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बाढ़ पीड़ितों का दर्दः 'बाल-बच्चों को लेकर सड़क पर हैं, कोई पूछने तक नहीं आता'

दरभंगा में आई भीषण बाढ़ ने 16 प्रखंडों की आबादी को प्रभावित किया है. प्रभावित गांव के लोग उंचे स्थानों और बांध पर किसी तरह जिंदगी तो गुजार रहे हैं, लेकिन इन्हें दुख इस बात का है कि इस विपदा और बर्बादी के आलम में इन्हें पूछने वाला कोई नहीं है.

बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित
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Published : Aug 8, 2020, 8:06 AM IST

Updated : Aug 8, 2020, 12:11 PM IST

दरभंगाः जिले में बाढ़ की स्थिति विकराल होती जा रही है. 18 में से 16 प्रखंडों में बाढ़ से बड़ी आबादी प्रभावित हुई है. बात करें बहादुरपुर प्रखंड की तो यहां कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. पिडरी पंचायत के मचौडा, छपरार मठ, कमलपुर समेत कई गांवों के लोगों के घर-बार पानी में डूब चुके हैं.

गांव में फंसे बाढ़ पीड़ित
गांव में फंसे बाढ़ पीड़ित

यहां की स्थिति ये है कि सड़कों पर पानी बह रहा है, जिससे आवागमन बंद है. लोग गांवों में फंसे हुए हैं. बाढ़ पीड़ितों की शिकायत है कि उनके खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं है. उनके पशुओं के लिए चारा भी नहीं मिल रहा है. बीमार पड़ने पर दवा तक नसीब नहीं है. कम्युनिटी किचन के नाम पर बस खानापूर्ति की जा रही है. ईटीवी भारत के संवाददाता विजय कुमार श्रीवास्तव ने पिडरी पंचायत के गांवों में जाकर लोगों से बात की.

शेड के नीचे बाढ़ पीड़ित
शेड के नीचे बाढ़ पीड़ित

कम्युनिटी किचन का खाना भी नहीं मिलता
स्थानीय सरयु दास ने कहा कि घर-बार डूब गए हैं. रास्ते पर भी पानी है जिसकी वजह से राशन-पानी भी नहीं ला सकते हैं. सरकार की ओर से फिलहाल राशन या दूसरी कोई मदद नहीं मिल रही है. कम्युनिटी किचन में जो खाना बन रहा है वह उन तक नहीं पहुंचता है कि क्योंकि बाढ़ की वजह से वे लोग वहां तक नहीं जा सकते. कोई भी उन्हें पूछने नहीं आ रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बांध पर रह रहे हैं सैकड़ों लोग
वहीं, स्थानीय आशा देवी ने कहा कि उन लोगों को अब तक कोई मदद नहीं मिली है. घर-बार डूबे हुए हैं. एक प्लास्टिक शीट तक नहीं मिली है कि शेड डालकर गुजारा कर सकें. वे लोग माल-मवेशी के साथ बांध पर रह रहे हैं. मुखिया-सरपंच कोई भी उन्हें देखने नहीं आ रहे हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि उनकी फसल डूब गई है. माल-मवेशी के लिए चारा नहीं मिल रहा है. सरकार उनके साल भर के खाने की मदद करे.

बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित

ये भी पढ़ेंः Etv भारत को बाढ़ पीड़ितों ने बताया अपना दर्द, अब तक नहीं पहुंचा कोई भी सरकारी अफसर

'विपदा की घड़ी में पूछने नहीं आता'
स्थानीय चंद्रिका देवी ने कहा कि बाढ़ में घर डूब जाने की वजह से वे अपने बाल-बच्चों को लेकर सड़क पर हैं. कोरोना के लॉक डाउन की वजह से उनके पति काम छोड़कर पहले से घर बैठे हुए हैं. ऐसे में काफी दिक्कत हो रही है. खाना नहीं मिल रहा है. भूसा बाढ़ में बह गया जिससे पशु को चारा भी नहीं मिल रहा है. कोई उन लोगों को इस विपदा की घड़ी में पूछने नहीं आता है.

नाव से नदी पार करते लोग
नाव से नदी पार करते लोग

मवेशियों के साथ सड़क पर आ गए लोग
बहरहाल यहां रह रहे सभी लोगों का कमो-बेश यही दर्द है. ये लोग 20-25 दिन से गांव छोड़कर सड़क पर रह रहे हैं. खाने-पीने की काफी दिक्कत है. ये लोग अपने मवेशियों को लेकर सड़क पर आ गए हैं. सरकार की तरफ से जो प्लास्टिक शीट मिला था वह कुछ ही लोगों तक पहुंच कर खत्म हो गया. इंसान और मवेशी सभी भूखे हैं. इन बाढ़ पीड़ितों को अब तक कोई अधिकारी या प्रतिनिधी इन्हें पूछने तक नहीं आया.

