पटनाः बिहार में बिजली संकट (Power Cut in Bihar) गहराने लगा है. एनटीपीसी में कोयले की कमी का असर अब राज्य में दिखने लगा है. राजधानी पटना सहित राज्य के अन्य हिस्सों में बिजली कटौती की जा रही है. यही वजह है कि बिजली की आंख मिचौली शुरू हो गयी है. गर्मी के इस मौसम में बिजली की कटौती से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. इस भीषण गर्मी में शहर में 4 घंटा और ग्रामीण इलाकों में 8 से 10 घंटे तक की बिजली कटौती हो रही है.
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SBPDCL प्रबंधक का दावा : इस बीच, बिहार एसबीपीडीसीएल (SBPDCL) प्रबंधक का दावा है कि बिहार में बिजली की कमी (Less power shortage in Bihar ) अब अन्य राज्यों की तुलना में कम है. दक्षिण बिहार विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महेंद्र कुमार ने की माने तो बिहार में अधिक डिमांड वाले समय में हमारे पास प्रतिदिन 5.5 से 6,000 मेगावाट बिजली की मांग होती है और हम मांग को लगभग पूरा कर रहे हैं."
"कुछ बिजली उत्पादन इकाइयों में ओवरलोड या किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या के कारण, हमें कभी-कभी 500 से 600 मेगावाट कम बिजली मिलती है, जिसके कारण विशिष्ट क्षेत्रों में हमारी बिजली आपूर्ति कुछ घंटों के लिए बाधित होती है. एसबीपीडीसीएल वर्तमान में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसीएल) सहित विभिन्न स्रोतों से बिजली प्राप्त कर रहा है और यदि ये सभी बिजली प्रदान करते हैं, तो कोई कमी नहीं होगी. चूंकि इस साल मार्च में ग्रीष्मकालीन सत्र शुरू हुआ था, इसलिए इन दिनों बिजली की खपत अधिक है." - महेंद्र कुमार, प्रबंध निदेशक, एसबीपीडीसीएल
दरअसल, जब उत्तर बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड की बात आती है, तो एसबीपीडीसीएल की तुलना में खपत थोड़ी कम होती है, क्योंकि उसके बाद पटना, गया, भागलपुर आदि जैसे प्रमुख शहरों को पूरा किया जाता था. बिहार में बिजली का उत्पादन वर्तमान में थर्मल यूनिट, हाइड्रोपावर यूनिट, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के माध्यम से किया जा रहा है. बिहार में एनटीपीसी की कहलगांव, बाढ़ और नबीनगर औरंगाबाद में इकाइयां हैं, जिनकी क्षमता 2,340, 1,320 और 1,320 मेगावाट बिजली पैदा करने की है.
बिहार सरकार बिजली नही खरीदती : ऊर्जा विभाग के संयुक्त सचिव विनोदानंद झा ने बताया, "राज्य सरकार ऊर्जा का उत्पादन नहीं करती है. हम एनटीपीसी जलविद्युत और पवन ऊर्जा कंपनियों से बिजली खरीदते हैं. इसलिए, राज्य में कोयले के मौजूदा स्टॉक को बताना मुश्किल है. कोयले की आवश्यकता केवल थर्मल इकाइयों के लिए होती है."
बिजली की खपत में बढ़ोतरी: अक्सर गर्मी के दिनों में बिजली की खपत बढ़ जाती है. इसका एकमात्र कारण है कि जिस तरह से तापमान में बढ़ोतरी होती है अधिकांश लोग कूलर, एसी, पंखा का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करने लगते हैं और लोग गर्मी से बचने के लिए अपने घरों में रहना ज्यादा पसंद करते हैं, जिसका नतीजा है कि इन दिनों प्रदेश के बिजली विभाग का पसीना छूट रहा है. प्रदेश को 6200 से 6500 मेगावाट बिजली की जरूरत है, लेकिन प्रदेश को 5000 से 5400 मेगावाट बिजली उपलब्ध हो पा रही है. बिजली विभाग के अधिकारी मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कटौती कर रहे है.
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