पटना: बिहार की राजधानी पटना में बिहार सरकार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मंगलवार को कहा कि चौथे कृषि रोडमैप के निर्माण में अधिकारियों की कोई भूमिका (Sudhakar singh statement on Agriculture Road Map) नहीं होगी. उनके इस बयान ने एक बार फिर उनकी अधिकारियों से दूरी और चिढ़ के जगजाहिर कर दिया है. उन्होंने कहा है कि बिहार में इस बार जो कृषि रोड मैप बन रहा है उसमे अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं होगी. कृषि रोड मैप के लिए लगातार कृषि विशेषज्ञ, जानकार किसान और कृषि क्षेत्र के कारोबारी के साथ बैठक कर विचार कर रहे हैं.
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किसानों के हित में होगा चौथा रोडमैपः कृषि रोड मैप को लेकर कृषि मंत्री ने कहा कि हम इस बात पर विचार कर रहें हैं कि चौथा कृषि रोड मैप कैसा हो, जिससे किसानों को फायदा हो.सबसे पहले हम इस रोड मैप को अलग तरह का बनाना चाहते हैं, जो पहले से अलग हो. यही कारण है कि अधिकारियों को इससे अलग रखा गया है. उन्होंने कहा कि कृषि विशेषज्ञ या अनुभवी किसान या कृषि से जुड़े कारोबारी जिनसे हम बात कर रहे हैं, हमें उम्मीद है कि उनके सुझाव से जो नया कृषि रोड मैप तैयार होगा वो बिहार के किसानों के हित में होगा. कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि हम चाहते है कि जो भी योजना हम चलाए उसका लाभ किसानों को हो. इसको आधार बनाकर ही हम कृषि रोडमैप बना रहे हैं, जो जल्द ही लागू होगी और किसानों को नए कृषि रोड मैप से भरपूर लाभ होगा. उन्होंने कहा कि इस कृषि रोड मैप में कई विभागों के सहयोग की जरूरत है. इसके लिए भी हम विभाग से बात कर रहे हैं.
"चौथे कृषि रोड मैप जिसकी तैयारी हम कर रहे हैं, उसमें अधिकारियों की भूमिका नहीं होगी. हम एक अलग कृषि रोडमैप बनाना चाहते हैं, जिससे किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा हाे. इसलिए इससे अधिकारियों को दूर रखा गया है" - सुधाकर सिंह, कृषि मंत्री बिहार सरकार
कृषि मंत्री ने चल रहे कृषि रोडमैप को बताया था बकवासः गौरतलब हो कि, मंत्री बनते ही सुधाकर सिंह ने बिहार के चल रहे कृषि रोड मैप को बकवास बताया था. उन्होंने कहा था कि तीन कृषि रोड मैप बनाया गया, लेकिन किसानों को बिहार में इससे कोई फायदा नहीं हुआ है. अपने ही विभाग के अधिकारियों पर भी उन्होंने जमकर निशाना साधा था और विभाग में भ्रष्टाचार की बात कही थी. कहीं ना कहीं यही कारण रहा की इस बार कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अधिकारियों को कृषि संबंधी योजना से अलग करना शुरू कर दिया है और इनकी भूमिका को ही कतरने में लग गए हैं. अब देखना है की नीतीश कुमार जो मंत्री से ज्यादा अपने अधिकारी पर भरोसा कर योजना का क्रियान्वयन बिहार में करते रहें है इस बार कृषि रोड मैप को बिना अधिकारी के सहभागिता से आगे बढ़ाते है की नहीं.
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