पटना: बिहार और झारखंड में पूर्ण रूप से नक्सलियों का खात्मा करने को लेकर लगातार अभियान (Operation to eliminate Naxalites) चलाया जा रहा है. एंटी नक्सल ऑपरेशन (Anti Naxal Operation in Bihar and Jharkhand) में जुटे सुरक्षाबलों के साथ-साथ देश की कई खुफिया एजेंसियां नक्सलियों का खात्मा करने में जुटी हैं. देश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी एनआईए भी अब नक्सलियों को लेकर हाथ-धोकर पड़ गई है. एंटी नक्सल ऑपरेशन के साथ-साथ खुफिया एजेंसी द्वारा छोटे नक्सलियों के अलावा बिहार-झारखंड के पांच बड़े नक्सलियों की गिरफ्तारी (Arrest of five Naxalites of Bihar-Jharkhand) अभियान चलाया जा रहा है.
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बिहार और झारखंड समेत पांच राज्यों को अलर्ट: दरअसल, उनका मानना है कि ये 5 बड़े नक्सली पकड़े गए तो बिहार और झारखंड से नक्सलियों का खात्मा होना तय है. झारखंड की खुफिया एजेंसी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को चौंकाने वाली जानकारी दी है. खुफिया इनपुट की मानें तो राज्य के 3 जिलों में एक-एक करोड़ के तीन इनामी माओवादी कैम्प कर रहे हैं. केंद्रीय खुफिया एजेंसी आईबी के अलर्ट के बाद बिहार और झारखंड समेत पांच राज्यों को अलर्ट किया गया है. खुफिया एजेंसी बिहार झारखंड में सक्रिय कुछ खास नक्सलियों की तलाश (Security agencies are looking for five Naxalites) में जुटी है. इनमें पहला नाम प्रमोद मिश्रा उर्फ वन बिहारी उर्फ सोहन का है. प्रमोद मिश्रा उर्फ वन बिहारी नक्सलियों के मध्यजोन को संभालता हैं. इन दिनों संगठन को फिर से सक्रिय करने में जुटा हुआ है.
एक करोड़ का इनामी है मिसिर बसेरा: दूसरे बड़े बड़े नक्सली नाम मिसिर बसेरा और सुनीमेल उर्फ भास्कर है. दरसल, झारखंड के सारंडा इलाके में सक्रिय सुनीमेल भाकपा माओवादी संगठन में अहम जिम्मेदारी संभालता है. मिसिर बसेरा माओवादियों का सेंट्रल कमेटी का सदस्य है. वह पश्चिम सिंहभूम जिले के टोंटो थाना क्षेत्र स्थित सारजमबुरु के जंगल में है. माओवादी संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य नक्सली मिसिर बसेरा एक करोड़ का इनामी है.
अनल उर्फ तूफान भी खुफिया एजेंसियों के निशाने पर: एक करोड़ के इनामी नक्सली मिसिर बसेरा उर्फ भास्कर 2017 में उड़ीसा में घुसने की खबर मिली थी. इसके बाद जिला पुलिस और सीआरपीएफ सक्रिय हो गई थी. तीसरा बड़ा नाम पति राम मांझी का है जो माओवादियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य है. इसकी गतिविधियां सरायकेला खरसावां के कुचाई थाना क्षेत्र के गादीकिदा में बताई जाती है. इस पर भी एक करोड़ का इनाम है. सरायकेला और खरसावां में सक्रिय पतिराम मांझी उर्फ अनल उर्फ तूफान भी खुफिया एजेंसियों के निशाने पर है.
आपको बता दें कि एक करोड़ के इनामी नक्सली अन्नदा उर्फ पति राम मांझी के नाम पर राज्य के अफसरों से रंगदारी मांगी जा रही है. रांची सहित कई जिलों में पदस्थापित राज्यसेवा के पदाधिकारियों से एक व्यक्ति एक करोड़ के इनामी नक्सली पतिराम मांझी के नाम पर लेवी की मांग रहा है. चौथा बड़ा नाम प्रयाग मांझी उर्फ विवेक का है. माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के सदस्य विवेक के गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ी पर सक्रिय होने की जानकारी मिल रही है.
