ETV Bharat / city

Vivah Panchami : विवाह पंचमी पर क्यों नहीं किए जाते बियाह, पढ़ें पौराणिक कथा

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी ( Vivah Panchami ) मनाई जाती है. विवाह पंचमी को श्रीराम विवाहोत्सव कहा जाता है. आज के दिन ही माता सीता ( Sita ) का विवाह भगवान श्रीराम ( Lord Ram ) से हुआ था. इसके बावजूद आज के दिन लोग विवाह नहीं करते हैं. जानें क्यों

Vivah Panchami
Vivah Panchami
author img

By

Published : Dec 8, 2021, 8:32 AM IST

Updated : Dec 8, 2021, 10:23 AM IST

पटना: 8 दिसंबर यानी आज विवाह पंचमी का शुभ मुहुर्त ( Vivah Panchami shubh muhurat ) है. त्रेतायुग में आज के दिन श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था. श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली इस तिथि को विवाह पंचमी भी कहते हैं. भगवान राम को चेतना और माता सीता को प्रकृति शक्ति का प्रतीक माना जाता है. चेतना और प्रकृति के मिलन की वजह से ही यह दिन महत्वपूर्ण हो जाता है.

अग्रहायण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जगत जननी सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विवाह हुआ था. हिंदू धर्म में इस विवाह को सबसे पवित्र उदाहरण के रूप में पेश किया जाता है. इस तिथि को धर्म ग्रंथों में सबसे शुभ माना जाता है. लेकिन, मिथिला में ठीक इसका उल्टा है. मिथिला में लोग अग्रहायण मास की पंचमी अर्थात विवाह पंचमी को लड़के-लड़कियों की शादी नहीं करते हैं. इसके पीछे क्या तर्क है और यह परंपरा क्यों पुराने समय से चली आ रही है, आइये जानते हैं.

विवाह पंचमी के दिन मिथिला में पारंपरिक रूप से शादी ब्याह न होने के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं. कहा जाता है कि जगत जननी सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विवाह अग्रहायण मास की पंचमी को हुआ था और इस हिसाब से यह बहुत ही शुभ मुहूर्त है. लेकिन मिथिला में इस तिथि को शादी ब्याह की दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता है. सीता और राम की शादी भले ही काफी पवित्र मानी जाती हो, लेकिन यह शादी सफल नहीं मानी गई थी.

ये भी पढ़ें- राम जानकी मंदिर में नौ दिवसीय विवाह पंचमी महोत्सव का आयोजन, निकाली गई भव्य कलश शोभा यात्रा

इस शादी के बाद अयोध्या और जनकपुर के राजवंशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इसमें भी सबसे ज्यादा नुकसान माता सीता को हुआ था. राजमहल में पली-बढ़ी राजकुमारी सीता जब अपनी ससुराल अयोध्या पहुंची तो उन्हें राजमहल का सुख नहीं मिला. उनके पति श्री राम को 14 साल का वनवास मिला और माता सीता भी उनके साथ चली गईं.

वन में माता सीता को कई प्रकार के कष्ट सहने पड़े. दुराचारी रावण उनका हरण कर लंका ले गया और माता सीता को अशोक वाटिका में दिन-रात गुजारने पड़े. माता सीता को जब राम रावण को हराने के बाद वापस लेकर आए तब भी उन्हें अग्नि परीक्षा देनी पड़ी.

ये भी पढ़ें- अयोध्या से चली बारात नेपाल के जनकपुर पहुंची, राम और सीता का धूमधाम से हुआ तिलकोत्सव

नियति का खेल यहां पर भी नहीं रुका. माता सीता जब वापस अयोध्या पहुंची तो एक धोबी के तंज कसने पर भगवान श्री राम ने माता सीता को महल से निकाल दिया और आखिरकार माता सीता को उसी धरती माता की शरण लेनी पड़ी जिससे उनका अवतरण हुआ था. विद्वानों का कहना है कि इसी वजह से मिथिला के लोग इस मुहूर्त को शुभ नहीं मानते और इस दिन पारंपरिक तौर पर शादी ब्याह नहीं होते हैं.

आज के दिन विवाह के लिए अबूझ मुहुर्त यानी सबसे शुभ मुहुर्त माना जाता है, लेकिन मिथिला के लोग आज के दिन अपनी बेटियों का विवाह नहीं करते हैं. मान्यता है कि आज के दिन विवाह होने पर देवी सीता और भगवान का संपूर्ण वैवाहिक जीवन दुखों और कष्टों से भरा रहा था.

