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बीमार लोगों के लिए 'काल' बन रहा ओमीक्रोन! कोरोना केस में गिरावट के बावजूद नहीं थम रहा मौतों का सिलसिला - etv bharat

बिहार में कोरोना केस में कमी आने के बावजूद मौत का आंकड़ा थम नहीं रहा है. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि संक्रमण की रफ्तार (Bihar Corona Update) भले ही काफी कम हुई है, लेकिन सतर्कता बरतने की अभी भी जरूरत है. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार में कोरोना संक्रमण
बिहार में कोरोना संक्रमण
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Published : Jan 26, 2022, 8:45 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण (Corona Infection in Bihar) के नए मामलों में हाल के दिनों में गिरावट का ट्रेंड सामने आया है. हॉस्पिटलाइजेशन की संख्या भी घटी है, लेकिन कोरोना से होने वाली मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस महीने अब तक 26 दिनों में सरकारी आंकड़े के अनुसार कोरोना से 101 मौत स्वास्थ विभाग ने दर्ज की है. 31 दिसंबर को प्रदेश में जहां 12,096 मौत कोरोना के कारण दर्ज थी, वहीं 26 जनवरी को स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर कोरोना से मौत का आंकड़ा बढ़कर 12,197 हो गया है.

ये भी पढ़ें- कोरोना संक्रमण की थमी रफ्तार, मंगलवार को पटना में मिले 279 मरीज, बावजूद एक्सपर्ट ने चेताया

मौतों का यह आंकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि कई प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना से होने वाली मौत स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर कुछ दिनों के बाद एड की जाती है. संक्रमण की तीसरी लहर में मरने वालों में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों की संख्या काफी अधिक है. 0 से 14 वर्ष के कई बच्चों ने भी संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवा दी है. चिकित्सकों का कहना है कि जो लोग पहले से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनमें ओमीक्रोन अधिक घातक हो जा रहा है, जो मरीज की मौत होने का एक प्रमुख कारण बन रहा (Sick people dying from Corona new variant Omicron) है. विगत 2 दिनों में पीएमसीएच और पटना एम्स में दो मासूमों की जानें गई हैं.

बिहार में कोरोना केस में गिरावट लेकिन नहीं थम रही मौतें

पटना के पीएमसीएच के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमन कुमार ने बताया कि इस बार कोरोना की तीसरी लहर बहुत घातक तो नहीं हैं, लेकिन मौत हो रही हैं. इसके पीछे वजह यह है कि जो लोग पहले से प्री एक्जिस्टिंग डिजीज से परेशान हैं, जैसे कोई डायबिटिक है तो कोई हाइपरटेंशन के शिकार हैं, किन्ही को डायलिसिस चल रही है और इस प्रकार की अन्य बीमारियां हैं तो ओमीक्रोन जानलेवा हो जा रहा है. पीएमसीएच में हाल ही में जो 1 साल 4 माह के बच्चे की मौत हुई है, उसे पहले से मेंजाईटीस था. उन्होंने कहा कि जो पहले से इस प्रकार की बीमारी से परेशान है, कोरोना होने के बाद उनकी बीमारी और बढ़ जा रही है, क्योंकि कोरोना शरीर के इम्यून सिस्टम को और डिप्रेस कर देता है और इस स्थिति में मरीज की मौत होने के चांसेस बढ़ जाते हैं.

डॉक्टर सुमन कुमार ने बताया कि यह नहीं कह सकते हैं कि बीमार लोगों के लिए भी संक्रमण की तीसरी लहर का ओमीक्रोन वैरिएंट, संक्रमण की दूसरी लहर का डेल्टा वैरिएंट जितना ही खतरनाक है, लेकिन पहले से बीमार लोगों को ओमीक्रोन अधिक परेशानी बढ़ा दे रहा है. ओमीक्रोन वैरिएंट का लोगों के लंग्स के ऊपर डायरेक्ट असर नहीं दिख रहा है. संक्रमण की दूसरी लहर में जिस प्रकार ऑक्सीजन की रिक्वायरमेंट मरीजों को पड़ी थी, वैसा देखने को इस बार नहीं मिल रहा है. ओमीक्रोन की वजह से शरीर में पहले से जो बीमारी है वह गंभीर रूप ले ले रही है. यही मौत का कारण भी बन रही है.

