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आसान नहीं NDA में एकजुटता! कॉमन सिविल कोड पर बिहार में BJP और JDU के बीच बढ़ सकता है तनाव

बीजेपी अब अपने शासित राज्यों में कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) लागू करने की बात कह रही है. उत्तराखंड से इसकी शुरूआत हो रही है, लेकिन जदयू कई विवादित मुद्दों पर बीजेपी से अलग राय रखती रही है. ऐसे में आने वाले दिनों में जदयू और बीजेपी के बीच विवाद (Tension between BJP and JDU) बढ़ना तय है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

कॉमन सिविल कोड पर बीजेपी और जेडीयू में तनाव
कॉमन सिविल कोड पर बीजेपी और जेडीयू में तनाव
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Published : Apr 24, 2022, 9:14 PM IST

Updated : Apr 24, 2022, 10:48 PM IST

पटना: केंद्र में बीजेपी की बहुमत की सरकार बनने के बाद कई बड़े फैसले लिए गए हैं. बीजेपी ने अपने चुनावी वादे में राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक और 370 के साथ सीएए का जो वादा किया था वह पूरा हो गया है. बीजेपी कॉमन सिविल कोड लागू करने की बात भी कहती रही है. पार्टी ने चुनाव में वादा भी किया है और अब बीजेपी शासित राज्यों में इसे लागू करने जा रही है. उत्तराखंड में इसकी शुरुआत हो रही है, लेकिन जदयू कई विवादित मुद्दों पर बीजेपी से अलग राय रखती रही है.

ये भी पढ़ें- बिहार में हिजाब के बहाने कॉमन सिविल कोड की मांग तेज, BJP ने बताया जरूरी तो JDU-RJD ने जताया ऐतराज

CCC पर JDU और BJP में तनाव!: के बीच कॉमन सिविल कोड को लेकर भी हमेशा से नीतीश कुमार विरोध करते रहे हैं. जदयू का मानना रहा है कि यह खास समुदाय को ध्यान में रखकर लाया जा रहा है. बीजेपी के तरफ से जहां इस पर सहमति बनाए जाने की बात कही जा रही है तो वहीं जदयू का साफ करना है कि पहले से स्टैंड क्लियर है. ऐसे में जदयू और बीजेपी के बीच आने वाले दिनों में विवाद बढ़ना तय है.

कॉमन सिविल कोड पर बीजेपी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों भोपाल दौरे पर साफ कहा था राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक, सीएए और 370 धारा को लेकर जो वादा किया था वह पूरा हो गया है अब कॉमन सिविल कोड हम लोग लागू करेंगे. वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम में भी बीजेपी नेताओं की ओर से कॉमन सिविल कोड लागू करने की बात कही गई है. बिहार में भी बीजेपी के फायर ब्रांड नेताओं की तरफ से लगातार कॉमन सिविल कोड लागू करने की मांग उठाई जाती रही है. ऐसे में जब बिहार में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और अब बड़े भाई की भूमिका में भी नजर आ रही है बिहार में भी यह मांग जोर पकड़ने वाली है. बीजेपी के नेता इसके लिए तर्क भी दे रहे हैं.

''इस देश की जनता से जो भी वादा बीजेपी ने किया वो वादा हम पूरा कर रहे हैं. ये बीजेपी का सौभाग्य है कि देश के यशस्वी नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आ सरकार चल रही है. हम अपने वादों को पूरा कर रहे हैं. बिहार में कॉमन सिविल कोड को कैसे लागू करेंगे इस पर बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि हम लोग इस पर समन्वय बनाने की कोशिश करेंगे.''- मृत्युंजय झा, प्रवक्ता, बीजेपी


सीसीसी पर जदयू के स्टैंड क्लीयर: जदयू विवादित मुद्दों पर बीजेपी से अलग राय रखती रही है, लेकिन केंद्र में बीजेपी की बहुमत की सरकार बनने के बाद एक के बाद एक विवादित मुद्दे जो बीजेपी ने वादा किया था सब को लागू कर रही है. बिहार में नीतीश कुमार पहले से कॉमन सिविल कोड का विरोध करते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी नेताओं की तरफ से यह मांग जोर पकड़ता है तो विवाद बढ़ सकता है.

