रा
पीटीसी
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