ये भी पढ़ें- तीसरी लहर में दिख रहा सेकंड वेब का असर, अन्य बीमारी की चपेट में आए डेल्टा वैरिएंट से ठीक हुए लोग

उन्होंने बताया कि 20 से 50 वर्ष के लोगों की मौत इसलिए अधिक हो रही है, क्योंकि यह लोग अपने हेल्थ को लेकर थोड़ा लापरवाह रहते हैं. हॉस्पिटलाइजेशन के बाद शरीर में अन्य बीमारियों का पता चलता है और उस वक्त पता चलता है कि यह बीमारी पहले से शरीर में है. नियमित हेल्थ चेकअप नहीं कराते और रिस्क जोन में रहते हैं. संक्रमण होने के बाद भी प्रिकॉशन बरतने के बजाए रिस्क टेकिंग बिहेवियर शो करते हैं. उन्होंने बताया कि बीमार लोगों को भी बचने का वही उपाय है जो सभी के लिए है. संक्रमण के लक्षण नजर आने पर खुद को आइसोलेट करें और सरकार का कोरोना को लेकर जो कुछ दिशा निर्देश है, उसे गंभीरता पूर्वक पालन करें और अपना वैक्सीनेशन का डोज जरूर कंप्लीट करें.

डॉक्टर सुमन कुमार ने बताया कि भले ही प्रदेश में अभी के समय संक्रमण के मामले कम आ रहे हैं, लेकिन यह भी ध्यान देना होगा कि स्वेच्छा से संक्रमण की जांच कराने वाले लोगों की भी संख्या घटी है. इस बार लोगों को पता चल गया है कि संक्रमण हल्का लक्षण दिखा रहा है और दो-तीन दिन सर्दी खांसी रहने के बाद ठीक हो जा रहा है. ऐसे में संक्रमण के लक्षण दिखने पर लोग खुद को आइसोलेट कर ले रहे हैं और कोरोना मानकर ही जांच केंद्र पर जांच कराने नहीं जा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि अभी भी देश में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और इपिडिमोलॉजिस्ट आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि संक्रमण का पिक आना अभी बाकी है और यह पिक फरवरी के पहले सप्ताह में आएगा और अचानक नए मामलों की संख्या में तेजी से डाउनफॉल होगा. उन्होंने बताया कि अभी इस समय क्योंकि संक्रमण का पिक नहीं आया है इसलिए लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है और कोरोना गाइडलाइंस को पालन करते रहना है.

ये भी पढ़ें- आखिर किसकी लापरवाही?.. डॉक्टर ने कहा- कहीं और ले जाइये, परिजनों के अड़े रहने से बुजुर्ग की कोरोना से गई जान

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पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण (Corona Infection in Bihar) के नए मामलों में हाल के दिनों में गिरावट का ट्रेंड सामने आया है. हॉस्पिटलाइजेशन की संख्या भी घटी है, लेकिन कोरोना से होने वाली मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस महीने अब तक 26 दिनों में सरकारी आंकड़े के अनुसार कोरोना से 101 मौत स्वास्थ विभाग ने दर्ज की है. 31 दिसंबर को प्रदेश में जहां 12,096 मौत कोरोना के कारण दर्ज थी, वहीं 26 जनवरी को स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर कोरोना से मौत का आंकड़ा बढ़कर 12,197 हो गया है.

ये भी पढ़ें- कोरोना संक्रमण की थमी रफ्तार, मंगलवार को पटना में मिले 279 मरीज, बावजूद एक्सपर्ट ने चेताया

मौतों का यह आंकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि कई प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना से होने वाली मौत स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर कुछ दिनों के बाद एड की जाती है. संक्रमण की तीसरी लहर में मरने वालों में 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों की संख्या काफी अधिक है. 0 से 14 वर्ष के कई बच्चों ने भी संक्रमण की वजह से अपनी जान गंवा दी है. चिकित्सकों का कहना है कि जो लोग पहले से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनमें ओमीक्रोन अधिक घातक हो जा रहा है, जो मरीज की मौत होने का एक प्रमुख कारण बन रहा (Sick people dying from Corona new variant Omicron) है. विगत 2 दिनों में पीएमसीएच और पटना एम्स में दो मासूमों की जानें गई हैं.

