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शराब पर बार-बार CM नीतीश को टेंशन दे रहे मांझी, सकते में सत्ता पक्ष!

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर शराबबंदी कानून ( Jitan Ram Manjhi on sharabbandi kanoon ) को लेकर नीतीश सरकार पर हमला बोला है. ऐसा में सवाल उठने लगा है कि मांझी के मन में क्या चल रहा है और सत्ता में रहकर विपक्ष वाली सियासत क्यों कर कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Dec 16, 2021, 7:44 PM IST

पटना: बिहार में शराबबंदी को लेकर जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) सख्त हैं और हर हाल में कानून को लागू करने की बात कर रहे हैं. सीएम नीतीश इस बार शराबबंदी पर ही यात्रा निकालने वाले हैं, लेकिन दूसरी तरफ सहयोगी दल के नेता ही लगातार शराबबंदी कानून ( Prohibition Law In Bihar ) पर सवाल खड़ा कर नीतीश कुमार और जदयू की मुश्किल बढ़ा रखा है.

दरअसल, पहले बीजेपी के प्रदेश सदस्य संजय जायसवाल ने समीक्षा की बात की और उसके बाद बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर सहित कई नेताओं ने भी बयान दिया. अब लगातार हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी शराबबंदी कानून ( Manjhi statement on prohibition ) में संशोधन की मांग कर रहे हैं.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- जीतनराम मांझी फिर बोले- शराबबंदी कानून में कई खामियां, बदलाव की है जरूरत

बुधवार को जीतन राम माझी ( jitan ram manjhi on liqour drink ) ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि 'ये ओपन सीक्रेट है, ये सत्य है कि जो बड़े लोग हैं, जो ठेकेदार हैं, धनवान हैं, इंजीनियर हैं, डॉक्टर हैं, आईएएस हैं, आईपीएस हैं, ये सभी रात में 10 बजे के बाद लिमिट में शराब पीते हैं, लेकिन दुनिया नहीं जानती है कि वो शराब पीते हैं.'

शराब पीने को लेकर गरीबों को सलाह देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'क्यों पीकर इधर-उधर करते हो, लिमिट में पीयो जैसे बड़े लोग पीते हैं, पकड़ने की बात इसलिए आती है क्योंकि तुम पीकर चौराहे पर घूमने लगते हो, इसलिए बड़े लोगों से सीखो, रात में लेना है तो लेकर सो जाओ और सुबह उठकर काम करो.'

जीतन राम मांझी के बयान पर जदयू सकते में है. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि जीतन राम मांझी को जो कुछ भी कहना है, मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात को रखें. सभाओं में और सार्वजनिक मंचों से जिस प्रकार से बोल रहे हैं, वह सही नहीं है. बता दें कि इससे पहले भी जदयू मांझी को इसी तरह का नसीहत दे चुका है.

ये भी पढ़ें- मांझी को JDU की सलाह, शराबबंदी पर कुछ कहना है तो CM से मिलकर कहें

इधर बीजेपी का कहना है कि हमलोग शराबबंदी का विरोध नहीं कर रहा है, बल्कि कानून की समीक्षा की बात कर रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि नीतीश लगातार समीक्षा कर रहे हैं, इसमें कुछ भी गलत नहीं है.

'समीक्षा मतलब कानून को बदलने की बात नहीं होती है. उसको और बेहतर कैसे किया जाए, वह होती है. क्योंकि बिहार में बीजेपी भी सरकार में है, जदयू के मुख्यमंत्री जरूर हैं. लेकिन जहां तक जीतन राम मांझी की बात है तो उन्हें सलाह है कि उन्हें जो कुछ भी कहना है मुख्यमंत्री से मिलकर कहें, विपक्ष को मौका ना दें.' मिथिलेश तिवारी प्रदेश उपाध्यक्ष बीजेपी


इधर, शराबबंदी को लेकर आरजेडी पहले से ही हमलावर है. बीजेपी और हम नेताओं की बयानबाजी पर आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि सहयोगी दल की बात नहीं है, यहां लड़ाई हिस्सेदारी की है क्योंकि सब की मिली भगत है.

ये भी पढ़ें- मांझी को मिला पप्पू यादव का साथ, कहा- 'शराब माफिया और नेता नहीं सिर्फ गरीब जाते हैं जेल'

शराबबंदी कानून को विपक्ष लगातार फेल बताता रहा है. नीतीश कुमार पर कई तरह के आरोप भी आरजेडी और कांग्रेस की ओर से लगाए जाते रहे हैं लेकिन अब सहयोगी दलों के नेताओं के बयानबाजी से मुश्किल अधिक बढ़ी है. विपक्ष से अधिक सहयोगी दल के नेता से नीतीश ज्यादा परेशान हैं. इसके बावजूद सख्ती से शराबबंदी कानून लागू करने की बात बार-बार दोहराते रहे हैं.

