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बिहार में EBC आरक्षण को लेकर BJP-JDU आमने-सामने, सीन से RJD गायब

अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर बिहार में बवाल मचा हुआ है. जेडीयू और बीजेपी अतिपिछड़ा आरक्षण को लेकर आमने-सामने है. यहां बीजेपी नीतीश कुमार को दोषी ठहरा रही है. वहीं जेडीयू बीजेपी को आरक्षण विरोधी बता रही है, लेकिन पूरे सीन में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद आरजेडी गायब है. बिहार में अतिपिछड़ा आरक्षण (EBC Reservation in Bihar) को लेकर चल रही सियासी उठापटक पर पढ़ें विस्तृत खबर..

बिहार में अतिपिछड़ा आरक्षण पर सियासत
बिहार में अतिपिछड़ा आरक्षण पर सियासत
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Published : Oct 15, 2022, 9:34 AM IST

पटनाः बिहार में नगर निकाय चुनाव पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इसके बाद से ही जेडीयू और बीजेपी के बीच अतिपिछड़ा आरक्षण को लेकर सियासत तेज हो गई है. बिहार में नगर निकाय चुनाव स्थगित (Municipal Elections Postponed in Bihar) होने के पीछे बीजेपी जहां जेडीयू को कसूरवार ठहरा रही है, वहीं जेडीयू बीजेपी को आरक्षण विरोधी का तमगा दे रही है. इस बीच आरजेडी इस परिदृश्य से गायब नजर आ रही है.

ये भी पढ़ेंः 'नीतीश कुमार BJP के साजिश को चक्र और तलवार से काट देंगे, PM मोदी के पास कोई विजन नहीं'

नीतीश कुमार को कसूरवार ठहरा रही बीजेपीः बिहार में पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार पिछड़ा और अति पिछड़ा राजनीति के सहारे सत्ता में रहे हैं. अति पिछड़ा और पिछड़ा के एक बड़े वर्ग पर बीजेपी की भी नजर रही है. नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा आरक्षण बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जहां बीजेपी नीतीश कुमार को घेरने के लिए लगातार आंदोलन कर रही है. अब बीजेपी 17 अक्टूबर को पूरे बिहार में धरना देने वाली है और बीजेपी के भी वरिष्ठ नेता इसमें शामिल होंगे.

बीजेपी को जेडीयू ने आरक्षण विरोधी बतायाः जेडीयू अतिपिछड़ा वोट बैंक पर अपनी दावेदारी के लिए बीजेपी को आरक्षण विरोधी बता रही है. जेडीयू की तरफ से भी लगातार आंदोलन हो रहा है. अभी 13 अक्टूबर को पटना सहित पूरे बिहार में बीजेपी के खिलाफ पोल खोल अभियान चलाया गया. इसमें जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और पार्टी के सभी नेता सांसद से लेकर विधायक तक शामिल हुए.

ईबीसी आरक्षण पर आरजेडी परिदृश्य से गायबः बीजेपी और जेडीयू दोनों तरफ से यह बताने की कोशिश हो रही है कि वही अति पिछड़ा के हितैषी हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प आरजेडी को लेकर है कि पूरे सीन से आरजेडी गायब है. जबकि पिछड़ा की पॉलिटिक्स आरजेडी भी करती रही है. आरजेडी का वोट बैंक एमवाई रहा है. नगर निकाय चुनाव में यदि अति पिछड़ों को आरक्षण नहीं दिया गया और इसी तरह चुनाव कराया गया तो सबसे ज्यादा लाभ आरजेडी के वोट बैंक से आने वाले उम्मीदवार को होगा. जब हाई कोर्ट का फैसला आया था तो कई जगह यादव जाति के उम्मीदवारों ने जश्न मनाया था. क्योंकि उन्हें आरक्षण के कारण चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल रहा था.

नीतीश कुमार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले पर तेजस्वी साथः उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले को सही बताया है और यह भी कहा है कि आरक्षण के बाद ही चुनाव होगा. इसके बावजूद आरजेडी की तरफ से किसी तरह का कोई अभियान देखने को नहीं मिल रहा है. अति पिछड़ा आरक्षण के मुद्दे पर सरकार के साथ होने के बाद भी आरजेडी के सीन से गायब होने पर राजनीतिक विशेषज्ञ भी आश्चर्य जता रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है पिछड़ा और अति पिछड़ा पॉलिटिक्स आरजेडी करती रही है, लेकिन इस मामले में कहीं दिख नहीं रही है. यह जरूर है कि नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का जो फैसला लिया है कि तेजस्वी यादव भी उसके साथ दिख रहे हैं.