बिहार में कोरोना केस में गिरावट लेकिन नहीं थम रही मौतें

पटना के पीएमसीएच के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुमन कुमार ने बताया कि इस बार कोरोना की तीसरी लहर बहुत घातक तो नहीं हैं, लेकिन मौत हो रही हैं. इसके पीछे वजह यह है कि जो लोग पहले से प्री एक्जिस्टिंग डिजीज से परेशान हैं, जैसे कोई डायबिटिक है तो कोई हाइपरटेंशन के शिकार हैं, किन्ही को डायलिसिस चल रही है और इस प्रकार की अन्य बीमारियां हैं तो ओमीक्रोन जानलेवा हो जा रहा है. पीएमसीएच में हाल ही में जो 1 साल 4 माह के बच्चे की मौत हुई है, उसे पहले से मेंजाईटीस था. उन्होंने कहा कि जो पहले से इस प्रकार की बीमारी से परेशान है, कोरोना होने के बाद उनकी बीमारी और बढ़ जा रही है, क्योंकि कोरोना शरीर के इम्यून सिस्टम को और डिप्रेस कर देता है और इस स्थिति में मरीज की मौत होने के चांसेस बढ़ जाते हैं.

डॉक्टर सुमन कुमार ने बताया कि यह नहीं कह सकते हैं कि बीमार लोगों के लिए भी संक्रमण की तीसरी लहर का ओमीक्रोन वैरिएंट, संक्रमण की दूसरी लहर का डेल्टा वैरिएंट जितना ही खतरनाक है, लेकिन पहले से बीमार लोगों को ओमीक्रोन अधिक परेशानी बढ़ा दे रहा है. ओमीक्रोन वैरिएंट का लोगों के लंग्स के ऊपर डायरेक्ट असर नहीं दिख रहा है. संक्रमण की दूसरी लहर में जिस प्रकार ऑक्सीजन की रिक्वायरमेंट मरीजों को पड़ी थी, वैसा देखने को इस बार नहीं मिल रहा है. ओमीक्रोन की वजह से शरीर में पहले से जो बीमारी है वह गंभीर रूप ले ले रही है. यही मौत का कारण भी बन रही है.

ये भी पढ़ें- तीसरी लहर में दिख रहा सेकंड वेब का असर, अन्य बीमारी की चपेट में आए डेल्टा वैरिएंट से ठीक हुए लोग

उन्होंने बताया कि 20 से 50 वर्ष के लोगों की मौत इसलिए अधिक हो रही है, क्योंकि यह लोग अपने हेल्थ को लेकर थोड़ा लापरवाह रहते हैं. हॉस्पिटलाइजेशन के बाद शरीर में अन्य बीमारियों का पता चलता है और उस वक्त पता चलता है कि यह बीमारी पहले से शरीर में है. नियमित हेल्थ चेकअप नहीं कराते और रिस्क जोन में रहते हैं. संक्रमण होने के बाद भी प्रिकॉशन बरतने के बजाए रिस्क टेकिंग बिहेवियर शो करते हैं. उन्होंने बताया कि बीमार लोगों को भी बचने का वही उपाय है जो सभी के लिए है. संक्रमण के लक्षण नजर आने पर खुद को आइसोलेट करें और सरकार का कोरोना को लेकर जो कुछ दिशा निर्देश है, उसे गंभीरता पूर्वक पालन करें और अपना वैक्सीनेशन का डोज जरूर कंप्लीट करें.

डॉक्टर सुमन कुमार ने बताया कि भले ही प्रदेश में अभी के समय संक्रमण के मामले कम आ रहे हैं, लेकिन यह भी ध्यान देना होगा कि स्वेच्छा से संक्रमण की जांच कराने वाले लोगों की भी संख्या घटी है. इस बार लोगों को पता चल गया है कि संक्रमण हल्का लक्षण दिखा रहा है और दो-तीन दिन सर्दी खांसी रहने के बाद ठीक हो जा रहा है. ऐसे में संक्रमण के लक्षण दिखने पर लोग खुद को आइसोलेट कर ले रहे हैं और कोरोना मानकर ही जांच केंद्र पर जांच कराने नहीं जा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि अभी भी देश में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और इपिडिमोलॉजिस्ट आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि संक्रमण का पिक आना अभी बाकी है और यह पिक फरवरी के पहले सप्ताह में आएगा और अचानक नए मामलों की संख्या में तेजी से डाउनफॉल होगा. उन्होंने बताया कि अभी इस समय क्योंकि संक्रमण का पिक नहीं आया है इसलिए लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है और कोरोना गाइडलाइंस को पालन करते रहना है.

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