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पटना: बिहार में शराबबंदी को लेकर जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) सख्त हैं और हर हाल में कानून को लागू करने की बात कर रहे हैं. सीएम नीतीश इस बार शराबबंदी पर ही यात्रा निकालने वाले हैं, लेकिन दूसरी तरफ सहयोगी दल के नेता ही लगातार शराबबंदी कानून ( Prohibition Law In Bihar ) पर सवाल खड़ा कर नीतीश कुमार और जदयू की मुश्किल बढ़ा रखा है.

दरअसल, पहले बीजेपी के प्रदेश सदस्य संजय जायसवाल ने समीक्षा की बात की और उसके बाद बीजेपी विधायक हरि भूषण ठाकुर सहित कई नेताओं ने भी बयान दिया. अब लगातार हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी शराबबंदी कानून ( Manjhi statement on prohibition ) में संशोधन की मांग कर रहे हैं.

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बुधवार को जीतन राम माझी ( jitan ram manjhi on liqour drink ) ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि 'ये ओपन सीक्रेट है, ये सत्य है कि जो बड़े लोग हैं, जो ठेकेदार हैं, धनवान हैं, इंजीनियर हैं, डॉक्टर हैं, आईएएस हैं, आईपीएस हैं, ये सभी रात में 10 बजे के बाद लिमिट में शराब पीते हैं, लेकिन दुनिया नहीं जानती है कि वो शराब पीते हैं.'

शराब पीने को लेकर गरीबों को सलाह देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'क्यों पीकर इधर-उधर करते हो, लिमिट में पीयो जैसे बड़े लोग पीते हैं, पकड़ने की बात इसलिए आती है क्योंकि तुम पीकर चौराहे पर घूमने लगते हो, इसलिए बड़े लोगों से सीखो, रात में लेना है तो लेकर सो जाओ और सुबह उठकर काम करो.'

जीतन राम मांझी के बयान पर जदयू सकते में है. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि जीतन राम मांझी को जो कुछ भी कहना है, मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात को रखें. सभाओं में और सार्वजनिक मंचों से जिस प्रकार से बोल रहे हैं, वह सही नहीं है. बता दें कि इससे पहले भी जदयू मांझी को इसी तरह का नसीहत दे चुका है.

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इधर बीजेपी का कहना है कि हमलोग शराबबंदी का विरोध नहीं कर रहा है, बल्कि कानून की समीक्षा की बात कर रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि नीतीश लगातार समीक्षा कर रहे हैं, इसमें कुछ भी गलत नहीं है.

'समीक्षा मतलब कानून को बदलने की बात नहीं होती है. उसको और बेहतर कैसे किया जाए, वह होती है. क्योंकि बिहार में बीजेपी भी सरकार में है, जदयू के मुख्यमंत्री जरूर हैं. लेकिन जहां तक जीतन राम मांझी की बात है तो उन्हें सलाह है कि उन्हें जो कुछ भी कहना है मुख्यमंत्री से मिलकर कहें, विपक्ष को मौका ना दें.' मिथिलेश तिवारी प्रदेश उपाध्यक्ष बीजेपी


इधर, शराबबंदी को लेकर आरजेडी पहले से ही हमलावर है. बीजेपी और हम नेताओं की बयानबाजी पर आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि सहयोगी दल की बात नहीं है, यहां लड़ाई हिस्सेदारी की है क्योंकि सब की मिली भगत है.

ये भी पढ़ें- मांझी को मिला पप्पू यादव का साथ, कहा- 'शराब माफिया और नेता नहीं सिर्फ गरीब जाते हैं जेल'

शराबबंदी कानून को विपक्ष लगातार फेल बताता रहा है. नीतीश कुमार पर कई तरह के आरोप भी आरजेडी और कांग्रेस की ओर से लगाए जाते रहे हैं लेकिन अब सहयोगी दलों के नेताओं के बयानबाजी से मुश्किल अधिक बढ़ी है. विपक्ष से अधिक सहयोगी दल के नेता से नीतीश ज्यादा परेशान हैं. इसके बावजूद सख्ती से शराबबंदी कानून लागू करने की बात बार-बार दोहराते रहे हैं.

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