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जीतनराम मांझी विवाद: पूर्व सीएम के खिलाफ फूटा ब्राह्मणों का गुस्सा, तो मांझी के समर्थन में उतरे कई संगठन

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) के विवादित बयान को लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहा है. ब्राह्मण समाज के खिलाफ विवादित बयान पर वे चौतरफा घिर गये हैं. वहीं, कई संगठन मांझी के समर्थन में भी उतर आए हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

जीतनराम मांझी विवाद
जीतनराम मांझी विवाद
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Published : Dec 23, 2021, 11:05 PM IST

पटना: पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का ब्राह्मणों पर विवादित बयान (Controversial Statement of Manjhi) के बाद सियासी उबाल आया है. नेता से लेकर ब्राह्मण समाज (Brahmin Society) के लोग सभी इसका विरोध कर रहे हैं. कई संगठनों ने मांझी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, तो कई संगठन मांझी के पक्ष में भी नजर आ रहे है.

ये भी पढ़ें- मांझी आवास के बाहर ब्राह्मणों ने की सत्यनारायण कथा, कहा- 'भगवान उनको जल्द सद्बुद्धि दें'

नालंदा में जीतनराम मांझी पर जाति विशेष के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने और सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए सीजेएम कोर्ट के प्रभारी विमलेंद्र कुमार ने मुकदमा को मंजूर करते हुए न्यायिक पदाधिकारी अविनाश कुमार के कोर्ट में भेज दिया है. जहां 10 जनवरी को गवाही की प्रक्रिया शुरू होगी.

अधिवक्ता सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि 19 दिसंबर 2021 को परिवार के साथ वे अपने घर पर टेलीविजन देख रहे थे. इसी दौरान समाचार में पूर्व सीएम जीतनराम मांझी का दिया गया भाषण प्रसारित हुआ. इसमें जाति विशेष के लोगों के विरुद्ध अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए सनातन धर्म पर कुठाराघात करते हुए बयान दिए. पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के इस बयान के बाद से सदमे में आकर अस्वस्थ हो गए हैं. ये आशंका है कि इस बयान से धार्मिक हिंदू समाज के प्रति और जाति विशेष के प्रति लोगों में तनाव पैदा हो सकता है. प्रतिष्ठित पद पर रह चुके जनप्रतिनिधि का बयान समाज में विभेद पैदा करने वाला है.

ये भी पढ़ें- मांझी के बयान पर बवाल: कांग्रेस ने की माफी की मांग, BJP ने मेंटल हॉस्पीटल भेजने की दी सलाह

कैमूर जिले के भभुआ में राष्ट्रीय परशुराम सेना युवा वाहिनी कैमूर ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के द्वारा ब्राह्मणों और सनातन धर्म के खिलाफ दिए गए अमर्यादित बयान को लेकर आक्रोश मार्च निकाला. शहर के एकता चौक पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का पुतला दहन भी किया गया. साथ ही सनातन धर्म और ब्राम्हण समाज के लोगों ने जीतनराम मांझी के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.

इसके अलावा जीतनराम मांझी विवाद (Jitan Ram Manjhi controversy) को लेकर नरकटियागंज में बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री का पुतला भी फूंका गया और बिहार सरकार से कार्रवाई की मांग की गई. प्रदर्शनकारियों ने मांझी का पुतला दहन भी किया. जीतनराम मांझी का पुतला दहन कर सरकार से अपील किया कि सरकार उन्हें जल्द से जल्द पार्टी से निष्कासित करें.

ये भी पढ़ें- एनडीए की नैया डुबोएंगे मांझी! क्या सच में कुछ नया करने वाले हैं जीतनराम?

वहीं, कई संगठन मांझी के समर्थन में भी उतर आए हैं. गया में जीतनराम मांझी के ऊपर विभिन्न नेताओं द्वारा किए गए अभद्र टिप्पणी के विरोध में विभिन्न संगठनों ने प्रतिरोध मार्च निकाला. यह प्रतिरोध मार्च गया शहर के गांधी मैदान से निकलकर प्रमुख सड़क मार्गों से होता हुआ टावर चौक तक पहुंचा. विरोध मार्च में शामिल लोगों ने जीतनराम मांझी के समर्थन में जमकर नारेबाजी की. दशरथ मांझी विचार मंच और दशरथ मांझी उत्थान सेवा समिति सहित विभिन्न बैनर के लोग इसमें शामिल हुए.

