पटना: बिहार में कोरोना काल में बेरोजगारी (Unemployment during Corona Period) चरम पर थी. विधानसभा चुनाव के दौरान बेरोजगारी को राजनीतिक दलों ने मुद्दा भी बनाया था. महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने रोजगार देने के वायदे किए थे, लेकिन बेरोजगारी अभी अपनी जगह पर कायम है और युवा पलायन को मजबूर हैं.
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बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) रोजगार के इर्द-गिर्द घूम रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान आरजेडी ने 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से आगे बढ़कर 19 लाख रोजगार देने का वादा (19 Lakh Jobs) किया गया. बिहार में एनडीए के नेतृत्व में सरकार बने 1 साल बीत गया, लेकिन बेरोजगारी के मामले में बिहार चौथे स्थान पर है.
बिहार में बेरोजगारी दर (Bihar Unemployment Rate) 15% के आसपास है. 1 साल में 2 लाख लोगों को रोजगार मिलने चाहिए थे, लेकिन वह लक्ष्य अब तक पूरा नहीं हुआ है. बिहार में 50 से 60 लाख लोग अब भी बेरोजगार हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर बेरोजगारी के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है. इसे लेकर तेजस्वी यादव यात्रा पर भी निकलने वाले हैं, सत्ता पक्ष के द्वारा तेजस्वी की यात्रा पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं.
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''बिहार में बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है. युवा रोजगार के लिए पलायन को मजबूर हैं. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन पूरी तरह फेल साबित हुई है.''- श्याम रजक, वरिष्ठ नेता, आरजेडी
''हमने जो वायदा किया है, उसे हम हर हाल में निभाएंगे. स्वास्थ विभाग में नौकरियां दी गई हैं. शिक्षा विभाग में भी वैकेंसी निकली हैं. 5 साल पूरे होने पर हम लक्ष्य से ज्यादा हासिल करेंगे.''- संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता
सीएमआई की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में रोजगार 14.8% नवंबर माह में था. लगभग 50 से 60 लाख लोग बेरोजगार हैं. सरकार अगर वाकई रोजगार के अवसर पैदा करना चाहती है, तो कृषि के क्षेत्र में बेहतर काम करने होंगे.''- डॉ. विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री
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