पटना: शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने बिहार के तमाम कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रशासन को अगाह किया है कि सरकार से मांगी जाने वाली सूचनाओं को समय से उपलब्ध कराना होगा. इसके साथ ही अकाउंट्स से संबंधित तमाम जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध करानी होगी, ताकि पूरा सिस्टम अधिक कार्यकुशल और पारदर्शी तरीके से काम कर सके. पटना के एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में शनिवार को एक कार्यशाला के जरिए हायर एजुकेशन से जुड़े तमाम संस्थानों के प्रतिनिधियों को पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) के अंतर्गत संशोधित सिंगल नोडल एजेंसी की व्यवस्था की ट्रेनिंग दी गई.
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इस नई व्यवस्था में राज्य स्तर पर बिहार राज्य उच्च शिक्षा परिषद अब राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान योजना के लिए सिंगल नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा. जबकि इससे जुड़े विश्वविद्यालय/महाविद्यालय इंप्लीमेंटिंग एजेंसी के रूप में काम करेंगे. इन दोनों के बैंक खाताओं का संचालन पेरेंट चाइल्ड अकाउंट सिस्टम के अनुरूप किया जाएगा.
'लेखा-जोखा से जुड़े तमाम हिसाब-किताब को अधिक कार्यकुशल तरीके से और पारदर्शी तरीके से करने की जरूरत है. ताकि भविष्य में कोई परेशानी ना हो. शिक्षा मंत्री ने संस्थानों के प्रतिनिधियों को सलाह दी है कि मुख्यालय स्तर से उन्हें जो भी सूचना उपलब्ध कराने की मांग की जाए उसे ससमय उपलब्ध कराएं. ताकि उसके आधार पर संस्थान की आवश्यकताओं और उपलब्धियों का आकलन किया जा सके.' -विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री
इस मौके पर शिक्षा मंत्री ने बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद द्वारा विकसित रूसा मॉनिटरिंग पोर्टल bshec.in/app/institution का उद्घाटन किया. इस पोर्टल के माध्यम से राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद रूसा योजना से आच्छादित संस्थानों को उपलब्ध कराई गई राशि, व्यय की गई राशि और उससे किए गए कार्यों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग कर सकेगा. इस मौके पर शिक्षा विभाग के सचिव असंगबा चुबा आओ ने भी तमाम संस्थानों के प्रतिनिधियों को सलाह दी है कि वह हिसाब किताब में पूरी पारदर्शिता रखें. क्योंकि अब तक जो कार्य हुए हैं, वह संतोषजनक नहीं रहे हैं. इसलिए आगे कार्यकुशलता और पारदर्शिता के साथ काम करना होगा.
दरअसल, विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली से शिक्षा विभाग के सामने कई तरह की परेशानियां खड़ी होती रही हैं. विशेष रूप से वित्तीय मामलों में कई तरह की अनियमितताएं सामने आती हैं, जिसकी वजह से महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में काफी देरी होती है. यही वजह है कि अब शिक्षा विभाग पूरे सिस्टम को ऑनलाइन कर रहा है. इसकी ट्रेनिंग तमाम संस्थानों के प्रतिनिधियों को दे रहा है ताकि आने वाले समय में पूरी पारदर्शिता के साथ वित्तीय लेनदेन की निगरानी हो सके.
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