प्रतिरोध मार्च में शामिल दशरथ मांझी विचार मंच के अध्यक्ष नंदलाल मांझी ने कहा कि गत दिनों जीतनराम मांझी के ऊपर कई नेताओं ने अभद्र टिप्पणी की है. जिससे हम लोग मर्माहत हैं. उन्होंने कहा कि जीतनराम मांझी ने जो बयान दिया था, इसके लिए उन्होंने माफी मांग ली. बावजूद इसके बीजपी के गजेंद्र झा जैसे नेता जीतनराम मांझी की जीभ काटने पर 11 लाख रुपए देने की घोषणा करते हैं. हम सरकार से मांग करते हैं कि ऐसे नेताओं की अविलंब गिरफ्तारी कर उन्हें सजा दी जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले समय में और भी व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा.

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पटना: पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का ब्राह्मणों पर विवादित बयान (Controversial Statement of Manjhi) के बाद सियासी उबाल आया है. नेता से लेकर ब्राह्मण समाज (Brahmin Society) के लोग सभी इसका विरोध कर रहे हैं. कई संगठनों ने मांझी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, तो कई संगठन मांझी के पक्ष में भी नजर आ रहे है.

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नालंदा में जीतनराम मांझी पर जाति विशेष के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने और सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए सीजेएम कोर्ट के प्रभारी विमलेंद्र कुमार ने मुकदमा को मंजूर करते हुए न्यायिक पदाधिकारी अविनाश कुमार के कोर्ट में भेज दिया है. जहां 10 जनवरी को गवाही की प्रक्रिया शुरू होगी.

अधिवक्ता सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि 19 दिसंबर 2021 को परिवार के साथ वे अपने घर पर टेलीविजन देख रहे थे. इसी दौरान समाचार में पूर्व सीएम जीतनराम मांझी का दिया गया भाषण प्रसारित हुआ. इसमें जाति विशेष के लोगों के विरुद्ध अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए सनातन धर्म पर कुठाराघात करते हुए बयान दिए. पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के इस बयान के बाद से सदमे में आकर अस्वस्थ हो गए हैं. ये आशंका है कि इस बयान से धार्मिक हिंदू समाज के प्रति और जाति विशेष के प्रति लोगों में तनाव पैदा हो सकता है. प्रतिष्ठित पद पर रह चुके जनप्रतिनिधि का बयान समाज में विभेद पैदा करने वाला है.

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कैमूर जिले के भभुआ में राष्ट्रीय परशुराम सेना युवा वाहिनी कैमूर ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के द्वारा ब्राह्मणों और सनातन धर्म के खिलाफ दिए गए अमर्यादित बयान को लेकर आक्रोश मार्च निकाला. शहर के एकता चौक पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का पुतला दहन भी किया गया. साथ ही सनातन धर्म और ब्राम्हण समाज के लोगों ने जीतनराम मांझी के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.

इसके अलावा जीतनराम मांझी विवाद (Jitan Ram Manjhi controversy) को लेकर नरकटियागंज में बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन किया. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री का पुतला भी फूंका गया और बिहार सरकार से कार्रवाई की मांग की गई. प्रदर्शनकारियों ने मांझी का पुतला दहन भी किया. जीतनराम मांझी का पुतला दहन कर सरकार से अपील किया कि सरकार उन्हें जल्द से जल्द पार्टी से निष्कासित करें.

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वहीं, कई संगठन मांझी के समर्थन में भी उतर आए हैं. गया में जीतनराम मांझी के ऊपर विभिन्न नेताओं द्वारा किए गए अभद्र टिप्पणी के विरोध में विभिन्न संगठनों ने प्रतिरोध मार्च निकाला. यह प्रतिरोध मार्च गया शहर के गांधी मैदान से निकलकर प्रमुख सड़क मार्गों से होता हुआ टावर चौक तक पहुंचा. विरोध मार्च में शामिल लोगों ने जीतनराम मांझी के समर्थन में जमकर नारेबाजी की. दशरथ मांझी विचार मंच और दशरथ मांझी उत्थान सेवा समिति सहित विभिन्न बैनर के लोग इसमें शामिल हुए.

प्रतिरोध मार्च में शामिल दशरथ मांझी विचार मंच के अध्यक्ष नंदलाल मांझी ने कहा कि गत दिनों जीतनराम मांझी के ऊपर कई नेताओं ने अभद्र टिप्पणी की है. जिससे हम लोग मर्माहत हैं. उन्होंने कहा कि जीतनराम मांझी ने जो बयान दिया था, इसके लिए उन्होंने माफी मांग ली. बावजूद इसके बीजपी के गजेंद्र झा जैसे नेता जीतनराम मांझी की जीभ काटने पर 11 लाख रुपए देने की घोषणा करते हैं. हम सरकार से मांग करते हैं कि ऐसे नेताओं की अविलंब गिरफ्तारी कर उन्हें सजा दी जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले समय में और भी व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा.

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