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बोले प्रत्यय अमृत- अब बिहार में ही होगा जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट, IGIMS को दिया गया फंड

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत (Pratyay Amrit Health Department) ने जानकारी दी है कि अब जीनोम सीक्वेंसिंग के टेस्ट के लिए सैंपल बिहार से बाहर भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आईजीआईएमएस के जीनोमिक्स लैब में इसकी जांच की जा सकेगी. इसके लिए सरकार ने 30 लाख की राशि स्वीकृत की है.

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत
स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत
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Published : Dec 13, 2021, 5:07 PM IST

पटनाः अब कोरोना संक्रमण की जांच की ही तरह ओमीक्रोन की जांच हो सकेगी. जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट (Genome Sequencing Test At IGIMS Patna) के लिए केंद्र से स्वीकृति मिल गई है. जल्द ही आईजीआईएमएस में ओमीक्रोन की जांच होगी. अभी तक सैंपल को दिल्ली भेजा जा रहा है. जिसकी रिपोर्ट मिलने में 5 दिन का वक्त लग रहा है. इससे संक्रमण के फैलने का ज्यादा खतरा है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि सारी तैयारी पूरी कर ली गई है. राशि भी स्वीकृत कर दी गई है.

यह भी पढ़ें- जानिए कैसे होती है 'जीनोम सीक्वेंसिंग' की पूरी प्रोसेसिंग, मशीन कैसे करती है काम

'ओमीक्रोन की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट जरूरी है. अभी दिल्ली सैंपल भेजा जाता है. जांच में कई दिन लग जाते हैं. मुख्यमंत्री भी इस पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. लेकिन बिहार में आईजीआईएमएस में जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिये केंद्र से अनुमति मिल चुकी है. इसके लिए पूरी तैयारी हो चुकी है. हम लोगों ने राशि भी स्वीकृत कर दी है. अभी जो दिल्ली सैंपल भेजा जाता है, उसमें कम से कम 5 दिन लग जा रहा है. हम लोगों ने 3 दिन में रिपोर्ट देने का आग्रह किया है.' -प्रत्यय अमृत, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा- अब पटना में ही होगा ओमीक्रोन टेस्ट

पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में जीनोमिक्स लैब (Genome Sequencing Test At IGIMS Patna) बनकर तैयार है. संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल ने कहा था कि इसकी जांच के लिए जो खर्च लगता है, उसका फंड सरकार की ओर से आ गया है और किसी भी तरह के फंड की दिक्कत संस्थान को नहीं है. अब आईजीआईएमएस जीनोमिक्स लैब (Genomics Lab At IGIMS Patna) में ही इसकी जांच संभव होगी.

इस प्रक्रिया में एक मरीज की जांच करें या 96 मरीज की जांच की जाए, उसकी कीमत 15 लाख रुपये आती है. इसको लेकर बिहार सरकार को पत्र लिखा गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सहित सभी लोगों ने इसपर अपनी सहमति दी. उसके बाद विभाग के पदाधिकारी ने आईजीआईएमएस के जीनोमिक्स लैब का दौरा किया था.

आईजीआईएमएस के अधीक्षक ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों के वेरिएंट की जांच शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार ने इस जांच में खर्च होने वाली राशि की स्वीकृति दे दी है और अब कोरोना पॉजिटिव मरीज की जिनोम सीक्वेंसिंग की जांच के लिए बाहर सैंपल भेजना नहीं पड़ेगा.

बता दें कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आईजीआईएमएस में लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व माइसेक इल्यूमिना कंपनी की मशीन इंस्टॉल हुई थी. यह मशीन नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग का एडवांस्ड प्लेटफॉर्म है. सीक्वेंसिंग का मतलब होता है, वायरस या बैक्टीरिया का जो भी जेनेटिक मैटेरियल है उसके पूरे सीक्वेंस को रीड करना. जहां तक मशीन के काम करने के प्रोसेस की बात है तो, जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रोसेस को 3 स्टेप में डिवाइड किया जाता है. पहला स्टेप होता है लाइब्रेरी प्रिपरेशन. यानी कि इस प्रोसेस में पॉजिटिव सैंपल को कई छोटे-छोटे पीसेस में अलग किया जाता है. जहां सीक्वेंसिंग होती है वहां नैनो चिप लगा होता है और उससे वह बाइंड करता है. क्योंकि वायरस का जीनोम बड़ा होता है और यह 30 KB का होता है. इतनी बड़ी क्षमता का जीनोम मशीन एक बार में रीड नहीं कर सकता.

ये भी पढ़ें- बिहार में ओमीक्रॉन की आहट! विदेश से आये 3 लोगों में कोरोना की पुष्टि, OMICRON जांच रिपोर्ट का इंतजार

दूसरा स्टेप होता है एनजीएस रन, इस प्रक्रिया में एक कॉर्टेज 96 सैंपल की क्षमतावाली होती है. इसमें सैंपल लोड किए जाते हैं और इसके बाद मशीन के बाई तरफ जहां नैनो चिप लगा होता है वहीं, पर सीक्वेंसिंग रिएक्शन होता है. इसके बाद बड़ी मात्रा में डाटा प्रोड्यूस होता है. डाटा काफी बड़ी साइज में होता है और गीगाबाइट की साइज में होता है. ऐसे में इस डाटा के स्टोरेज के लिए पास में ही एक बड़ा सर्वर लगा हुआ रहता है. आईजीआईएमएस की लैब में 13 टेराबाइट का सर्वर लगा हुआ है और यह काफी बड़ा है. यहां डाटा स्टोर होता है.