दरभंगाः जिले में बाढ़ की स्थिति विकराल होती जा रही है. 18 में से 16 प्रखंडों में बाढ़ से बड़ी आबादी प्रभावित हुई है. बात करें बहादुरपुर प्रखंड की तो यहां कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. पिडरी पंचायत के मचौडा, छपरार मठ, कमलपुर समेत कई गांवों के लोगों के घर-बार पानी में डूब चुके हैं.

गांव में फंसे बाढ़ पीड़ित
गांव में फंसे बाढ़ पीड़ित

यहां की स्थिति ये है कि सड़कों पर पानी बह रहा है, जिससे आवागमन बंद है. लोग गांवों में फंसे हुए हैं. बाढ़ पीड़ितों की शिकायत है कि उनके खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं है. उनके पशुओं के लिए चारा भी नहीं मिल रहा है. बीमार पड़ने पर दवा तक नसीब नहीं है. कम्युनिटी किचन के नाम पर बस खानापूर्ति की जा रही है. ईटीवी भारत के संवाददाता विजय कुमार श्रीवास्तव ने पिडरी पंचायत के गांवों में जाकर लोगों से बात की.

शेड के नीचे बाढ़ पीड़ित
शेड के नीचे बाढ़ पीड़ित

कम्युनिटी किचन का खाना भी नहीं मिलता
स्थानीय सरयु दास ने कहा कि घर-बार डूब गए हैं. रास्ते पर भी पानी है जिसकी वजह से राशन-पानी भी नहीं ला सकते हैं. सरकार की ओर से फिलहाल राशन या दूसरी कोई मदद नहीं मिल रही है. कम्युनिटी किचन में जो खाना बन रहा है वह उन तक नहीं पहुंचता है कि क्योंकि बाढ़ की वजह से वे लोग वहां तक नहीं जा सकते. कोई भी उन्हें पूछने नहीं आ रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बांध पर रह रहे हैं सैकड़ों लोग
वहीं, स्थानीय आशा देवी ने कहा कि उन लोगों को अब तक कोई मदद नहीं मिली है. घर-बार डूबे हुए हैं. एक प्लास्टिक शीट तक नहीं मिली है कि शेड डालकर गुजारा कर सकें. वे लोग माल-मवेशी के साथ बांध पर रह रहे हैं. मुखिया-सरपंच कोई भी उन्हें देखने नहीं आ रहे हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि उनकी फसल डूब गई है. माल-मवेशी के लिए चारा नहीं मिल रहा है. सरकार उनके साल भर के खाने की मदद करे.

बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ित

ये भी पढ़ेंः Etv भारत को बाढ़ पीड़ितों ने बताया अपना दर्द, अब तक नहीं पहुंचा कोई भी सरकारी अफसर

'विपदा की घड़ी में पूछने नहीं आता'
स्थानीय चंद्रिका देवी ने कहा कि बाढ़ में घर डूब जाने की वजह से वे अपने बाल-बच्चों को लेकर सड़क पर हैं. कोरोना के लॉक डाउन की वजह से उनके पति काम छोड़कर पहले से घर बैठे हुए हैं. ऐसे में काफी दिक्कत हो रही है. खाना नहीं मिल रहा है. भूसा बाढ़ में बह गया जिससे पशु को चारा भी नहीं मिल रहा है. कोई उन लोगों को इस विपदा की घड़ी में पूछने नहीं आता है.

नाव से नदी पार करते लोग
नाव से नदी पार करते लोग

मवेशियों के साथ सड़क पर आ गए लोग
बहरहाल यहां रह रहे सभी लोगों का कमो-बेश यही दर्द है. ये लोग 20-25 दिन से गांव छोड़कर सड़क पर रह रहे हैं. खाने-पीने की काफी दिक्कत है. ये लोग अपने मवेशियों को लेकर सड़क पर आ गए हैं. सरकार की तरफ से जो प्लास्टिक शीट मिला था वह कुछ ही लोगों तक पहुंच कर खत्म हो गया. इंसान और मवेशी सभी भूखे हैं. इन बाढ़ पीड़ितों को अब तक कोई अधिकारी या प्रतिनिधी इन्हें पूछने तक नहीं आया.

Last Updated : Aug 8, 2020, 12:11 PM IST
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