पटना: इन दिनों बिहार की राजधानी पटना में पक्षियों की चहचहाहट बढ़ गई है. सचिवालय परिसर के राजधानी जलाशय में विदेशी मेहमानों अच्छा-खासा जमावड़ा (Siberian birds in rajdhani jalashay) हो गया है. प्रवासी परिंदों की चहचहाहट लोगों को सुखद अहसास दे रही है. भारी संख्या में इधर-उधर उड़ते पंख फड़फड़ाते इन विदेशी पक्षियों को देख कर शांति महसूस होती है. हर साल ठंड के मौसम में यह पक्षी विभिन्न देशों से राजधानी जलाशय में पहुंचे हैं. राजधानी जलाशय (rajdhani jalashay Patna) के चारों तरफ रंग-बिरंगी साइबेरियन पक्षियों को देखा जा रहा है. पक्षियों की चहचहाहट से मन विभोर हो जाता है. हर साल लगभग 10 से 15 देशों से पक्षी सात समंदर पार कर पटना के राजधानी जलाशय पहुंचते हैं.
सचिवालय स्थित राजधानी जलाशय में हर साल ठंड के मौसम में हजारों की संख्या में विदेशी पक्षियों का आगमन होता है. यह राजधानी जलाशय पटना के बीचों-बीच पुराने सचिवालय में स्थित है. यहां का नजारा देखते ही बनता है. इन पक्षियों का एक साथ उड़ना और उस समय तो मानो मन शांत हो जाता है, जब विदेशी पक्षियों की चहचहाहट कानों में गूंजती है. बता दें कि पिछले 3 वर्षों से यहां पक्षियों का लगातार आना शुरू हुआ है. बिहार सरकार द्वारा यहां काफी कुछ व्यवस्थाएं भी की गई हैं जिसमें पक्षियों के बारे में जानकारी प्राप्त हो पाती है. बिहार के विभिन्न हिस्सों से आये बच्चे यहां इस विदेशी पक्षी को देखते हैं तथा बहुत कुछ सीख कर जाते हैं.
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पक्षियों के किसी विशेष मौसम में भौगोलिक बदलाव को प्रवासन नाम दिया गया है. प्रवास का अर्थ है, यात्रा पर जाना या दूसरे स्थान पर जाना. उनका यह प्रवास केवल एक देश में सीमित नहीं होता बल्कि विभिन्न देशों तक होता है. जहां भी इन्हें अपने अनुकूल मौसम और भोजन मिल जाए, ये वहीं प्रवास करती हैं. इसी क्रम में ये राजधानी जलाशय पहुंचते हैं. कई पक्षी तो ऐसे हैं जो कई माह का सफर तय कर दूसरे देशों से यहां पहुंचते हैं. बताया जाता है कि हर साल यह पक्षी अक्टूबर माह से आने लगते है और मार्च महीने में यहां से पलायन कर जाते थे.
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पटना वन प्रमंडल अधिकारी शशिकांत कुमार ने बताया कि ये पक्षी हर साल यहां आते हैं और मार्च महीने तक चले जाया करते थे. उन्होने कहा की साइबेरियन पक्षी अभी तक यहां अपना डेरा डाले हुए हैं और राजधानी जलाशय की सुंदरता बढ़ा रहे हैं. इन साइबेरियन पक्षियों के लिए इनके अनुकूल भोजन की पर्याप्त व्यवस्था की जाती है. इसमें कुछ ऐसे विदेशी पक्षी आते हैं जो पेड़ पौधे और जलीय पौधा खाकर भी अपना जीवन बसर करते हैं. वहीं, कई साइबेरियन पक्षी मछली खाते हैं. उस अनुसार तालाब में मछलियां भी डाली जाती हैं. पानी का भी संतुलन बनाए रखने के लिए मोटर का इस्तेमाल किया जाता है. धीरे पक्षियों का संख्या में वृद्धि भी हो रही है.
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