ETV Bharat / city

ऑनलाइन मार्केट में धूम मचा रहा आजीविका मिशन की महिलाओं का प्रोडक्ट, अमेजन-फ्लिपकार्ट पर भी डिमांड हाई

पटना की महिलाओं ने कला को आजीविका का साधन बनाया (Women Made Art a Means of Livelihood) है. नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन से जुड़ी महिलाओं को अब इतने काम मिल रहे हैं कि वो पूरा नहीं कर पा रही हैं. आज इतने ऑर्डर मिल रहे हैं कि आपूर्ति नहीं हो पा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

author img

By

Published : Jun 7, 2022, 10:45 PM IST

महिलाओं ने कला को आजीविका का साधन बनाया
महिलाओं ने कला को आजीविका का साधन बनाया

पटना: एक पहल जीवन में कैसे बदलाव ला सकता है और उससे अनेक लोगों की जीवन कैसे रंगीन हो सकता है, इसका सशक्त उदाहरण है दीनदयाल अंत्योदय योजना नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन (National Urban Livelihood Mission). दरअसल इस मिशन से जुड़कर बिहार की महिलाएं सफलता की नई इबारत को लिख रही है. इन महिलाओं की माने तो इनके हुनर को पहचान तो मिल ही रही है, आर्थिक रूप से भी ये महिलाएं सफल हो रही हैं. सबसे खास बात यह कि महिलाओं के बनाए जा रहे प्रोडक्ट को फ्लिपकार्ट और अमेजन पर भी आराम से खरीदा जा सकता है.

ये भी पढ़ें- आजीविका मिशन के तहत महिलाएं कर रहीं सैनिटाइजर बनाने का काम

महिलाएं बन रही हैं स्वालंबी: राजधानी पटना की करीब 280 महिलाएं हैं, जो सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर इसमें इस मिशन के तहत अपने हुनर को और निखार रही हैं. यह महिलाएं बिहार की पारंपरिक कला को तो बेहतर तरीके से उभार ही रही हैं, साथ ही साथ टैडी बियर जैसे इस सामान को भी बना रही है. खास बात यह है कि इन महिलाओं का ही मानना है कि जब से वो इस मिशन से जुड़ी हैं, उनके जीवन में काफी सुधार हो रहा है. राजधानी के पटना, सदर दानापुर और पटना सिटी जैसे इलाकों में महिलाओं का एक बड़ा ग्रुप इस मिशन के तहत जुड़कर कई चीजों को जान डाल रही हैं.

एनयूएलएम से जुड़ रही हैं महिलाएं: हालांकि इसकी नींव 2015 में रखी गई थी. जब राज्य के सभी नगर निकाय में इसे शुरू किया गया था. इनमें से कुछ प्रोग्राम ऐसे भी थे, जो पहले से चल रहे थे. और वह हर अर्बन डेवलपमेंट से जुड़े हुए थे. उनमें कुछ कमियां थी. इसी बीच एनयूएलएम आया तो कई चीजें उनमें सामने आने लगी. कई खामियां भी नजर आई. जिसके बाद से उनको फिल्टर किया गया. उनको सुधारने की कोशिश की गई. जरूरत के अनुसार नई चीजों को जोड़ा गया, फिर इसमें महिलाओं को जोड़ा गया. और उनको उनकी रूचि के अनुसार इस ट्रेनिंग में दी गई. जब महिलाओं को ट्रेनिंग मिल गई तो फिर उनको लोन दिलवाने की प्रक्रिया पूरी की गई.

यह प्रोग्राम यूडीएचडी का होता है: यहां तक की महिलाओं की रूचि को देखते हुए सरकार ने भी सीड फंडिंग की. क्योंकि यह प्रोग्राम यूडीएचडी का होता है. जिसे अर्बन लोकल बॉडी मॉनिटर करती है. पीएमसी का रोल इसे योजना में इसलिए अहम हो जाता है, क्योंकि प्रोग्राम अर्बन लोकल बॉडी का होता है. जिसके तहत इसकी इंप्लीमेंटेशन की पूरी जिम्मेदारी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की होती है. पीएमसी से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में अभी करीब 140 के करीब नगर निकाय हैं. जहां यह प्रोग्राम चल रहा है और बिहार के आर्ट व अन्य प्रोडक्ट को प्रमोट किया जा रहा है.

