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अररियाः नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों एकड़ में खड़ी धान की फसल नष्ट

अररिया में नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों एकड़ के धान की फसल को नुकसान पहुंचा है. विभाग ने आई फिगर सर्वे करवाया है. बोकड़ा पंचायत के चौरी के पास नहर का तटबंध टूटा है. पढ़ें रिपोर्ट...

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Published : Nov 16, 2021, 9:31 PM IST

अररियाः बिहार के अररिया में नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल (Paddy Crop Ruined) को भारी नुकसान पहुंचा है. क्षति को लेकर कृषि विभाग ने आई फिगर सर्वे कराया है. इसके बाद किसानों के फसल क्षति मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हो गई है. दरअसल, रानीगंज प्रखंड के कुपाड़ी पंचायत स्थित कदवा और फारबिसगंज प्रखंड के बोकड़ा पंचायत स्थित अहमदपुर में नहर के पानी से धान की खड़ी फसल को भारी नुकसान पहुंचा है.

इसे भी पढ़ें- इतनी बरसात भी अच्छी नहीं.. धान की फसल तैयार पर खेतों में पानी लबालब, नष्ट हो रहे पैदावार

अहमदपुर के आसपास और कदवा गांव से लेकर एनएच 327 के करीब तक नहर के पानी ने सैकड़ों एकड़ धान की फसल को डूबा दिया है. इस कारण तैयार धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. धान के पौधे के नीचे पानी जमा होने के कारण बालियों में दाना सूख गया है. साथ ही कई जगहों पर अभी भी फसलें डूबी हुई हैं.

देखें वीडियो

कदवा गांव के ग्रामीण मुफ्ती कमर असरफ, मो. रज्जाक, सज्जाद, मो. महमूद, मो. मुस्तकीम, मो. वासिल, मो. मासूम, मो. खैरुबसर, मो. शाकिर, मो. असलम, मो. फिरोज, मो. हबीब, मो. कामिल, मो. रजानुर आदि ने बताया कि छठ पर्व को लेकर बथनाहा कसबा नहर में पानी छोड़ा गया था. पानी के दबाव के कारण अहमदपुर चौरी के करीब दस फिट नहर का बांध टूट गया. नहर का पानी धीरे-धीरे खेतों में प्रवेश कर गया.

इसकी वजह से आज तक फसल डूबा हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि जैसे ही नहर टूटने की खबर हम लोगों को मिली, हम लोगों ने नहर विभाग के कर्मचारी को नहर टूटने की सूचना दी. उसके बाद हल्दिया के करीब नहर के फाटक को बंद कर दिया गया. लेकिन तब तक भारी तबाही हो चुकी थी.

किसानों ने बताया कि अभी भी फसलें कई जगहों पर डूबी है. कई जगह पर धान की फसलें पानी में गिरी पड़ी हैं. जिन्हें अब वहां से निकालना असंभव हो गया है. उन पौधों में दोबारा अंकुर निकल आये हैं. किसानों ने बताया कि कई खेतों में धान की फसल को काटकर सूखने के लिए छोड़ा गया था. लेकिन अब वह पानी में डूब गयी है.

किसान फसलों की क्षति के लिए जहां एक तरफ सिंचाई विभाग को दोषी करार दे रहे हैं. वहीं अब किसान मुआवजे की भी बात उठा रहे हैं. किसानों ने बताया कि अगर मुआवजा नहीं मिला तो हम किसानों की स्थिति बद से बदतर हो जाएगी. वजह यह है कि धान की फसल बर्बाद हुई है. अब मक्का लगाने के लिए भी खेत तैयार नहीं हो पाएगा. क्योंकि खेत में अभी भी पानी लगा है. जब तक खेत पूरी तरह से सूखता नहीं है, तब तक इसमें दूसरा फसल नहीं लगाया जा सकेगा. इसलिए किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा मिले.

