पटना: झारखंड चुनाव के बाद एनडीए ने बिहार में मिशन 2020 की तैयारियां शुरू कर दी है. हाल के चुनावी नतीजों के बाद ऐसा दिख रहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू साथ लड़ेगी. लेकिन, सीट शेयरिंग को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है.
50-50 पर लड़ना चाहेगी भाजपा
प्रदेश में भाजपा और जदयू लंबे समय से गठबंधन में चुनाव लड़ती आ रही है. 2014 लोकसभा चुनाव और 2015 विधानसभा चुनाव को छोड़कर कई चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ-साथ लड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर जीत हासिल करने वाले जदयू को भाजपा ने बराबरी का सीट दिया था. लिहाजा, इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा 50-50 पर ही लड़ना चाहेगी. भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़ी थी. जब विधानसभा चुनाव करीब आएगा, तब दोनों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलकर सीट शेयरिंग पर फैसला लेंगे.
2010 के फॉर्मूले पर लड़ना चाहेगी जदयू
2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इसमें भाजपा ने 91 सीटों पर यानी लगभग 90 फीसदी सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, जेडीयू के खाते में 141 सीटें थी. जेडीयू को 115 सीटों पर यानी लगभग 82 फीसदी सीटों पर जीत हासिल हुई थी. बदली परिस्थितियों में जदयू का मानना है कि इस बार भाजपा के लिए राजनीतिक मजबूरी है. लिहाजा, पार्टी 2010 के फार्मूले पर भाजपा के साथ चुनाव लड़ना चाहेगी. हालांकि, सीट शेयरिंग पर जदयू नेता अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि समय आते ही सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा.
'एनडीए के पास कोई और विकल्प नहीं'
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि अब भाजपा जदयू और लोजपा के पास एक साथ चुनाव लड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. सीट शेयरिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि 50-50 के हिसाब से ही दोनों दल चुनाव लड़ेंगे और उसी अनुपात में लोजपा के लिए भी सीटें छोड़ी जाएगी.
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