''बिहार में इस करह के मामलों को लेकर के पार्टी की ओर से तस्वीर और एजेंडा पहले ही क्लीयर कर दिया गया है. लेकिन इस तरह की बात अगर सामने आ रही है तो भारत सरकार जब इस पर कोई बिल लाएगी तो उस समय पार्टी की ओर से तस्वीर साफ की जाएगी. हम लोगों ने पहले ही इन सब मुद्दों को अलग रखकर बिहार के विकास के लिए काम किया है और पार्टी के नेता ने पहले से ही अपना स्टैंड साफ कर रखा है.''- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, जदयू

''यूनिफॉर्म सिविल कोड बिहार में एनडीए सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है, क्योंकि नीतीश कुमार का स्टैंड पहले से क्लियर है. एक तरफ बीजेपी अपने वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है तो वहीं विपक्ष और एनडीए के प्रमुख घटक दल जदयू इसको लेकर सहमत नहीं है. ऐसे में 2024 चुनाव से पहले नीतीश कुमार इसको लेकर बड़ा फैसला भी ले सकते हैं.''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

क्या है समान नागरिक संहिता?: कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है जो देश के हर समुदाय पर लागू होगा. वह किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या समुदाय का हो उसके लिए एक ही कानून होगा. अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े हुए कानूनों को भारतीय दंड संहिता 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम 18 70, विशिष्ट राहत और अधिनियम 18 77 आदि के माध्यम से सब पर लागू किया. लेकिन, शादी विवाह, तलाक, उत्तराधिकारी, संपत्ति आदि से जुड़े मसलों को सभी धार्मिक समूह के लिए उनकी मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया था.

जवाहरलाल नेहरू ने खत्म किए हिंदू पर्सनल लॉ: इन्हीं सिविल कानूनों में से हिंदुओं वाले पर्सनल कानूनों को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खत्म कर दिया और मुस्लिमों को इससे अलग रखा था. इसी को लेकर हमेशा विवाद होता रहता है. हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं के तहत जारी कानूनों को निरस्त कर हिंदू कोड बिल के जरिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956, हिंदू नाबालिग एवं अभिभावक अधिनियम 1956, हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम 1956 लागू कर दिया गया. मुस्लिमों के लिए उनके पर्सनल लॉ को बनाकर रखा गया. इसके कारण मुस्लिम आरोपितों या अभियोजकों के मामले में और इस्लामिक रीति रिवाज से सुनवाई होती है.

बीजेपी 2024 से पहले इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है. कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है, इसलिए वहां आसानी से कॉमन सिविल कोड लागू हो जाएगा. लेकिन, जिन राज्यों में सहयोगी दलों के साथ सरकार चला रही है वहां और जहां बीजेपी की सरकार नहीं है दोनों स्थानों पर लागू करना फिलहाल आसान नहीं होगा, लेकिन बिहार जैसे राज्य जहां लंबे समय से बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन है यह मुद्दा बड़ा विवाद का कारण बन सकता है.

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पटना: केंद्र में बीजेपी की बहुमत की सरकार बनने के बाद कई बड़े फैसले लिए गए हैं. बीजेपी ने अपने चुनावी वादे में राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक और 370 के साथ सीएए का जो वादा किया था वह पूरा हो गया है. बीजेपी कॉमन सिविल कोड लागू करने की बात भी कहती रही है. पार्टी ने चुनाव में वादा भी किया है और अब बीजेपी शासित राज्यों में इसे लागू करने जा रही है. उत्तराखंड में इसकी शुरुआत हो रही है, लेकिन जदयू कई विवादित मुद्दों पर बीजेपी से अलग राय रखती रही है.

ये भी पढ़ें- बिहार में हिजाब के बहाने कॉमन सिविल कोड की मांग तेज, BJP ने बताया जरूरी तो JDU-RJD ने जताया ऐतराज

CCC पर JDU और BJP में तनाव!: के बीच कॉमन सिविल कोड को लेकर भी हमेशा से नीतीश कुमार विरोध करते रहे हैं. जदयू का मानना रहा है कि यह खास समुदाय को ध्यान में रखकर लाया जा रहा है. बीजेपी के तरफ से जहां इस पर सहमति बनाए जाने की बात कही जा रही है तो वहीं जदयू का साफ करना है कि पहले से स्टैंड क्लियर है. ऐसे में जदयू और बीजेपी के बीच आने वाले दिनों में विवाद बढ़ना तय है.

कॉमन सिविल कोड पर बीजेपी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों भोपाल दौरे पर साफ कहा था राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक, सीएए और 370 धारा को लेकर जो वादा किया था वह पूरा हो गया है अब कॉमन सिविल कोड हम लोग लागू करेंगे. वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम में भी बीजेपी नेताओं की ओर से कॉमन सिविल कोड लागू करने की बात कही गई है. बिहार में भी बीजेपी के फायर ब्रांड नेताओं की तरफ से लगातार कॉमन सिविल कोड लागू करने की मांग उठाई जाती रही है. ऐसे में जब बिहार में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और अब बड़े भाई की भूमिका में भी नजर आ रही है बिहार में भी यह मांग जोर पकड़ने वाली है. बीजेपी के नेता इसके लिए तर्क भी दे रहे हैं.