इसके साथ रीजनल कमांडर कृष्ण और रणविजय का दस्ता भी है. दरसल प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद पारसनाथ के एक एक करोड़ के तीन इनामी प्रयाग मांझी, मिसिर बसेरा और पतिराम मांझी ने संगठन की कमान संभाली है. वैसे तो इन तीनों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस एवं सीआरपीएफ की टीम लगातार पसीना बहा रही है लेकिन इनका थिंकटैंक माना जाता है 1980 में नक्सलवाद की दुनिया में कदम रखने वाला प्रयाग मांझी. प्रयाग मांझी उर्फ विवेक भाकपा माले के सेंट्रल कमेटी का सदस्य है. 2 दर्जन से अधिक मामले इसके नाम पर दर्ज हैं.
बीजेपी के पूर्व विधायक पर किया था हमला: साल 2021 में 21 नवंबर को प्रशांत बोस के पकड़े जाने के बाद माओवादियों ने इस वर्ष के शुरुआत में ही 4 जनवरी को पश्चिम सिंहभूम के गोईलकरा मे मनोहरपुर के पूर्व भाजपा विधायक गुरुचरण नायक पर हमला किया था. इस हमले में पूर्व विधायक बाल-बाल बच गए थे जबकि उनके दो अंगरक्षक शहीद हो गए थे. वारदात को अंजाम देने वाले माओवादी अंगरक्षकों के तीन एकके-47 लूट ले गए थे. प्रयाग मांझी के दस्ते की कमान संभालने के बाद झारखंड में यह सबसे बड़ी घटना थी. प्रदुमन जी का गांव गिरिडीह जिला में है.
संदीप यादव सुरक्षाबलों के लिए चुनौती: प्रयाग मांझी को पकड़ने के लिए सरकार लगातार इनाम की राशि बढ़ाती रही है. पांचवा नाम बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य संदीप यादव का है. वह भले ही माओवादियों के पोलित ब्यूरो सेंट्रल कमेटी में नहीं है पर सुरक्षाबलों के लिए चुनौती बना हुआ है. 2 दशक से अधिक समय से सक्रिय संदीप चकरबंधा इलाके में रहता आया है. हाल के दिनों में सुरक्षा बलों की घेराबंदी के बाद उसकी भी मुश्किलें बढ़ गई हैं. सुरक्षित ठिकाने नहीं होने के चलते उसे भी इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
बिहार के 10 जिले ही नक्सल प्रभावित: दरअसल, पिछले कुछ महीनों में माओवादियों को बड़ा झटका लगा है. उसके चार बड़े नेता पकड़े गए और 1 की मुठभेड़ में मौत हो गई. एंटी नक्सल टीम और खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ये पांचों नक्सली सिरदर्द बने हुए हैं. इनकी गिरफ्तारी के बाद नक्सलियों का प्रभाव खत्म हो सकता है. आपको बता दें कि पहले की तुलना में बिहार में भी नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है. पहले जहां बिहार के 16 जिले नक्सल प्रभावित थे, उनमें से 6 जिलों को नक्सल प्रभावित की सूची से हटा दिया गया है. अब 10 जिले ही नक्सल प्रभावित हैं. उनमें से 6 जिले अति संवेदनशील हैं.
माओवादियों काे लगा है झटका: पिछले कुछ महीने में माओवादियों काे बड़ा झटका लगा है. उसके चार बड़े नेता पकड़े गए हैं. 1 की मुठभेड़ में मौत हो गई है. मिथिलेश महतो उर्फ भिखारी और उसके बाद विजय जैसे शीर्ष नेता बिहार में पकड़े गए हैं. दोनों ही भाकपा माओवादी की सेंट्रल कमेटी के सदस्य थे. इससे पहले झारखंड में पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रशांत भूषण और गुवाहाटी से कंचन दा की गिरफ्तारी हुई थी. वहीं, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में सेंट्रल कमेटी सदस्य मिलिंद मारा गया था.
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