ये भी पढ़ें- ऐसे तो जीत जाएगा ओमीक्रॉन वैरिएंट! विदेशों से आए लोगों की कोरोना जांच में सुस्ती बढ़ा सकती है खतरा

जीनोम सीक्वेंसिंग का आखिरी स्टेप एनालिसिस होता है. इस प्रक्रिया में जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रोसेस के दौरान जो डाटा निकलता है उसे अन्य डाटा से कंपेयर किया जाता है. जैसे कि वायरस के जीनोम में सबसे पुराने वेरिएंट जोकि बुहान वायरस है, उससे कहां-कहां म्यूटेशन है और अन्य वेरिएंट से कहां अलग हो जाता है और कितना अलग है.

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पटनाः अब कोरोना संक्रमण की जांच की ही तरह ओमीक्रोन की जांच हो सकेगी. जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट (Genome Sequencing Test At IGIMS Patna) के लिए केंद्र से स्वीकृति मिल गई है. जल्द ही आईजीआईएमएस में ओमीक्रोन की जांच होगी. अभी तक सैंपल को दिल्ली भेजा जा रहा है. जिसकी रिपोर्ट मिलने में 5 दिन का वक्त लग रहा है. इससे संक्रमण के फैलने का ज्यादा खतरा है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि सारी तैयारी पूरी कर ली गई है. राशि भी स्वीकृत कर दी गई है.

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'ओमीक्रोन की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट जरूरी है. अभी दिल्ली सैंपल भेजा जाता है. जांच में कई दिन लग जाते हैं. मुख्यमंत्री भी इस पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. लेकिन बिहार में आईजीआईएमएस में जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिये केंद्र से अनुमति मिल चुकी है. इसके लिए पूरी तैयारी हो चुकी है. हम लोगों ने राशि भी स्वीकृत कर दी है. अभी जो दिल्ली सैंपल भेजा जाता है, उसमें कम से कम 5 दिन लग जा रहा है. हम लोगों ने 3 दिन में रिपोर्ट देने का आग्रह किया है.' -प्रत्यय अमृत, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा- अब पटना में ही होगा ओमीक्रोन टेस्ट

पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में जीनोमिक्स लैब (Genome Sequencing Test At IGIMS Patna) बनकर तैयार है. संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल ने कहा था कि इसकी जांच के लिए जो खर्च लगता है, उसका फंड सरकार की ओर से आ गया है और किसी भी तरह के फंड की दिक्कत संस्थान को नहीं है. अब आईजीआईएमएस जीनोमिक्स लैब (Genomics Lab At IGIMS Patna) में ही इसकी जांच संभव होगी.

इस प्रक्रिया में एक मरीज की जांच करें या 96 मरीज की जांच की जाए, उसकी कीमत 15 लाख रुपये आती है. इसको लेकर बिहार सरकार को पत्र लिखा गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सहित सभी लोगों ने इसपर अपनी सहमति दी. उसके बाद विभाग के पदाधिकारी ने आईजीआईएमएस के जीनोमिक्स लैब का दौरा किया था.

आईजीआईएमएस के अधीक्षक ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों के वेरिएंट की जांच शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार ने इस जांच में खर्च होने वाली राशि की स्वीकृति दे दी है और अब कोरोना पॉजिटिव मरीज की जिनोम सीक्वेंसिंग की जांच के लिए बाहर सैंपल भेजना नहीं पड़ेगा.

बता दें कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आईजीआईएमएस में लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व माइसेक इल्यूमिना कंपनी की मशीन इंस्टॉल हुई थी. यह मशीन नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग का एडवांस्ड प्लेटफॉर्म है. सीक्वेंसिंग का मतलब होता है, वायरस या बैक्टीरिया का जो भी जेनेटिक मैटेरियल है उसके पूरे सीक्वेंस को रीड करना. जहां तक मशीन के काम करने के प्रोसेस की बात है तो, जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रोसेस को 3 स्टेप में डिवाइड किया जाता है. पहला स्टेप होता है लाइब्रेरी प्रिपरेशन. यानी कि इस प्रोसेस में पॉजिटिव सैंपल को कई छोटे-छोटे पीसेस में अलग किया जाता है. जहां सीक्वेंसिंग होती है वहां नैनो चिप लगा होता है और उससे वह बाइंड करता है. क्योंकि वायरस का जीनोम बड़ा होता है और यह 30 KB का होता है. इतनी बड़ी क्षमता का जीनोम मशीन एक बार में रीड नहीं कर सकता.

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दूसरा स्टेप होता है एनजीएस रन, इस प्रक्रिया में एक कॉर्टेज 96 सैंपल की क्षमतावाली होती है. इसमें सैंपल लोड किए जाते हैं और इसके बाद मशीन के बाई तरफ जहां नैनो चिप लगा होता है वहीं, पर सीक्वेंसिंग रिएक्शन होता है. इसके बाद बड़ी मात्रा में डाटा प्रोड्यूस होता है. डाटा काफी बड़ी साइज में होता है और गीगाबाइट की साइज में होता है. ऐसे में इस डाटा के स्टोरेज के लिए पास में ही एक बड़ा सर्वर लगा हुआ रहता है. आईजीआईएमएस की लैब में 13 टेराबाइट का सर्वर लगा हुआ है और यह काफी बड़ा है. यहां डाटा स्टोर होता है.

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जीनोम सीक्वेंसिंग का आखिरी स्टेप एनालिसिस होता है. इस प्रक्रिया में जीनोम सीक्वेंसिंग के प्रोसेस के दौरान जो डाटा निकलता है उसे अन्य डाटा से कंपेयर किया जाता है. जैसे कि वायरस के जीनोम में सबसे पुराने वेरिएंट जोकि बुहान वायरस है, उससे कहां-कहां म्यूटेशन है और अन्य वेरिएंट से कहां अलग हो जाता है और कितना अलग है.

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