पटना: भीषण गर्मी (Scorching Heat in Bihar) के बीच बिहार में बिजली कटौती से आमलोग परेशान हैं. दिन में चिलचिलाती धूप के कारण लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. राजधानी पटना का अधिकतम तापमान 42 डिग्री पहुंच गया है. साथ ही बिजली की भी गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है. पिक आवर में बिहार के शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती (Power shortage in Bihar) हो रही है. भीषण गर्मी और बिजली की कटौती से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. इससे लोगों को न घर में चैन है और न बाहर आराम.
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छह से आठ घंटे तक बिजली गुल: बिहार को 6000 से 6500 मेगा वाट बिजली की जरूरत है लेकिन खपत से लगभग 1200-1400 मेगावाट कम बिजली आपूर्ति होने के कारण बिहार के सभी ग्रिडों को कम बिजली मिल रही है. इस कारण इन ग्रिडों से जुड़े फीडर को बारी-बारी से चलाया जारहा है. रोटेशन से फीडर चलने के कारण शहर से लेकर गांवों तक छह से आठ घंटे तक बिजली गुल रह रही है. इससे आम लोगों को तपती धूप में चैन नहीं मिल पा रहा है. देशव्यापी कोयला संकट के कारण बिहार में बिजली की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.
अधिकारियों और कर्मचारियों के छूट रहे पसीने: बिहार को केंद्रीय सेक्टर से कम बिजली मिल रही है. इससे बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं. हालांकि अधिकारी मेंटेनेंस के नाम पर बिजली कटौती की बात कह रहे है. बताया जाता है कि एनटीपीसी की बाढ़ इकाई के बंद होने और खुले बाजार से बिजली नहीं मिलने के कारण राज्य को कम बिजली मिली. पीक आवर में रात आठ बजे पांच हजार मेगावाट से कम बिजली आपूर्ति हुई. कम बिजली मिलने के कारण लगभग पांच दर्जन ग्रिड को लोडशेडिंग पर रखना पड़ रहा है.
बाजार में बिजली उपलब्ध नहीं: सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को बिहार को केंद्रीय कोटे से 4200 मेगावाट बिजली दी गई. कहलगांव यूनिट देर शाम आ गई लेकिन बाढ यूनिट के शुक्रवार को आने की उम्मीद है. बाढ़ यूनिट आने के बाद ही बिहार के हिस्से में 600 मेगावाट बिजली की वृद्धि हो सकेगी. बाकी बिजली बिहार को खुले बाजार से लेनी है. बाजार में बिजली उपलब्ध नहीं होने के कारण ही परेशानी हो रही है.
आम तौर पर बिहार हर रोज खुले बाजार से 1200-1400 मेगावाट बिजली की खरीदारी करता है. अभी बोली लगाने के बावजूद खुले बाजार से बिहार को 100 मेगावाट भी बिजली नहीं मिल पा रही है. बताया जाता है कि जब तक खुले बाजार में बिजली उपलब्ध नहीं हो जाती, बिहार को यह संकट झेलना होगा. खुले बाजार में बिजली उपलब्ध नहीं होने का मुख्य कारण कोयला संकट बताया जा रहा है.
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