विवाह पंचमी.. शुभ मुहूर्त

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 7 दिसंबर को रात 11 बजकर 40 मिनट पर हो चुका है. यह तिथि आज 8 दिसंबर यानी आज रात 9 बजकर 25 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार, पंचमी तिथि आज मान्य है, ऐसे में विवाह पंचमी या श्रीराम विवाहोत्सव आज मनाया जाएगा.

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

पटना: 8 दिसंबर यानी आज विवाह पंचमी का शुभ मुहुर्त ( Vivah Panchami shubh muhurat ) है. त्रेतायुग में आज के दिन श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था. श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाई जाने वाली इस तिथि को विवाह पंचमी भी कहते हैं. भगवान राम को चेतना और माता सीता को प्रकृति शक्ति का प्रतीक माना जाता है. चेतना और प्रकृति के मिलन की वजह से ही यह दिन महत्वपूर्ण हो जाता है.

अग्रहायण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जगत जननी सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विवाह हुआ था. हिंदू धर्म में इस विवाह को सबसे पवित्र उदाहरण के रूप में पेश किया जाता है. इस तिथि को धर्म ग्रंथों में सबसे शुभ माना जाता है. लेकिन, मिथिला में ठीक इसका उल्टा है. मिथिला में लोग अग्रहायण मास की पंचमी अर्थात विवाह पंचमी को लड़के-लड़कियों की शादी नहीं करते हैं. इसके पीछे क्या तर्क है और यह परंपरा क्यों पुराने समय से चली आ रही है, आइये जानते हैं.

विवाह पंचमी के दिन मिथिला में पारंपरिक रूप से शादी ब्याह न होने के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं. कहा जाता है कि जगत जननी सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम राम का विवाह अग्रहायण मास की पंचमी को हुआ था और इस हिसाब से यह बहुत ही शुभ मुहूर्त है. लेकिन मिथिला में इस तिथि को शादी ब्याह की दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता है. सीता और राम की शादी भले ही काफी पवित्र मानी जाती हो, लेकिन यह शादी सफल नहीं मानी गई थी.

ये भी पढ़ें- राम जानकी मंदिर में नौ दिवसीय विवाह पंचमी महोत्सव का आयोजन, निकाली गई भव्य कलश शोभा यात्रा

इस शादी के बाद अयोध्या और जनकपुर के राजवंशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इसमें भी सबसे ज्यादा नुकसान माता सीता को हुआ था. राजमहल में पली-बढ़ी राजकुमारी सीता जब अपनी ससुराल अयोध्या पहुंची तो उन्हें राजमहल का सुख नहीं मिला. उनके पति श्री राम को 14 साल का वनवास मिला और माता सीता भी उनके साथ चली गईं.

वन में माता सीता को कई प्रकार के कष्ट सहने पड़े. दुराचारी रावण उनका हरण कर लंका ले गया और माता सीता को अशोक वाटिका में दिन-रात गुजारने पड़े. माता सीता को जब राम रावण को हराने के बाद वापस लेकर आए तब भी उन्हें अग्नि परीक्षा देनी पड़ी.

ये भी पढ़ें- अयोध्या से चली बारात नेपाल के जनकपुर पहुंची, राम और सीता का धूमधाम से हुआ तिलकोत्सव

नियति का खेल यहां पर भी नहीं रुका. माता सीता जब वापस अयोध्या पहुंची तो एक धोबी के तंज कसने पर भगवान श्री राम ने माता सीता को महल से निकाल दिया और आखिरकार माता सीता को उसी धरती माता की शरण लेनी पड़ी जिससे उनका अवतरण हुआ था. विद्वानों का कहना है कि इसी वजह से मिथिला के लोग इस मुहूर्त को शुभ नहीं मानते और इस दिन पारंपरिक तौर पर शादी ब्याह नहीं होते हैं.

आज के दिन विवाह के लिए अबूझ मुहुर्त यानी सबसे शुभ मुहुर्त माना जाता है, लेकिन मिथिला के लोग आज के दिन अपनी बेटियों का विवाह नहीं करते हैं. मान्यता है कि आज के दिन विवाह होने पर देवी सीता और भगवान का संपूर्ण वैवाहिक जीवन दुखों और कष्टों से भरा रहा था.

विवाह पंचमी.. शुभ मुहूर्त

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 7 दिसंबर को रात 11 बजकर 40 मिनट पर हो चुका है. यह तिथि आज 8 दिसंबर यानी आज रात 9 बजकर 25 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार, पंचमी तिथि आज मान्य है, ऐसे में विवाह पंचमी या श्रीराम विवाहोत्सव आज मनाया जाएगा.

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

Last Updated : Dec 8, 2021, 10:23 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.