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धनतेरस पर करें ये खास काम, मिलेगा तन-मन-धन का सुख, जानिए खरीदारी का शुभ मुहूर्त

प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. यह एक बहुत ही खास और शुभ मुहूर्त है. पूरे दिन खरीदारी करने के लिए धनतेरस को बेहद शुभ दिन माना जाता है. इस दिन लोग आभूषण, बर्तन, सोना, चांदी, वाहन, कपड़े आदि चीजें खरीदते हैं.

धनतेरस
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Published : Nov 2, 2021, 5:01 AM IST

पटना : धनतेरस (Dhanteras) के साथ ही पांच दिवसीय दीपावली (dipavali) का त्योहार शुरू हो जाता है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. यह एक बहुत ही खास और शुभ मुहूर्त है. पूरे दिन खरीदारी करने के लिए धनतेरस को बेहद शुभ दिन माना जाता है. इस दिन लोग आभूषण, बर्तन, सोना, चांदी, वाहन, कपड़े आदि चीजें खरीदते हैं.

ये भी पढ़ें : दीपावली में चॉकलेट गिफ्ट करने का बढ़ रहा है ट्रेंड, जानिये क्यों...

मान्यताओं के मुताबिक चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरी ने अवतार लिया था, इसी कारण इस त्योहार को धनतेरस के नाम से जाना जाता है. यह भी मान्यता है कि कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धन्वंतरि देव को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. भगवान धन्वंतरी चिकित्सा विज्ञान के अधिष्ठाता देव हैं.

मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि (Dhanvantari Dev) और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर (Kuber) की पूजा का भी विधान है. इस साल धनतेरस का त्योहार मंगलवार 2 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा. दीपावली (deepavali) की पूजा के लिए लक्ष्मी-गणेश (Lakshmi-Ganesh) की प्रतिमा भी इसी दिन घर में लानी चाहिए.

धनत्रयोदशी (dhantrayodashi) के अवसर पर शाम के समय दीपक जलाने की भी परंपरा है. परिवार में अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस के दिन शाम के समय दीपक जलाया जाता है, इसे यम दीपक कहते हैं. यह दीपक यमराज के निमित्त जलाया जाता है. मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है.

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की मान्यता है. सागर मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिसके बाद से ही धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्रचलित हो गई. हिंदू मान्यताओं में बर्तन को बरकत का प्रतीक माना गया है, इसलिए हर कोई अपने घर में धन-समृद्धि लाने के लिए बर्तन खरीदता है. इस दिन चांदी, तांबा, पीतल और कांसे के बर्तन खरीदना शुभ मन जाता है.

देवी लक्ष्मी साफ-सुथरी और सकारात्मक वातावरण वाली जगह पर ही निवास करती हैं. ऐसे में सबको दीपावली (diwali) से पहले घर की अच्छे से साफ सफाई करनी चाहिए. ध्यान रखें कि घर में कूड़ा, रद्दी और गंदगी न हो. दीपावली त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है तो इस दौरान घर की साफ-सफाई करना जरूरी होता है. धनतेरस पर झाड़ू और साफ-सफाई से जुड़ी चीजें खासतौर पर खरीदी जाती हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए. दिन में सोने से आलस्य और नकारात्मकता आती है. धनतेरस और दीपावली जैसे त्योहार के दिन तो बिलकुल भी नहीं सोना चाहिए. लोक मान्यता है कि दीपावली और धनतेरस के दिन किसी को भी रुपए उधार नहीं देना चाहिए, लेकिन दान कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: संक्रमण संकट के बाद बाजारों में लौटी रौनक.. ग्राहकों में उत्साह, बेहतर कारोबार की उम्मीद

पटना : धनतेरस (Dhanteras) के साथ ही पांच दिवसीय दीपावली (dipavali) का त्योहार शुरू हो जाता है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. यह एक बहुत ही खास और शुभ मुहूर्त है. पूरे दिन खरीदारी करने के लिए धनतेरस को बेहद शुभ दिन माना जाता है. इस दिन लोग आभूषण, बर्तन, सोना, चांदी, वाहन, कपड़े आदि चीजें खरीदते हैं.

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मान्यताओं के मुताबिक चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरी ने अवतार लिया था, इसी कारण इस त्योहार को धनतेरस के नाम से जाना जाता है. यह भी मान्यता है कि कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धन्वंतरि देव को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. भगवान धन्वंतरी चिकित्सा विज्ञान के अधिष्ठाता देव हैं.

मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि (Dhanvantari Dev) और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर (Kuber) की पूजा का भी विधान है. इस साल धनतेरस का त्योहार मंगलवार 2 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा. दीपावली (deepavali) की पूजा के लिए लक्ष्मी-गणेश (Lakshmi-Ganesh) की प्रतिमा भी इसी दिन घर में लानी चाहिए.

धनत्रयोदशी (dhantrayodashi) के अवसर पर शाम के समय दीपक जलाने की भी परंपरा है. परिवार में अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस के दिन शाम के समय दीपक जलाया जाता है, इसे यम दीपक कहते हैं. यह दीपक यमराज के निमित्त जलाया जाता है. मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है.

धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की मान्यता है. सागर मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिसके बाद से ही धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्रचलित हो गई. हिंदू मान्यताओं में बर्तन को बरकत का प्रतीक माना गया है, इसलिए हर कोई अपने घर में धन-समृद्धि लाने के लिए बर्तन खरीदता है. इस दिन चांदी, तांबा, पीतल और कांसे के बर्तन खरीदना शुभ मन जाता है.

देवी लक्ष्मी साफ-सुथरी और सकारात्मक वातावरण वाली जगह पर ही निवास करती हैं. ऐसे में सबको दीपावली (diwali) से पहले घर की अच्छे से साफ सफाई करनी चाहिए. ध्यान रखें कि घर में कूड़ा, रद्दी और गंदगी न हो. दीपावली त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है तो इस दौरान घर की साफ-सफाई करना जरूरी होता है. धनतेरस पर झाड़ू और साफ-सफाई से जुड़ी चीजें खासतौर पर खरीदी जाती हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए. दिन में सोने से आलस्य और नकारात्मकता आती है. धनतेरस और दीपावली जैसे त्योहार के दिन तो बिलकुल भी नहीं सोना चाहिए. लोक मान्यता है कि दीपावली और धनतेरस के दिन किसी को भी रुपए उधार नहीं देना चाहिए, लेकिन दान कर सकते हैं.

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