''इस देश की जनता से जो भी वादा बीजेपी ने किया वो वादा हम पूरा कर रहे हैं. ये बीजेपी का सौभाग्य है कि देश के यशस्वी नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आ सरकार चल रही है. हम अपने वादों को पूरा कर रहे हैं. बिहार में कॉमन सिविल कोड को कैसे लागू करेंगे इस पर बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि हम लोग इस पर समन्वय बनाने की कोशिश करेंगे.''- मृत्युंजय झा, प्रवक्ता, बीजेपी


सीसीसी पर जदयू के स्टैंड क्लीयर: जदयू विवादित मुद्दों पर बीजेपी से अलग राय रखती रही है, लेकिन केंद्र में बीजेपी की बहुमत की सरकार बनने के बाद एक के बाद एक विवादित मुद्दे जो बीजेपी ने वादा किया था सब को लागू कर रही है. बिहार में नीतीश कुमार पहले से कॉमन सिविल कोड का विरोध करते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी नेताओं की तरफ से यह मांग जोर पकड़ता है तो विवाद बढ़ सकता है.

''बिहार में इस करह के मामलों को लेकर के पार्टी की ओर से तस्वीर और एजेंडा पहले ही क्लीयर कर दिया गया है. लेकिन इस तरह की बात अगर सामने आ रही है तो भारत सरकार जब इस पर कोई बिल लाएगी तो उस समय पार्टी की ओर से तस्वीर साफ की जाएगी. हम लोगों ने पहले ही इन सब मुद्दों को अलग रखकर बिहार के विकास के लिए काम किया है और पार्टी के नेता ने पहले से ही अपना स्टैंड साफ कर रखा है.''- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, जदयू

''यूनिफॉर्म सिविल कोड बिहार में एनडीए सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है, क्योंकि नीतीश कुमार का स्टैंड पहले से क्लियर है. एक तरफ बीजेपी अपने वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है तो वहीं विपक्ष और एनडीए के प्रमुख घटक दल जदयू इसको लेकर सहमत नहीं है. ऐसे में 2024 चुनाव से पहले नीतीश कुमार इसको लेकर बड़ा फैसला भी ले सकते हैं.''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

क्या है समान नागरिक संहिता?: कॉमन सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है जो देश के हर समुदाय पर लागू होगा. वह किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या समुदाय का हो उसके लिए एक ही कानून होगा. अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े हुए कानूनों को भारतीय दंड संहिता 1860 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम 18 70, विशिष्ट राहत और अधिनियम 18 77 आदि के माध्यम से सब पर लागू किया. लेकिन, शादी विवाह, तलाक, उत्तराधिकारी, संपत्ति आदि से जुड़े मसलों को सभी धार्मिक समूह के लिए उनकी मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया था.

जवाहरलाल नेहरू ने खत्म किए हिंदू पर्सनल लॉ: इन्हीं सिविल कानूनों में से हिंदुओं वाले पर्सनल कानूनों को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खत्म कर दिया और मुस्लिमों को इससे अलग रखा था. इसी को लेकर हमेशा विवाद होता रहता है. हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं के तहत जारी कानूनों को निरस्त कर हिंदू कोड बिल के जरिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956, हिंदू नाबालिग एवं अभिभावक अधिनियम 1956, हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम 1956 लागू कर दिया गया. मुस्लिमों के लिए उनके पर्सनल लॉ को बनाकर रखा गया. इसके कारण मुस्लिम आरोपितों या अभियोजकों के मामले में और इस्लामिक रीति रिवाज से सुनवाई होती है.

बीजेपी 2024 से पहले इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है. कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है, इसलिए वहां आसानी से कॉमन सिविल कोड लागू हो जाएगा. लेकिन, जिन राज्यों में सहयोगी दलों के साथ सरकार चला रही है वहां और जहां बीजेपी की सरकार नहीं है दोनों स्थानों पर लागू करना फिलहाल आसान नहीं होगा, लेकिन बिहार जैसे राज्य जहां लंबे समय से बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन है यह मुद्दा बड़ा विवाद का कारण बन सकता है.

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Last Updated : Apr 24, 2022, 10:48 PM IST
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