प्रोडक्ट की कीमत 150 से लेकर 500 रुपए तक: अपने हुनर के अनुरूप इस कार्य को कर रही महिलाएं, एक तरफ जहां जूट बैग, वूलन डॉल, हैंड एंब्रायडरी वर्क तो कर ही रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ टैडी बियर और कॉटन और खादी के झोले जैसे समान भी तैयार कर रही हैं. इस कार्य से जुड़ी सीमा देवी कहती हैं तीन-चार साल पहले से काम शुरू किया था. अब बहुत बदलाव हुआ है. पूंजी आने लगी है. इसलिए अब तीन-चार प्रकार की टेडी बियर को बना रहे हैं. इनकी रेंज 150 से लेकर 500 रुपए तक की है. वह यह भी कहती हैं कि सावन से इसका सीजन शुरू होता है और दशहरे तक इसकी बहुत बढ़िया डिमांड होती है. खुदरा और थोक दोनों में इसकी बिक्री होती है.

'समूह में पहले महिलाएं जुड़ी. जब छोटी-छोटी बचत हुई तो टैडी बियर बनाई. नगर निगम से लोन मिला. उसके बाद से इन्होंने गुड़िया, कुत्ता भी बनाना शुरू किया. मार्केट में बहुत बदलाव आया है. ग्रुप भी बढ़ गया है.' - राखी देवी, सदस्य, सेल्फ हेल्प ग्रुप

'स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को अलग-अलग ट्रेड में लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है. पटना शहर के विभिन्न भागों में टैडी बेयर वहां अच्छी क्वालिटी के बन रहे हैं. प्रयास है इसे और आगे लेकर जाएं. आज के वक्त में देश-विदेश तक प्रोडक्ट को ले जाने के लिए और मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन साइट सशक्त माध्यम है. आज हमारी महिलाएं लगातार इन माध्यमों से सामान बेच पा रही हैं. इनको और भी आगे सपोर्ट किया जाएगा. हम लोग पटना म्युनिसिपल कारपोरेशन इलाके की महिलाओं और एसएचजी की महिलाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं. ट्रेनिंग के बाद हैंडहोल्डिंग भी की जाती है. अभी 200 से ज्यादा ग्रुप को निरंतर चयन करके ट्रेनिंग से जोड़ा जा रहा है.' - अनिमेष पाराशर, नगर आयुक्त

ये भी पढ़ें- इंटरनेशनल कोच पाकर बिहार के रग्बी प्लेयर्स का जोश हाई, बोले- 'अब लाकर रहेंगे गोल्ड'

ये भी पढ़ें- निगम के ई-कार्ट वाहन का महिलाएं करेंगी संचालन, 600 महिलाओं को मिलेगा रोजगार

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

पटना: एक पहल जीवन में कैसे बदलाव ला सकता है और उससे अनेक लोगों की जीवन कैसे रंगीन हो सकता है, इसका सशक्त उदाहरण है दीनदयाल अंत्योदय योजना नेशनल अर्बन लाइवलीहुड मिशन (National Urban Livelihood Mission). दरअसल इस मिशन से जुड़कर बिहार की महिलाएं सफलता की नई इबारत को लिख रही है. इन महिलाओं की माने तो इनके हुनर को पहचान तो मिल ही रही है, आर्थिक रूप से भी ये महिलाएं सफल हो रही हैं. सबसे खास बात यह कि महिलाओं के बनाए जा रहे प्रोडक्ट को फ्लिपकार्ट और अमेजन पर भी आराम से खरीदा जा सकता है.

ये भी पढ़ें- आजीविका मिशन के तहत महिलाएं कर रहीं सैनिटाइजर बनाने का काम

महिलाएं बन रही हैं स्वालंबी: राजधानी पटना की करीब 280 महिलाएं हैं, जो सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर इसमें इस मिशन के तहत अपने हुनर को और निखार रही हैं. यह महिलाएं बिहार की पारंपरिक कला को तो बेहतर तरीके से उभार ही रही हैं, साथ ही साथ टैडी बियर जैसे इस सामान को भी बना रही है. खास बात यह है कि इन महिलाओं का ही मानना है कि जब से वो इस मिशन से जुड़ी हैं, उनके जीवन में काफी सुधार हो रहा है. राजधानी के पटना, सदर दानापुर और पटना सिटी जैसे इलाकों में महिलाओं का एक बड़ा ग्रुप इस मिशन के तहत जुड़कर कई चीजों को जान डाल रही हैं.

