पटना: नामचीन चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के राजनीति में एंट्री (Prashant Kishor entry in Bihar Politics) की घोषणा कई राजनीतिक दलों की नींद उड़ा चुकी है. प्रशांत किशोर अब नई पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ने के मूड में नजर आ रहे हैं. हालांकि ये और बात है कि पीके अपनी नई पार्टी कब बनाएंगे इसपर वो कुछ भी नहीं बोल रहे हैं. पीके पॉलिटिकल स्ट्रेटजिस्ट हैं ऐसे में उन्हें पार्टी को कब और कैसे लॉन्च करना है वो जानते हैं. पार्टी खड़ी करने से पहले वो बिहार के युवा मन को टटोल लेना चाहते हैं. राजनीतिक परिदृश्य को बदलने के लिए, एक चुनावी रणनीतिकार होने की वजह से पीके अवसर की तलाश कर रहे हैं. वैसे भी बिहार में नई सियासी पार्टी खड़ी करने के संकेत से ही अन्य सियासी दल पीके पर आक्रामक हो गए हैं. कई तरह के बयान आने लगे हैं. खासकर बीजेपी और आरजेडी की ओर काफी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है.
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बिहार में 'पॉलिटिकल रिहर्सल' कर रहे पीके: प्रशांत किशोर पटना युनिवर्सिटी के छात्रों के बीच मंथन करके पॉलिटिकल रिहर्सल करने में भी जुट गए हैं. पीके ने सोमवार रात पटना युनिवर्सिटी के छात्र नेताओं के साथ दो घंटे तक बातचीत (Prashant Kishor meeting with Patna University student leaders) की. हालांकि इस बैठक के बारे में औपचारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया लेकिन इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. समझा जा रहा है कि प्रशांत किशोर छात्र नेताओं के साथ बातचीत को यहां की राजनीतिक परिस्थितियों की नब्ज टटोलने और तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है. बताया जाता है कि बहुत ही जल्द वे पीके बिहार भ्रमण पर निकलेंगे.
बता दें कि सोमवार को प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपने नए अभियान का एलान किया. उन्होंने लिखा, 'लोकतंत्र का एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीतियों को आकार देने में मदद करने की मेरी खोज ने बीते 10 सालों में उतार-चढ़ाव देखे हैं. अब मैं नया पन्ना पलटने जा रहा हूं. अब मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए 'रियल मास्टर्स' यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है, शुरुआत बिहार से होगी.
PK के इस ट्वीट ने मचाई हलचल : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोमवार को ट्वीट में कहा, 'लोकतंत्र में प्रभावशाली योगदान देने की उनकी भूख और लोगों के प्रति कार्य नीति तैयार करने में मदद करने का सफर काफी उतार चढ़ाव वाला रहा है. अब मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए 'रियल मास्टर' यानी जनता के पास जाने का समय आ गया है. शुरूआत बिहार से.'
क्या होगा पार्टी का नाम? : प्रशांत किशोर के ट्वीट को देखें तो एक तरह से उनकी पार्टी का नाम जन सुराज हो सकता हैं. हालांकि इस ट्वीट के बाद ये कयास भर ही है. पार्टी किस रुप में होगी. उसका नाम क्या होगा. यह सब तो पीके के दिमाग में होगा. लेकिन यह सवाल जरुर है कि अभी बिहार में कोई चुनाव होने वाला नहीं है. बिहार विधान सभा का चुनाव 2025 में और लोकसभा का चुनाव 2024 में होना है. तो फिर प्रशांत किशोर ने ऐसा क्यों लिखा, 'शुरुआत बिहार से'? हालांकि हो सकता है कि बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. प्रशांत किशोर तीन साल पहले ही राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर एक या दो साल में अपनी पॉलिटिकल पार्टी लांच कर सकते हैं.
2024 की बिसात.. क्या होगी pk के सामने चुनौती? : बिहार की सियासत में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के सामने कई चुनौतियां हैं. सबसे पहले, अकेले कब तक चुनावी अखाड़े में टिक पाएंगे. क्योंकि बिना गठबंधन के पीके के लिए बिहार में पांव जमाना मुश्किल होगा. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी को बिहार की जनता ने नकार दिया. ऐसे में पीके के सामने बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, मांझी की हम पार्टी और लोजपा रामविलास जैसी दिग्गज पार्टियां हैं, जो बिहार की सियासत में मजबूत पकड़ रखती हैं.
.. तो अब खुद के लिए बनाएंगे रणनीति: सवाल ये भी है कि पार्टी नेता के तौर पर काम करते हुए पीके सामने चुनौतियों की लंबी फेहरिस्त है. प्रशांत किशोर ने चुनावों में कई पार्टियों के लिए काम किया है. उनके गैर-बीजेपी दलों के साथ भी रिश्ते अच्छे हैं. कांग्रेस गठबंधन बनाने में भी उनका कांग्रेस के अंदर एक अहम रोल हो सकता था. हालांकि बात नहीं बन पाई ऐसे में माना जा रहा हैं कि दूसरों के लिए रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर अब खुद के लिए रणनीति बनाएंगे. कहा तो यह भी जा रहा है कि पीके बहुत जल्द बिहार का दौरा कर युवाओं और गैर राजनीतिक लोगों से मुलाकात करेंगे और नई राजनीतिक व्यवस्था तैयार करेंगे. लेकिन यह उनके लिए आसान नहीं होगा. क्योंकि लंबे समय के बाद बिहार लौटना और बिहार के लोगों से खुद को कनेक्ट करना मुश्किल होगा.
''एक वक्त था जब बिहार में लोग नेताओं के लिए बूथ लूटने का काम करते थे. लेकिन बाद में उन्हें लगा कि जब वह दूसरों के लिए ऐसा कर सकते हैं तो खुद राजनीति में क्यों नहीं आ जाएं और तब से बिहार की राजनीति में बाहुबलियों की एंट्री हुईं. प्रशांत किसोर दूसरे के लिए रणनीति बनाते थे उन्हें लगा कि दूसरे दलों में आजादी नहीं है, लिहाजा उन्होंने पार्टी गठन का फैसला लिया. अब वह अपने लिए रणनीति बनाएंगे, कितना सफल होंगे इसके लिए वक्त का इंतजार करना होगा.'' - डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
पार्टी पूरी तरह आधुनिक और डिजिटल होगी : सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर की पार्टी पूरी तरह आधुनिक और डिजिटल होगी और जनसंपर्क करने के नए उन्नत तकनीक के साथ लॉन्च होगी. पार्टी का नाम क्या होगा फिलहाल इसको लेकर अब तक उन्होंने कुछ साफ नहीं किया है. लेकिन सूत्र बताते है कि पीके जल्द ही अपनी पॉलिटिकल पार्टी लांच करेंगे. लेकिन उससे पहले वो बिहार भ्रमण कर प्रदेश का मूड समझना चाहते हैं. सूत्रों के अनुसार पीके ने राज्य का दौरा करने की योजना बनाई है और सत्तारूढ़ भाजपा-जनता दल यूनाइटेड गठबंधन से दूर ही रहेंगे, क्योंकि उन्होंने नीतीश कुमार से मिलने से परहेज किया है.
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