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पंचायत चुनाव: वोटिंग और काउंटिंग के दिन क्षेत्र में 'माननीयों' के भ्रमण पर रोक

बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने कमर कस ली है. प्रदेश में पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर आयोग ने मतदान और मतगणना के दिन माननीयों के दौरे पर रोक लगा दी है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

बिहार पंचायत चुनाव
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Published : Sep 14, 2021, 3:56 PM IST

Updated : Sep 14, 2021, 4:26 PM IST

पटना: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर के राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) के द्वारा रोज नए-नए निर्देश जारी किए जा रहे हैं. इस कड़ी में राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान (Voting) और मतगणना (Counting of Votes) के दिन मंत्री, सांसद, विधायक और पार्षद के दौरे पर रोक लगा दी है.

ये भी पढ़ें- पंचायत चुनाव: तीसरे चरण के लिए 50 प्रखंडों में 16 से शुरू होगा नामांकन

राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा लेटर जारी कर ये निर्देश जारी किए गए हैं कि पिछले पंचायत चुनाव के दौरान आयोग को ऐसी कई शिकायतें प्राप्त हुई थी, जिसमें राज्य सरकार के कई मंत्रियों और विधायकों द्वारा मतदान तिथि के दिन मतदान केंद्र पर जाकर मतदाताओं और मतदान कर्मियों को उम्मीदवार विशेष के पक्ष में वोट डालने के लिए दबाव डाला गया था.

देखें रिपोर्ट

मंत्रियों के द्वारा सरकारी वाहनों और उनके साथ प्रतिनियुक्त सुरक्षाबलों का दुरुपयोग करते हुए मतदाता और मतदान कर्मियों को प्रभावित करने की भी शिकायतें आयोग को मिली थी. ऐसी घटना से निर्वाचन की निष्पक्षता संदेह के घेरे में आ जाती है. साथ ही मतदान प्रक्रिया प्रभावित होने की प्रबल संभावना बनती है.

ये भी पढ़ें- पंचायत चुनाव का आया पहला रूझान, जिला परिषद सदस्य के रूप में निर्विरोध चुनी गईं दुलारी देवी!

वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा पिछली घटना को देखते हुए इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने वोटिंग के दिन शाम 5 बजे तक मतदान खत्म होने तक मंत्री, विधायक, पार्षद और सांसदों के दौरे पर रोक लगा दी गई है.

अगर किसी मंत्री, विधायक, पार्षद या सांसद का नाम किसी पंचायत निर्वाचन की मतदाता सूची में दर्ज है, तो वो इस निर्वाचन में अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहते हैं तो उन्हें सिर्फ अपना वोट डालने के लिए संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के लिए स्थापित मतदान केंद्र में जाने की अनुमति दी जाएगी. वो सिर्फ वोट डालेंगे और फिर तुरंत बाहर चले आएंगे.

ये भी पढ़ें- मुंबई में छोड़ी लाखों की नौकरी, अब बिहार पंचायत चुनाव में आजमा रहीं किस्मत

साथ ही मतदान केंद्र पर जाने और मतदान केंद्र से वापस आने के लिए सरकारी वाहन का उपयोग नहीं कर सकेंगे. मंत्री की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से प्रतिनियुक्त सशस्त्र बल और सरकारी वाहन का भी इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. अंगरक्षक मतदान केंद्र परिसर में प्रवेश नहीं करेंगे. बल्कि, मतदान केंद्र परिसर से बाहर मंत्री, सांसद और विधायक की वापसी की प्रतीक्षा करेंगे.

वहीं, मतदान की तिथि के अतिरिक्त मतगणना अवधि में भी यह प्रक्रिया मंत्री, विधायक और सांसदों के लिए लागू रहेगा. हालांकि, पत्र में ये भी लिखा हुआ है कि किसी प्राकृतिक आपदा, सांप्रदायिक दंगा और हंगामे के दौरान मंत्री, विधायक और सांसद प्रशासन को मदद करने के लिए और क्षेत्र में अमन चैन बनाए रखने के लिए संबंधित क्षेत्र में जाना अगर आवश्यक हो, तो उस परिस्थिति में यह पाबंदी लागू नहीं होगी.

