पटना: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू पटना हाई स्कूल पहुंचे. इस दौरान उन्होंने छात्रों को सफलता के पांच मंत्र दिए. उन्होंने अपने संबोधन में मातृभाषा की प्रमुखता पर जोर दिया. उपराष्ट्रपति ने कहा कि छात्रों को मम्मी-डैडी कल्चर से दूर रहकर अपने देश की परंपरा और देश की नीति पर आधारित शिक्षा पर ध्यान देने की जरुरत है.
'मां में ही पिता भी सम्मिलित'
उपराष्ट्रपति ने छात्रों के संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए पांच बिंदुओं को हमेशा याद रखना चाहिए. जन्म देने वाली अपनी मां को कभी नहीं भूलें. जिन्होंने आपको जन्म दिया, उनको याद रखें, उनका सम्मान करें. यहां उन्होंने मां शब्द के अंग्रेजी अक्षरों को तोड़कर नए रूप में परिभाषित किया. उपराष्ट्रपति ने कहा कि मां में ही पिता भी सम्मिलित हैं, क्योंकि मां यानी महिला अंग्रेजी में जिसे 'WOMAN' अर्थात WO-MAN कहते हैं.
'गो, अर्न, लर्न एंड रिटायर'
वेंकैया नायडू ने अपने दूसरे मंत्र में जन्मभूमि को ना भूलने की नसीहत दी. उन्होंने कहा कि जहां आपका जन्म हुआ, उस स्थान को कभी ना भूलें. दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं, कितने ही उच्च पद पर क्यों ना पहुंच जाएं, वहां भी अपनी मातृभूमि की सेवा करें. सीखें, कमाएं, रिटायर करें. उपराष्ट्रपति ने यहां भी अंग्रेजी के शब्दों का सहारा लेकर अपनी बात बेहद दिलचस्प तरीके से छात्रों तक पहुंचाई. उन्होंने कहा गो, अर्न, लर्न एंड रिटायर.
'मम्मी-डैडी कल्चर को कहें बाय-बाय'
छात्रों को संबोधित करते हुए अपने तीसरे मंत्र में उपराष्ट्रपति ने मातृभाषा का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि मां के गर्भ से जो भाषा हमारी अपनी है उसे बढ़ावा देना चाहिए. हम सभी को अपनी मातृभाषा में बात करनी चाहिए, सीखनी चाहिए. ये विदेशों के मम्मी-डैडी कल्चर को बाय-बाय करना चाहिए. वेंकैया नायडू ने कहा कि अंग्रेजी पढ़ना-सीखना गलत नहीं, लेकिन अपनी मातृभाषा में प्रवीणता हासिल करो. उपराष्ट्रपति ने अनोखा उदाहरण देते हुए मातृभाषा की तुलना आंखों से की और विदेशी भाषा को चश्मे की उपमा दी. उन्होंने कहा कि आंखें हैं तो चश्मे काम आएंगे, आंखें नहीं हैं तो महंगे से महंगा चश्मा भी बेकार हो जाएगा.
'बिहारी हैं गर्व कीजिए, भारतीय हैं और गर्व कीजिए'
उपराष्ट्रपति ने चौथे मंत्र में मातृदेश को याद रखने की नसीहत दी. जिस देश में आपने जन्म लिया. उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहना चाहिए. समाज में सभी हमारे भाई-बंधु हैं. जाति-धर्म के बंधन से उपर उठकर सभी के लिए आदर-प्रेम सम्मान का भाव होना जरुरी है. भारत एक देश है. आप बिहारी हैं इसपर गर्व कीजिए लेकिन आप भारतीय हैं इसपर और गर्व कीजिए.
'गूगल कभी गुरु को रिप्लेस नहीं कर सकता'
पांचवें और आखिरी मंत्र में वेंकैया नायडू ने गुरु की अहमियत बताई. उन्होंने कहा कि अपने गुरू को कभी नहीं भूलें. गुरु सर्वोपरि हैं, उनसे ही आपको ज्ञान मिलता है. गूगल कभी गुरु को रिप्लेस नहीं कर सकता इसीलिए हमेशा उनका सम्मान करना चाहिए.