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मिशन 2020 की तैयारी में NDA, सीट शेयरिंग पर संशय बरकरार

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Published : Dec 27, 2019, 10:48 AM IST

महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावी नतीजों के बाद ऐसा दिख रहा है कि भाजपा, जदयू और लोजपा के पास एक साथ चुनाव लड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. वहीं, सीट शेयरिंग पर अबतक संशय बना हुआ है. भाजपा इस बार 50-50 पर ही लड़ना चाहेगी, वहीं जदयू 2010 के फॉर्मूले पर लड़ना चाहेगी.

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संशय

पटना: झारखंड चुनाव के बाद एनडीए ने बिहार में मिशन 2020 की तैयारियां शुरू कर दी है. हाल के चुनावी नतीजों के बाद ऐसा दिख रहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू साथ लड़ेगी. लेकिन, सीट शेयरिंग को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है.

50-50 पर लड़ना चाहेगी भाजपा
प्रदेश में भाजपा और जदयू लंबे समय से गठबंधन में चुनाव लड़ती आ रही है. 2014 लोकसभा चुनाव और 2015 विधानसभा चुनाव को छोड़कर कई चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ-साथ लड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर जीत हासिल करने वाले जदयू को भाजपा ने बराबरी का सीट दिया था. लिहाजा, इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा 50-50 पर ही लड़ना चाहेगी. भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़ी थी. जब विधानसभा चुनाव करीब आएगा, तब दोनों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलकर सीट शेयरिंग पर फैसला लेंगे.

एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर संशय

2010 के फॉर्मूले पर लड़ना चाहेगी जदयू
2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इसमें भाजपा ने 91 सीटों पर यानी लगभग 90 फीसदी सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, जेडीयू के खाते में 141 सीटें थी. जेडीयू को 115 सीटों पर यानी लगभग 82 फीसदी सीटों पर जीत हासिल हुई थी. बदली परिस्थितियों में जदयू का मानना है कि इस बार भाजपा के लिए राजनीतिक मजबूरी है. लिहाजा, पार्टी 2010 के फार्मूले पर भाजपा के साथ चुनाव लड़ना चाहेगी. हालांकि, सीट शेयरिंग पर जदयू नेता अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि समय आते ही सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा.

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रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

'एनडीए के पास कोई और विकल्प नहीं'
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि अब भाजपा जदयू और लोजपा के पास एक साथ चुनाव लड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. सीट शेयरिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि 50-50 के हिसाब से ही दोनों दल चुनाव लड़ेंगे और उसी अनुपात में लोजपा के लिए भी सीटें छोड़ी जाएगी.

यह भी पढ़ें- बिहार में कोल्ड स्ट्राइक, घर में दुबके लोग, सड़कों पर पसरा सन्नाटा

पटना: झारखंड चुनाव के बाद एनडीए ने बिहार में मिशन 2020 की तैयारियां शुरू कर दी है. हाल के चुनावी नतीजों के बाद ऐसा दिख रहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू साथ लड़ेगी. लेकिन, सीट शेयरिंग को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है.

50-50 पर लड़ना चाहेगी भाजपा
प्रदेश में भाजपा और जदयू लंबे समय से गठबंधन में चुनाव लड़ती आ रही है. 2014 लोकसभा चुनाव और 2015 विधानसभा चुनाव को छोड़कर कई चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ-साथ लड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर जीत हासिल करने वाले जदयू को भाजपा ने बराबरी का सीट दिया था. लिहाजा, इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा 50-50 पर ही लड़ना चाहेगी. भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़ी थी. जब विधानसभा चुनाव करीब आएगा, तब दोनों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलकर सीट शेयरिंग पर फैसला लेंगे.

एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर संशय

2010 के फॉर्मूले पर लड़ना चाहेगी जदयू
2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इसमें भाजपा ने 91 सीटों पर यानी लगभग 90 फीसदी सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, जेडीयू के खाते में 141 सीटें थी. जेडीयू को 115 सीटों पर यानी लगभग 82 फीसदी सीटों पर जीत हासिल हुई थी. बदली परिस्थितियों में जदयू का मानना है कि इस बार भाजपा के लिए राजनीतिक मजबूरी है. लिहाजा, पार्टी 2010 के फार्मूले पर भाजपा के साथ चुनाव लड़ना चाहेगी. हालांकि, सीट शेयरिंग पर जदयू नेता अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि समय आते ही सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा.

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रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

'एनडीए के पास कोई और विकल्प नहीं'
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि अब भाजपा जदयू और लोजपा के पास एक साथ चुनाव लड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. सीट शेयरिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि 50-50 के हिसाब से ही दोनों दल चुनाव लड़ेंगे और उसी अनुपात में लोजपा के लिए भी सीटें छोड़ी जाएगी.

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Intro: झारखंड चुनाव के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बिहार में मिशन 2020 की तैयारियों में जुट गई है आलिया राज्यों के चुनाव के नतीजों के बाद यह तय दिख रहा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू साथ लड़ेगी लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर संशय की स्थिति बरकरार है जदयू जहां पुराने फार्मूले पर चुनाव लड़ना चाहेगी वहीं भाजपा 50-50 के फार्मूले को अंतिम रूप देना चाहेगी।
कृपया इस पैकेज का वीओ करवा लेंगे


Body:
5050 के फार्मूले पर भाजपा लड़ना चाहेंगी चुनाव
बिहार में भाजपा और जदयू लंबे समय से गठबंधन में चुनाव लड़ती आ रही है । 2014 लोकसभा चुनाव 2015 विधानसभा चुनाव को अगर छोड़ दें तो दोनों दल कई चुनाव एक साथ लड़ चुके हैं 2020 के लोकसभा चुनाव में 2 सीटों पर जीत हासिल करने वाले जदयू पार्टी को भाजपा ने बराबरी का सीट दिया औरत पार्टी वियर अमीर कर रही है कि विधानसभा चुनाव में भी सीट शेयरिंग बराबरी के हिसाब से होगा ।
भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि भाजपा और जदयू गठबंधन देश में मिसाल है और विधानसभा चुनाव हम लोग साथ मिलकर लड़ेंगे भाजपा को यह मालूम है कि अपने गठबंधन के सहयोगी को किस तरह साथ लेकर चला जाता है । भाजपा का कहना है कि हमने सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़ी निखिल आनंद ने कहा कि जब चुनाव करीब आएगा तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार सीट शेयरिंग पर फैसला ले लेंगे


Conclusion:

2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू 77 चुनाव लड़ी थी 2010 में भाजपा ने 102 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और पार्टी को 91 सीटों पर जीत हासिल हुई थी भाजपा तकरीबन 90 फ़ीसदी सीटें जीतने में सफल हुई थी ।
जनता दल यूनाइटेड के खाते में 141 सीटें थी पार्टी को 115 सीटों पर जीत हासिल हुई थी लगभग 82 फ़ीसदी सीटों पर जदयू को जीत हासिल हुई थी । बदली परिस्थितियों में जदयू यह मानकर चल रही है कि भाजपा के लिए वह राजनीतिक मजबूरी है लिहाजा पार्टी 2010 के फार्मूले पर भाजपा के साथ चुनाव लड़ना चाहेगी सीट शेयरिंग पर जदयू नेता अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं है पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि इस समय आते ही सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का भी मानना है कि अब भाजपा जदयू लोजपा को के पास एक साथ चुनाव लड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है जहां तक सीट शेयरिंग का सवाल है ।तो 5050 के हिसाब से ही दोनों दल चुनाव लड़ेंगे और उसी अनुपात में लोजपा के लिए भी सीटें छोड़ी जाएगी ।
महाराष्ट्र झारखंड चुनाव के नतीजों के बाद जदयू को ऐसा लग रहा है कि अब वह भाजपा के लिए मजबूरी हैं लिहाजा पार्टी की ओर से 2010 के फार्मूले पर सीटों की मांग की जा सकती है राखी भाजपा 5050 के फार्मूले पर ही जोर आजमाइश करेगी
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