ETV Bharat / state

अररियाः जान जोखिम में डालकर पिपरा घाट पार करते हैं लोग, अब तक नहीं बन सका पुल

1990 में फारबिसगंज अनुमंडल बनने के बाद यहां विकास का कोई कार्य नहीं हुआ, लोगों का कहना है कि बाढ़ के समय नेताओं का दौरा तो खूब होता है, लेकिन काम कुछ नहीं होता.

author img

By

Published : Sep 13, 2019, 8:52 AM IST

Updated : Sep 13, 2019, 1:09 PM IST

अर्धनिर्मित पुल

अररियाः जिले के पिपरा घाट पर पुल नहीं बनने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. फारबिसगंज अनुमंडल बनने के बाद अब तक यहां एक पुल भी नहीं बन पाया. जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से ग्रामीण कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं. लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही दिया गया, पुल नहीं बना. लोग नाव पर सवार होकर नदी पार करते हैं.

araria
नाव पर सवार लोग

दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित
दरअसल, अररिया के फारबिसगंज अनुमंडल पिपरा घाट पर स्थित दो दर्जन से ज्यादा गांव इस नदी पर एक पुल के लिए तरस रहे हैं. इलाके का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम जब यहां पहुंची तो गांव वालों ने अपना दर्द बयान किया. बता दें कि दो दिन पहले यहां नाव पलट गई थी, लेकिन एक बड़ा हादसा ग्रामीणों से सूझबूझ से टल गया.

araria
नाव में घुसे पानी को निकालता नाविक

नहीं हुआ कोई बदलाव
ग्रामीणों ने बताया कि 1990 में फारबिसगंज अनुमंडल बनने के बाद यहां कोई बदलाव नहीं हुआ. जनप्रतिनिधि हो या जिला प्रशासन बाढ़ के वक्त आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. यहां चुनाव आते ही नेताओं का दौरा शुरू हो जाता है. गांव वालों की मांग है कि यहां पुल का निर्माण जल्द से जल्द किया जाए. ताकि लोगों की परेशानी दूर हो.

araria
सांसद प्रदीप कुमार सिंह

इमरजेंसी के लिए नाव है सहारा
गांव वालों का कहना है कि बाढ़ राहत में मिली राशि 6000 हजार रूपए की कोई जरूरत नहीं थी, अगर बाढ़ से निपटने के लिए तटबंध को बना दिया जाता. ग्रामीणों को किसी भी इमरजेंसी के लिए नाव ही सहारा है. किसी भी तरह की जरूरत पड़ने पर फारबिसगंज अनुमंडल जाने का नाव ही एक सहारा है. वह नाव भी टूटी हुई हैं, उसमें पानी घुस जाता है.

नाव से नदी पार करते लोग और बयान देते सांसद

अर्धनिर्मित पड़ा है पुल
काफी प्रयास के बाद पुल निर्माण का कार्य शुरू भी हुआ तो वो भी एक साल से अर्धनिर्मित पड़ा है. कब तक कम्पलीट होगा किसी को पता नहीं है. हालांकि मौजूदा सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि बहुत जल्द बाढ़ की समस्या से यहां के लोगों को निजात मिल जाएगी. जो 70 वर्षों में नहीं हुआ वो अब हो जाएगा. सांसद ने बताया कि तकनीकी कारणों से पुल नहीं बना सका है अब बन जाएगा.

अररियाः जिले के पिपरा घाट पर पुल नहीं बनने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. फारबिसगंज अनुमंडल बनने के बाद अब तक यहां एक पुल भी नहीं बन पाया. जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से ग्रामीण कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं. लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही दिया गया, पुल नहीं बना. लोग नाव पर सवार होकर नदी पार करते हैं.

araria
नाव पर सवार लोग

दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित
दरअसल, अररिया के फारबिसगंज अनुमंडल पिपरा घाट पर स्थित दो दर्जन से ज्यादा गांव इस नदी पर एक पुल के लिए तरस रहे हैं. इलाके का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम जब यहां पहुंची तो गांव वालों ने अपना दर्द बयान किया. बता दें कि दो दिन पहले यहां नाव पलट गई थी, लेकिन एक बड़ा हादसा ग्रामीणों से सूझबूझ से टल गया.

