पटना: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एससी-एसटी क्रीमी लेयर को आरक्षण नहीं देने की अपील की है. यह मामला कई सालों से लंबित चल रहा है. मोदी सरकार एक बार फिर इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. इसको लेकर प्रदेश में बयानबाजी शुरू हो गई है.
आरक्षण मामले में बयानबाजी
इस मुद्दे का एक तरफ जहां विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा की सहयोगी दल जदयू का भी केंद्र को साथ नहीं मिल रहा है. कांग्रेस का कहना है कि यह एक बड़ा मुद्दा है, इसपर सदन में बहस होने के बाद ही निर्णय लेना चाहिए. वहीं, जदयू का कहना है कि पंचायत में आरक्षण ने देश में एकता की मिसाल कायम की है.
'आरक्षण के मामले पर व्यापक बहस की जरुरत'
कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि जिस तरह से गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण दिया गया है, उसी तरह एससी एसटी क्रीमी लेयर आरक्षण के मसले पर भी संसद में व्यापक बहस होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में समाज के निचले तबके के लोगों को आगे लाने के लिए आरक्षण लागू किया गया है. इसमें बदलाव करने से पहले सरकार को व्यापक बहस कर निर्णय लेना ही सभी के हित में सही होगा.
जदयू ने किया आरक्षण का समर्थन
वहीं, इस मसले पर भाजपा की सहयोगी जदयू भी आरक्षण के पक्ष में बयान दे रही है. बिहार सरकार के सूचना और जनसंपर्क मंत्री और जदयू नेता नीरज कुमार ने कहा कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को आगे लाने के लिए आरक्षण लागू किया गया था. नीतीश सरकार में दलित, महादलित और अति पिछड़ा वर्ग के लोगों में आरक्षण को बेहतर ढंग से लागू कर देश में एकता की मिसाल कायम की गई है.
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