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'सरकार ने NRC के जरिए देश के लाखों लोगों को विदेशियों के रूप में छोड़ दिया'

असम में एनआरसी को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है.

प्रशांत किशोर
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Published : Sep 1, 2019, 9:33 PM IST

पटना: इन दिनों एनआरसी को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. इस मुद्दे को लेकर सभी नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर जारी है. प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि एनआरसी ने अपने देश में लाखों लोगों को विदेशियों के रूप में छोड़ दिया!
'लोगों को ऐसी कीमत तब चुकानी पड़ती है जब देश हित से बढ़कर राजनीति और बयानबाजी को तरजीह दी जाती है. क्योंकि तब रणनीतिक और संस्थागत चुनौतियों पर ध्यान दिए बिना राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जटिल मुद्दों का समाधान निकाला जाने लगता है.'

  • A botched up NRC leaves lakhs of people as foreigners in their own country!

    Such is the price people pay when political posturing & rhetoric is misunderstood as solution for complex issues related to national security without paying attention to strategic & systemic challenges.

    — Prashant Kishor (@PrashantKishor) September 1, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या है एनआरसी लिस्ट?
एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस राज्य में अवैध तरीके से घुस आए तथाकथित बंगलादेशियों के खिलाफ असम में हुए छह साल लंबे जनांदोलन का नतीजा है. इस जन आंदोलन के बाद असम समझौते पर दस्तखत हुए थे. साल 1986 में सिटिजनशिप ऐक्ट में संशोधन कर उसमें असम के लिए विशेष प्रावधान बनया गया.

असम में एनआरसी को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है.

इस रजिस्टर को पहली बार अपडेट किया जा रहा है. इसमें उन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर स्वीकार किया जाना है जो ये साबित कर पाएं कि वे 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे हैं.

बता दें कि ये वो तारीख है जिस दिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर अपनी आज़ादी की घोषणा की थी.

पटना: इन दिनों एनआरसी को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. इस मुद्दे को लेकर सभी नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर जारी है. प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि एनआरसी ने अपने देश में लाखों लोगों को विदेशियों के रूप में छोड़ दिया!
'लोगों को ऐसी कीमत तब चुकानी पड़ती है जब देश हित से बढ़कर राजनीति और बयानबाजी को तरजीह दी जाती है. क्योंकि तब रणनीतिक और संस्थागत चुनौतियों पर ध्यान दिए बिना राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जटिल मुद्दों का समाधान निकाला जाने लगता है.'

  • A botched up NRC leaves lakhs of people as foreigners in their own country!

    Such is the price people pay when political posturing & rhetoric is misunderstood as solution for complex issues related to national security without paying attention to strategic & systemic challenges.

    — Prashant Kishor (@PrashantKishor) September 1, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

क्या है एनआरसी लिस्ट?
एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस राज्य में अवैध तरीके से घुस आए तथाकथित बंगलादेशियों के खिलाफ असम में हुए छह साल लंबे जनांदोलन का नतीजा है. इस जन आंदोलन के बाद असम समझौते पर दस्तखत हुए थे. साल 1986 में सिटिजनशिप ऐक्ट में संशोधन कर उसमें असम के लिए विशेष प्रावधान बनया गया.

असम में एनआरसी को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है.

इस रजिस्टर को पहली बार अपडेट किया जा रहा है. इसमें उन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर स्वीकार किया जाना है जो ये साबित कर पाएं कि वे 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे हैं.

बता दें कि ये वो तारीख है जिस दिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर अपनी आज़ादी की घोषणा की थी.

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पटना: इन दिनों एनआरसी को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. इस मुद्दे को लेकर सभी नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर जारी है. प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि  एनआरसी ने अपने देश में लाखों लोगों को विदेशियों के रूप में छोड़ दिया!

'लोगों को ऐसी कीमत तब चुकानी पड़ती है जब देश हित से बढ़कर राजनीति और बयानबाजी को तरजीह दी जाती है. क्योंकि तब रणनीतिक और संस्थागत चुनौतियों पर ध्यान दिए बिना राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जटिल मुद्दों का समाधान निकाला जाने लगता है.'

क्या है एनआरसी लिस्ट?

एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस राज्य में अवैध तरीके से घुस आए तथाकथित बंगलादेशियों के खिलाफ असम में हुए छह साल लंबे जनांदोलन का नतीजा है. इस जन आंदोलन के बाद असम समझौते पर दस्तखत हुए थे. साल 1986 में सिटिजनशिप ऐक्ट में संशोधन कर उसमें असम के लिए विशेष प्रावधान बनया गया.

असम में एनआरसी को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है.

इस रजिस्टर को पहली बार अपडेट किया जा रहा है. इसमें उन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर स्वीकार किया जाना है जो ये साबित कर पाएं कि वे 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे हैं.

बता दें कि ये वो तारीख है जिस दिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर अपनी आज़ादी की घोषणा की थी.


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