araria
नाव में घुसे पानी को निकालता नाविक

नहीं हुआ कोई बदलाव
ग्रामीणों ने बताया कि 1990 में फारबिसगंज अनुमंडल बनने के बाद यहां कोई बदलाव नहीं हुआ. जनप्रतिनिधि हो या जिला प्रशासन बाढ़ के वक्त आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. यहां चुनाव आते ही नेताओं का दौरा शुरू हो जाता है. गांव वालों की मांग है कि यहां पुल का निर्माण जल्द से जल्द किया जाए. ताकि लोगों की परेशानी दूर हो.

araria
सांसद प्रदीप कुमार सिंह

इमरजेंसी के लिए नाव है सहारा
गांव वालों का कहना है कि बाढ़ राहत में मिली राशि 6000 हजार रूपए की कोई जरूरत नहीं थी, अगर बाढ़ से निपटने के लिए तटबंध को बना दिया जाता. ग्रामीणों को किसी भी इमरजेंसी के लिए नाव ही सहारा है. किसी भी तरह की जरूरत पड़ने पर फारबिसगंज अनुमंडल जाने का नाव ही एक सहारा है. वह नाव भी टूटी हुई हैं, उसमें पानी घुस जाता है.

नाव से नदी पार करते लोग और बयान देते सांसद

अर्धनिर्मित पड़ा है पुल
काफी प्रयास के बाद पुल निर्माण का कार्य शुरू भी हुआ तो वो भी एक साल से अर्धनिर्मित पड़ा है. कब तक कम्पलीट होगा किसी को पता नहीं है. हालांकि मौजूदा सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि बहुत जल्द बाढ़ की समस्या से यहां के लोगों को निजात मिल जाएगी. जो 70 वर्षों में नहीं हुआ वो अब हो जाएगा. सांसद ने बताया कि तकनीकी कारणों से पुल नहीं बना सका है अब बन जाएगा.

Intro:जान जोखिम में डाल सफ़र करने को मजबूर ग्रामीण, आज़ादी के बाद से अब तक नहीं बना पूल, जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारी से ग्रामीण कई बार इसको लेकर शिकायत कर चुके हैं पर अब तक सिर्फ़ आश्वासन दिया गया है। हर काम काग़ज़ों पर ही बनकर तैयार रखा है। सांसद ने बताया तकनीकी कारणों से नहीं बना सका है अब बन जाएगा।


Body:नेपाल की तराई में बसा बिहार के सीमांचल का जिला अररिया जब भी नेपाल में ज़्यादा बारिश होती है तो उसके बाद वहां से पानी छोड़ा जाता है। जिससे हर साल बाढ़ त्रासदी झेलता है, जिसमें काफ़ी ज़्यादा जान माल का नुकसान होता है। इस वक़्त अररिया के फारबिसगंज अनुमंडल पिपरा घाट पर स्थित दो दर्जन से ज़्यादा गांव का जायज़ा लेने ईटीवी भारत के ज़िला संवाददाता ने दो दिन पहले नाव पलट गया था जहां एक बड़ा हादसा ग्रामीणों से सूझबूझ से टल गया। यहां के ग्रामीण ने बताया कि आज़ादी के 70 दशक गुज़र जाने के बाद भी अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। जनप्रतिनिधि हो या ज़िला प्रशासन बाढ़ के वक़्त आते हैं पर आश्वासन दे कर चले जाते हैं उसके बाद दुबारा देखने भी नहीं आते चुनाव जैसे आता है नेताओं का दौरा शुरू हो जाता है। 6000 हज़ार रूपए का कोई ज़रूरत नहीं था अगर बाढ़ से निपटने के लिए तटबंध को बना दिया जाता। ग्रामीणों को किसी भी तरह से इमरजेंसी के लिए नाव ही सहारा है। चाहे किसी भी तरह की ज़रूरत पड़ने पर फारबिसगंज अनुमंडल जाने का यह ही एक सहारा है वो भी नाव टूटे हुए हैं उसमें पानी चला जाता है। बेबसी का आलम यह है कि लाख कोशिशों के बाद भी पूल निर्माण का कार्य शुरू भी हुआ तो वो भी एक साल से अर्धनिर्मित पड़ा है। कब तक कम्पलीट होगा कोई अता पता नहीं है। हालांकि मौजूदा सांसद ने बताया कि बहुत जल्द बाढ़ के समस्या से यहां के लोगों को निजात मिल जाएगा। जो 70 वर्षों में नहीं हुआ वो अब हो जाएगा।


Conclusion:संबंधित विसुअल वॉइस ओवर के साथ
बाइट ग्रामीण
बाइट सांसद प्रदीप कुमार सिंह
पीटीसी
Last Updated : Sep 13, 2019, 1:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.