ये भी पढ़ें- औरंगाबाद: मुखिया प्रत्याशी ने निकाला वाहनों का काफिला, BDO ने दिया प्राथमिकी का निर्देश

कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि राज्य निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष पंचायत चुनाव कराने को लेकर बिहार सरकार के मंत्री और सांसद मतदान और मतगणना के दिन क्षेत्र में भ्रमण पर नहीं निकल सकते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन नहीं करने वाले मंत्री, विधायक और सांसद के ऊपर आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में कार्रवाई भी की जाएगी.

पटना: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर के राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) के द्वारा रोज नए-नए निर्देश जारी किए जा रहे हैं. इस कड़ी में राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदान (Voting) और मतगणना (Counting of Votes) के दिन मंत्री, सांसद, विधायक और पार्षद के दौरे पर रोक लगा दी है.

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राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा लेटर जारी कर ये निर्देश जारी किए गए हैं कि पिछले पंचायत चुनाव के दौरान आयोग को ऐसी कई शिकायतें प्राप्त हुई थी, जिसमें राज्य सरकार के कई मंत्रियों और विधायकों द्वारा मतदान तिथि के दिन मतदान केंद्र पर जाकर मतदाताओं और मतदान कर्मियों को उम्मीदवार विशेष के पक्ष में वोट डालने के लिए दबाव डाला गया था.

देखें रिपोर्ट

मंत्रियों के द्वारा सरकारी वाहनों और उनके साथ प्रतिनियुक्त सुरक्षाबलों का दुरुपयोग करते हुए मतदाता और मतदान कर्मियों को प्रभावित करने की भी शिकायतें आयोग को मिली थी. ऐसी घटना से निर्वाचन की निष्पक्षता संदेह के घेरे में आ जाती है. साथ ही मतदान प्रक्रिया प्रभावित होने की प्रबल संभावना बनती है.

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वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा पिछली घटना को देखते हुए इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने वोटिंग के दिन शाम 5 बजे तक मतदान खत्म होने तक मंत्री, विधायक, पार्षद और सांसदों के दौरे पर रोक लगा दी गई है.

अगर किसी मंत्री, विधायक, पार्षद या सांसद का नाम किसी पंचायत निर्वाचन की मतदाता सूची में दर्ज है, तो वो इस निर्वाचन में अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहते हैं तो उन्हें सिर्फ अपना वोट डालने के लिए संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के लिए स्थापित मतदान केंद्र में जाने की अनुमति दी जाएगी. वो सिर्फ वोट डालेंगे और फिर तुरंत बाहर चले आएंगे.

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साथ ही मतदान केंद्र पर जाने और मतदान केंद्र से वापस आने के लिए सरकारी वाहन का उपयोग नहीं कर सकेंगे. मंत्री की सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से प्रतिनियुक्त सशस्त्र बल और सरकारी वाहन का भी इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. अंगरक्षक मतदान केंद्र परिसर में प्रवेश नहीं करेंगे. बल्कि, मतदान केंद्र परिसर से बाहर मंत्री, सांसद और विधायक की वापसी की प्रतीक्षा करेंगे.

वहीं, मतदान की तिथि के अतिरिक्त मतगणना अवधि में भी यह प्रक्रिया मंत्री, विधायक और सांसदों के लिए लागू रहेगा. हालांकि, पत्र में ये भी लिखा हुआ है कि किसी प्राकृतिक आपदा, सांप्रदायिक दंगा और हंगामे के दौरान मंत्री, विधायक और सांसद प्रशासन को मदद करने के लिए और क्षेत्र में अमन चैन बनाए रखने के लिए संबंधित क्षेत्र में जाना अगर आवश्यक हो, तो उस परिस्थिति में यह पाबंदी लागू नहीं होगी.

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कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि राज्य निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष पंचायत चुनाव कराने को लेकर बिहार सरकार के मंत्री और सांसद मतदान और मतगणना के दिन क्षेत्र में भ्रमण पर नहीं निकल सकते हैं. राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन नहीं करने वाले मंत्री, विधायक और सांसद के ऊपर आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में कार्रवाई भी की जाएगी.

Last Updated : Sep 14, 2021, 4:26 PM IST
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