पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को मजबूत करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) भले ही बिहार के हर जिले का दौरा कर रहे हों और जेडीयू को मजबूत करने में लगे हों, लेकिन आरएलएसपी के कई नेता उपेंद्र कुशवाहा का साथ धीरे धीरे छोड़ रहे हैं. जेडीयू में विलय हो चुके रालोसपा के 1 दर्जन से अधिक नेताओं ने शुक्रवार को आरजेडी (RJD) का दामन लिया.
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भले ही उपेंद्र कुशवाहा ने आरएलएसपी का जदयू में विलय करा दिया हो लेकिन उनके पार्टी के जितने भी छूटे हुए नेता हैं, वह धीरे-धीरे राजद का दामन थाम रहे हैं. शुक्रवार को 1 दर्जन से अधिक आरएलएसपी के नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) के नेतृत्व में राजद का दामन थाम लिया. इस दौरान जगदानंद सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा पर जमकर हमला किया.
आरएलएसपी के 1 दर्जन से अधिक नेताओं को राजद की सदस्यता दिलवाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा पर हमला किया है. उन्होंने कहा है कि उपेंद्र कुशवाहा ने जिस शिक्षा में सुधार को लेकर नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोला था. आज वह अपनी नीति और सिद्धांतों से समझौता करके कुर्सी से चिपक गए हैं.
'आरएलएसपी के जितने नेता आज राजद में शामिल हुए हैं. सभी नेता गया जिले से हैं. गया जिला ज्ञान की धरती रही है. उस धरती से जो भी लोग आज हमारे पार्टी की सदस्यता ग्रहण किए हैं. इनका सिद्धांत होगा कि जो भी भूले भटके लोग हैं उन्हें पार्टी में शामिल करवाएं.'-जगदानंद सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, राजद
जगदानंद सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी की विचारधारा सामंतवादी विचारधारा के खिलाफ हमेशा से रही है और आगे भी रहेगी. उन्होंने कहा है कि इस पूंजीवादी विचारधारा के खिलाफ गरीब तबके के लोग आगे कैसे बढ़े हमारी पार्टी इन सभी सिद्धांतों को लेकर आगे बढ़ रही है.
जगदानंद सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ने जिस विचारधारा शिक्षा व्यवस्था को लेकर लड़ाई छेड़ी थी उसे आज वे भूल बैठे हैं. उनका मकसद सिर्फ कुर्सी था. कुर्सी मिल गई सभी सिद्धांतों को भूल गए. लेकिन उनके पार्टी के नेता उन सिद्धांतों को नहीं भूले हैं, जिसके लिए आरएलएसपी का गठन हुआ था. आज जितने भी नेता राजद में शामिल हुए हैं पार्टी इनके विचारों को लेकर आगे बढ़ेगी.
बता दें कि मार्च 2013 में गठन के बाद से ही राष्ट्रीय लोक समता पार्टी लगातार टूट का शिकार होती रही है. लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2020 में करारी हार के बाद पार्टी संकट के दौर से भी जूझी थी. पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के जदयू में शामिल होने के बाद से रालोसपा के कई नेता नाराज हो गए थे. जिसके बाद पार्टी में बड़ी टूट हुई थी और रालोसपा के दो दर्जन से अधिक नेताओं ने लालटेन थाम लिया था.
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