'जैसे ही फसल बर्बादी की सूचना विभाग को मिली, हम लोगों ने आई फिगर बनाकर विभाग के आला पदाधिकारियों को सौंप दिया है. राज्य सरकार की ओर से निर्देश मिलेते ही किसानों को पोर्टल पर आवेदन करना होगा. उसके बाद कृषि विभाग के लोग स्थल का निरीक्षण करेंगे. उसके उपरांत रिपोर्ट सम्मिट होते ही मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. यह मुआवजा किसानों के खाते में सीधे पहुंचेगा. इसलिए किसानों से अनुरोध है कि वह थोड़ा संयम बरतें.' -गणेश सिंह, प्रखंड कृषि पदाधिकारी

इसे भी पढ़ें- बारिश में डूबी किसानों की 'किस्मत', खेतों में लगी धान की फसल बर्बाद

अररियाः बिहार के अररिया में नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल (Paddy Crop Ruined) को भारी नुकसान पहुंचा है. क्षति को लेकर कृषि विभाग ने आई फिगर सर्वे कराया है. इसके बाद किसानों के फसल क्षति मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हो गई है. दरअसल, रानीगंज प्रखंड के कुपाड़ी पंचायत स्थित कदवा और फारबिसगंज प्रखंड के बोकड़ा पंचायत स्थित अहमदपुर में नहर के पानी से धान की खड़ी फसल को भारी नुकसान पहुंचा है.

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अहमदपुर के आसपास और कदवा गांव से लेकर एनएच 327 के करीब तक नहर के पानी ने सैकड़ों एकड़ धान की फसल को डूबा दिया है. इस कारण तैयार धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. धान के पौधे के नीचे पानी जमा होने के कारण बालियों में दाना सूख गया है. साथ ही कई जगहों पर अभी भी फसलें डूबी हुई हैं.

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कदवा गांव के ग्रामीण मुफ्ती कमर असरफ, मो. रज्जाक, सज्जाद, मो. महमूद, मो. मुस्तकीम, मो. वासिल, मो. मासूम, मो. खैरुबसर, मो. शाकिर, मो. असलम, मो. फिरोज, मो. हबीब, मो. कामिल, मो. रजानुर आदि ने बताया कि छठ पर्व को लेकर बथनाहा कसबा नहर में पानी छोड़ा गया था. पानी के दबाव के कारण अहमदपुर चौरी के करीब दस फिट नहर का बांध टूट गया. नहर का पानी धीरे-धीरे खेतों में प्रवेश कर गया.

इसकी वजह से आज तक फसल डूबा हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि जैसे ही नहर टूटने की खबर हम लोगों को मिली, हम लोगों ने नहर विभाग के कर्मचारी को नहर टूटने की सूचना दी. उसके बाद हल्दिया के करीब नहर के फाटक को बंद कर दिया गया. लेकिन तब तक भारी तबाही हो चुकी थी.

किसानों ने बताया कि अभी भी फसलें कई जगहों पर डूबी है. कई जगह पर धान की फसलें पानी में गिरी पड़ी हैं. जिन्हें अब वहां से निकालना असंभव हो गया है. उन पौधों में दोबारा अंकुर निकल आये हैं. किसानों ने बताया कि कई खेतों में धान की फसल को काटकर सूखने के लिए छोड़ा गया था. लेकिन अब वह पानी में डूब गयी है.

किसान फसलों की क्षति के लिए जहां एक तरफ सिंचाई विभाग को दोषी करार दे रहे हैं. वहीं अब किसान मुआवजे की भी बात उठा रहे हैं. किसानों ने बताया कि अगर मुआवजा नहीं मिला तो हम किसानों की स्थिति बद से बदतर हो जाएगी. वजह यह है कि धान की फसल बर्बाद हुई है. अब मक्का लगाने के लिए भी खेत तैयार नहीं हो पाएगा. क्योंकि खेत में अभी भी पानी लगा है. जब तक खेत पूरी तरह से सूखता नहीं है, तब तक इसमें दूसरा फसल नहीं लगाया जा सकेगा. इसलिए किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा मिले.

'जैसे ही फसल बर्बादी की सूचना विभाग को मिली, हम लोगों ने आई फिगर बनाकर विभाग के आला पदाधिकारियों को सौंप दिया है. राज्य सरकार की ओर से निर्देश मिलेते ही किसानों को पोर्टल पर आवेदन करना होगा. उसके बाद कृषि विभाग के लोग स्थल का निरीक्षण करेंगे. उसके उपरांत रिपोर्ट सम्मिट होते ही मुआवजे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. यह मुआवजा किसानों के खाते में सीधे पहुंचेगा. इसलिए किसानों से अनुरोध है कि वह थोड़ा संयम बरतें.' -गणेश सिंह, प्रखंड कृषि पदाधिकारी

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