पटना: अगले साल यूपी में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) होना है. जेडीयू ने पहले ही 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, लेकिन इस बीच पार्टी में बड़ा बदलाव हुआ है. आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनने के बाद ललन सिंह (Lalan Singh) जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुके हैं. उनके सामने वैसे तो कई चुनौतियां हैं, लेकिन यूपी चुनाव उनके लिए पहली सियासी परीक्षा होगी. दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद ललन सिंह शुक्रवार को पहली बार पटना आ रहे हैं.
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आरसीपी सिंह लगातार यूपी का दौरा भी करते रहे हैं और दिल्ली में भी यूपी के नेताओं के साथ मीटिंग करते रहे हैं. पटना में भी उन्होंने कई बार मीटिंग की. अब ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जल्द ही यूपी के नेताओं के साथ बैठक करेंगे. आरसीपी सिंह के कार्यकाल के दौरान पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाया था और पुराने कार्यकारणी अभी भी काम कर रही है. हालांकि अब जल्द ही नई कार्यकारिणी का गठन हो सकता है. अभी जेडीयू के यूपी प्रभारी पार्टी के प्रधान महासचिव केसी त्यागी हैं.
केसी त्यागी ने ही सबसे पहले 200 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी दिल्ली में ही थे. ऐसे पार्टी की पूरी कोशिश है कि बीजेपी के साथ यूपी में तालमेल हो जाए और यदि तालमेल नहीं होता है तो बिहार से सटे यूपी के कई विधानसभा सीटों पर पार्टी की नजर है.
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि ललन सिंह के लिए पार्टी को एकजुट रखने के साथ-साथ जेडीयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना भी बड़ी चुनौती होगी. इसके लिए यह जरूरी है कि यूपी सहित जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, वहां पार्टी का बेहतर प्रदर्शन हो.
रवि उपाध्याय का कहना है कि ललन सिंह नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके हैं, इसलिए उन्हें इसका लाभ जरूर मिलेगा लेकिन इसके साथ ही उन्हें पीपुल फ्रेंडली भी होना होगा.
हालांकि जेडीयू के नेताओं को पूरा भरोसा है कि ललन सिंह के नेतृत्व में पार्टी का विस्तार होगा. अरविंद निषाद कहते हैं कि नीतीश कुमार का जो विकास मॉडल है. उसके कारण बिहार से सटे यूपी के क्षेत्रों पर भी प्रभाव है, उसका लाभ पार्टी को मिलेगा.
वहीं, जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि ललन सिंह के सामने कोई चुनौती नहीं है. वे तो बिहार में आतंक राज की समाप्ति के 'पॉलिटिकल सर्जन' रहे हैं. पार्टी को उन्होंने पहले भी नहीं ऊंचाई दी है, आगे भी मजबूती देंगे.
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जानकार कहते हैं कि ललन सिंह के सामने जो चुनौतियां हैं, उनमें बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू के खराब परफॉर्मेंस के बाद पार्टी को मजबूत करना, एकजुटता के साथ राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना और नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की टीम तैयार करना शामिल है. वहीं, यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव में पार्टी की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना सबसे पहली और अहम चुनौती होगी.
आपको याद दिलाएं कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने अपना कैंडिडेट नहीं दिया था, लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने वरिष्ठ नेताओं को साफ कर दिया है कि हम लोग चुनाव लड़ेंगे. अभी हाल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव को लेकर प्रस्ताव भी पास हो चुका है. पार्टी को पांचों राज्यों के चुनाव के लिए तैयारी करने के लिए कहा गया है. यूपी इसलिए भी खास है, क्योंकि बिहार का पड़ोसी राज्य है और जेडीयू का सबसे अधिक जनाधार बिहार में है और उसका लाभ यूपी के उन हिस्सों में मिल सकता है, जो बिहार से सटा हुआ है. लिहाजा यूपी चुनाव ललन सिंह के लिए एक बड़ा चैलेंज होने जा रहा है.