एनयूएलएम से जुड़ रही हैं महिलाएं: हालांकि इसकी नींव 2015 में रखी गई थी. जब राज्य के सभी नगर निकाय में इसे शुरू किया गया था. इनमें से कुछ प्रोग्राम ऐसे भी थे, जो पहले से चल रहे थे. और वह हर अर्बन डेवलपमेंट से जुड़े हुए थे. उनमें कुछ कमियां थी. इसी बीच एनयूएलएम आया तो कई चीजें उनमें सामने आने लगी. कई खामियां भी नजर आई. जिसके बाद से उनको फिल्टर किया गया. उनको सुधारने की कोशिश की गई. जरूरत के अनुसार नई चीजों को जोड़ा गया, फिर इसमें महिलाओं को जोड़ा गया. और उनको उनकी रूचि के अनुसार इस ट्रेनिंग में दी गई. जब महिलाओं को ट्रेनिंग मिल गई तो फिर उनको लोन दिलवाने की प्रक्रिया पूरी की गई.

यह प्रोग्राम यूडीएचडी का होता है: यहां तक की महिलाओं की रूचि को देखते हुए सरकार ने भी सीड फंडिंग की. क्योंकि यह प्रोग्राम यूडीएचडी का होता है. जिसे अर्बन लोकल बॉडी मॉनिटर करती है. पीएमसी का रोल इसे योजना में इसलिए अहम हो जाता है, क्योंकि प्रोग्राम अर्बन लोकल बॉडी का होता है. जिसके तहत इसकी इंप्लीमेंटेशन की पूरी जिम्मेदारी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन की होती है. पीएमसी से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में अभी करीब 140 के करीब नगर निकाय हैं. जहां यह प्रोग्राम चल रहा है और बिहार के आर्ट व अन्य प्रोडक्ट को प्रमोट किया जा रहा है.

प्रोडक्ट की कीमत 150 से लेकर 500 रुपए तक: अपने हुनर के अनुरूप इस कार्य को कर रही महिलाएं, एक तरफ जहां जूट बैग, वूलन डॉल, हैंड एंब्रायडरी वर्क तो कर ही रही हैं. वहीं, दूसरी तरफ टैडी बियर और कॉटन और खादी के झोले जैसे समान भी तैयार कर रही हैं. इस कार्य से जुड़ी सीमा देवी कहती हैं तीन-चार साल पहले से काम शुरू किया था. अब बहुत बदलाव हुआ है. पूंजी आने लगी है. इसलिए अब तीन-चार प्रकार की टेडी बियर को बना रहे हैं. इनकी रेंज 150 से लेकर 500 रुपए तक की है. वह यह भी कहती हैं कि सावन से इसका सीजन शुरू होता है और दशहरे तक इसकी बहुत बढ़िया डिमांड होती है. खुदरा और थोक दोनों में इसकी बिक्री होती है.

'समूह में पहले महिलाएं जुड़ी. जब छोटी-छोटी बचत हुई तो टैडी बियर बनाई. नगर निगम से लोन मिला. उसके बाद से इन्होंने गुड़िया, कुत्ता भी बनाना शुरू किया. मार्केट में बहुत बदलाव आया है. ग्रुप भी बढ़ गया है.' - राखी देवी, सदस्य, सेल्फ हेल्प ग्रुप

'स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को अलग-अलग ट्रेड में लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है. पटना शहर के विभिन्न भागों में टैडी बेयर वहां अच्छी क्वालिटी के बन रहे हैं. प्रयास है इसे और आगे लेकर जाएं. आज के वक्त में देश-विदेश तक प्रोडक्ट को ले जाने के लिए और मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन साइट सशक्त माध्यम है. आज हमारी महिलाएं लगातार इन माध्यमों से सामान बेच पा रही हैं. इनको और भी आगे सपोर्ट किया जाएगा. हम लोग पटना म्युनिसिपल कारपोरेशन इलाके की महिलाओं और एसएचजी की महिलाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं. ट्रेनिंग के बाद हैंडहोल्डिंग भी की जाती है. अभी 200 से ज्यादा ग्रुप को निरंतर चयन करके ट्रेनिंग से जोड़ा जा रहा है.' - अनिमेष पाराशर, नगर आयुक्त

ये भी पढ़ें- इंटरनेशनल कोच पाकर बिहार के रग्बी प्लेयर्स का जोश हाई, बोले- 'अब लाकर रहेंगे गोल्ड'

ये भी पढ़ें- निगम के ई-कार्ट वाहन का महिलाएं करेंगी संचालन, 600 महिलाओं को मिलेगा रोजगार

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.