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आरजेडी ने नीतीश सरकार बोला हमला, कहा- 'सर्वे रिपोर्ट में खुली पोल' - ईटीवी भारत न्यूज

आरजेडी ने बिहार की शिक्षा व्यवस्था (Bihar education system) की खामियों को लेकर नीतीश कुमार की सरकार पर हमला बोला है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने पोल नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट 2021 का हवाला देते हुए शिक्षा व्यवस्था में आमूल बदलाव करने की मांग की. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : May 29, 2022, 6:52 PM IST

पटना: बिहार की लचर शिक्षा व्यवस्था (Bihar poor education system) को लेकर आरजेडी ने नीतीश सरकार पर हमला (RJD Attacked Nitish Government) बोला है. बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था के स्तर की नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट 2021 में पूरी तरह से खुलकर सामने आ गई है. सर्वे रिपोर्ट ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था के गिरते स्तर को आंकड़ों के माध्यम से स्पष्ट किया है. साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने उन्हीं के गृह जिले नालंदा के बच्चे सोनू ने भी जमीनी हकीकत का सचित्र विवरण लोगों के सामने रखा दिया लेकिन सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिख रही है.

ये भी पढ़ें: RJD के राज्यसभा उम्मीदवारों पर BJP का कटाक्ष, 'कहती है A to Z की बात, फोकस रहता MY समीकरण'

सरकार ने नहीं की कोशिश: एजाज अहमद ने कहा कि अफसोस की बात है कि जमीनी हकीकत से रूबरू होते हुए भी बिहार सरकार ने इस दिशा में सुधार के लिए कोई कार्रवाई नहीं की. दूसरी ओर उन लोगों द्वारा कोई प्रयास या सार्थक पहल भी नहीं की गयी जो सोनू के साथ मदद के नाम पर फोटोशूट कराते रहे और मीडिया उनके बयानों के सहारे टीआरपी लेती रही. सोनू हर जगह छाया रहा लेकिन जिस मुद्दे को उठाया वह गौण हो गया. वर्तमान हालात तथा खस्ताहाल स्थिति में सुधार कैसे हो, इस पर कोई चर्चा नहीं की जा रही है.

शिक्षकों पर दूसरों कार्यों का दबाव: नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 5वीं क्लास के 83% बच्चे और आठवीं क्लास के 88% बच्चे शिक्षकों की बातें ही समझ नहीं पा रहे हैं. ना ही शिक्षक इन बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक कर पाए रहे हैं. बच्चों को पढ़ाने की दिशा में गंभीरता ही नहीं दिखा रहे हैं. अफसोस तो इस बात का है कि जहां सरकार की ओर से शिक्षकों को अन्य कार्यों में लगा दिया जाता है. इसके कारण शिक्षक हमेशा परेशानी में ही रहते हैं. साथ ही साथ मिड डे मील और अन्य कार्यों के कारण शिक्षकों में पढ़ाने के प्रति रूचि कम होती जा रही है. सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण भी विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच पढ़ने-पढ़ाने के प्रति रुचि कम देखी जा रही है.

'राज्य सरकार अविलंब शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा दूसरे काम लेने पर रोक लगाए. उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराये और समय-समय पर शिक्षकों और छात्रों के बीच पढ़ाई के स्तर की जांच के लिए प्राइवेट स्कूलों की तरह पैरेंट्स टीचर मीटिंग की भी व्यवस्था करवाये. इससे कमियों को अभिभावकों के माध्यम से शिक्षा समिति बने, उसे अवगत कराया जा सके. शिक्षा समिति गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति सरकार से विचार को साझा करे.'- एजाज अहमद, राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता.

ये भी पढ़ें: 31 को आरजेडी विधायक दल की बैठक, 5 साल बाद लालू यादव रहेंगे मौजूद

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पटना: बिहार की लचर शिक्षा व्यवस्था (Bihar poor education system) को लेकर आरजेडी ने नीतीश सरकार पर हमला (RJD Attacked Nitish Government) बोला है. बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था के स्तर की नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट 2021 में पूरी तरह से खुलकर सामने आ गई है. सर्वे रिपोर्ट ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था के गिरते स्तर को आंकड़ों के माध्यम से स्पष्ट किया है. साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने उन्हीं के गृह जिले नालंदा के बच्चे सोनू ने भी जमीनी हकीकत का सचित्र विवरण लोगों के सामने रखा दिया लेकिन सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं दिख रही है.

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सरकार ने नहीं की कोशिश: एजाज अहमद ने कहा कि अफसोस की बात है कि जमीनी हकीकत से रूबरू होते हुए भी बिहार सरकार ने इस दिशा में सुधार के लिए कोई कार्रवाई नहीं की. दूसरी ओर उन लोगों द्वारा कोई प्रयास या सार्थक पहल भी नहीं की गयी जो सोनू के साथ मदद के नाम पर फोटोशूट कराते रहे और मीडिया उनके बयानों के सहारे टीआरपी लेती रही. सोनू हर जगह छाया रहा लेकिन जिस मुद्दे को उठाया वह गौण हो गया. वर्तमान हालात तथा खस्ताहाल स्थिति में सुधार कैसे हो, इस पर कोई चर्चा नहीं की जा रही है.

शिक्षकों पर दूसरों कार्यों का दबाव: नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 5वीं क्लास के 83% बच्चे और आठवीं क्लास के 88% बच्चे शिक्षकों की बातें ही समझ नहीं पा रहे हैं. ना ही शिक्षक इन बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक कर पाए रहे हैं. बच्चों को पढ़ाने की दिशा में गंभीरता ही नहीं दिखा रहे हैं. अफसोस तो इस बात का है कि जहां सरकार की ओर से शिक्षकों को अन्य कार्यों में लगा दिया जाता है. इसके कारण शिक्षक हमेशा परेशानी में ही रहते हैं. साथ ही साथ मिड डे मील और अन्य कार्यों के कारण शिक्षकों में पढ़ाने के प्रति रूचि कम होती जा रही है. सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण भी विद्यार्थियों और शिक्षकों के बीच पढ़ने-पढ़ाने के प्रति रुचि कम देखी जा रही है.

'राज्य सरकार अविलंब शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए शिक्षकों से पढ़ाई के अलावा दूसरे काम लेने पर रोक लगाए. उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराये और समय-समय पर शिक्षकों और छात्रों के बीच पढ़ाई के स्तर की जांच के लिए प्राइवेट स्कूलों की तरह पैरेंट्स टीचर मीटिंग की भी व्यवस्था करवाये. इससे कमियों को अभिभावकों के माध्यम से शिक्षा समिति बने, उसे अवगत कराया जा सके. शिक्षा समिति गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति सरकार से विचार को साझा करे.'- एजाज अहमद, राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता.

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