आरक्षण पर सियासी बयानबाजी तेजः आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी इसको लेकर सफाई दे रहे हैं कि आरक्षण पार्टी का सामाजिक आधार रहा है. हमलोग महागठबंधन सरकार के साथ हैं. वहीं जेडीयू प्रवक्ता परिमल राज का कहना है कि आरक्षण को लेकर महागठबंधन की सरकार एक साथ हैं. आरजेडी का मानसिक रूप से समर्थन इस मामले पर है. यह सामाजिक न्याय की लड़ाई है. जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी इसी बीच बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि आरजेडी के समय कभी आरक्षण नहीं दिया गया और आरजेडी की नजर केवल लालू परिवार के आरक्षण पर ही रहती है.

"आरक्षण को लेकर महागठबंधन की सरकार एक साथ हैं. आरजेडी का मानसिक रूप से समर्थन इस मामले पर है. यह सामाजिक न्याय की लड़ाई है. जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी" - परिमल राज, प्रवक्ता जेडीयू

"आरक्षण की पक्षधर शुरू से बीजेपी रही है. आरजेडी के समय कभी आरक्षण नहीं दिया गया और आरजेडी की नजर केवल लालू परिवार के आरक्षण पर ही रहती है. आरजेडी सिर्फ लालू परिवार की गरीबी को दूर करने का काम करती है" - अरविंद सिंह, प्रवक्ता बीजेपी


आरक्षण से यादव और कुशवाहा को किया गया था बाहरः पटना हाईकोर्ट में नगर निकाय चुनाव को लेकर याचिका दायर करने वाले सुनील कुमार राय के साथ 19 याचिकाकर्ता थे. इसमें से कुल 15 मामलों की सुनवाई एक साथ की गई. मुख्य याचिकाकर्ता यादव जाति से आते हैं, क्योंकि नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण में यादव और कुशवाहा को बाहर कर दिया गया था. इसलिए इस वर्ग के उम्मीदवार नाराज थे और चाहते थे कि उन्हें भी आरक्षण मिले. अब यदि बिना आरक्षण का चुनाव होता है तो इन्हें भी उम्मीदवार बनने का मौका मिल जाएगा.

"आरक्षण पार्टी का सामाजिक आधार रहा है. हमलोग महागठबंधन सरकार के साथ हैं. हम लोगों का कमिटमेंट भी है, लेकिन पार्टी की लगातार बैठक हो रही थी उपचुनाव भी है अब आगे रणनीति तैयार होगी" - मृत्युंजय तिवारी प्रवक्ता आरजेडी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश ट्रिपल टेस्ट की अनदेखी ः बिहार में अभी 50% के आसपास ही आरक्षण दिया गया है. उसमें भी 50% महिलाओं को आरक्षण दिया गया है, लेकिन पिछड़ों को जो आरक्षण दिया गया उसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश ट्रिपल टेस्ट की अनदेखी की गई. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग बनाकर अति पिछड़ों के ट्रिपल टेस्ट करने का फैसला 2021 में ही दिया था और उस आदेश का पालन नीतीश सरकार ने नहीं की और उसके कारण पटना हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी है.

नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट में करेगी अपील: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू के सभी नेता लगातार कह रहे हैं कि बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी. हाईकोर्ट के फैसले के बाद जिसमें सुप्रीम कोर्ट के हवाले को देखकर ही निकाय चुनाव को रोका गया है या फिर आरक्षित 20% ओबीसी को सामान्य बनाकर चुनाव कराने की सलाह दी गई है. ऐसे में यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के खिलाफ गया और आयोग बनाने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया तो नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है और इन सब में नगर निकाय चुनाव लंबे समय तक स्थगित भी रह सकता है. फिलहाल अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर सियासत जरूर तेज है जेडीयू और बीजेपी खुलकर सामने हैं. वहीं आरजेडी पर्दे के पीछे से वेट एंड वॉच कर रही है.


"पिछड़ा और अति पिछड़ा पॉलिटिक्स आरजेडी करती रही है, लेकिन इस मामले में कहीं दिख नहीं रही है. यह जरूर है कि नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का जो फैसला लिया है कि तेजस्वी यादव भी उसके साथ दिख रहे हैं" - रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

पटनाः बिहार में नगर निकाय चुनाव पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इसके बाद से ही जेडीयू और बीजेपी के बीच अतिपिछड़ा आरक्षण को लेकर सियासत तेज हो गई है. बिहार में नगर निकाय चुनाव स्थगित (Municipal Elections Postponed in Bihar) होने के पीछे बीजेपी जहां जेडीयू को कसूरवार ठहरा रही है, वहीं जेडीयू बीजेपी को आरक्षण विरोधी का तमगा दे रही है. इस बीच आरजेडी इस परिदृश्य से गायब नजर आ रही है.

ये भी पढ़ेंः 'नीतीश कुमार BJP के साजिश को चक्र और तलवार से काट देंगे, PM मोदी के पास कोई विजन नहीं'

नीतीश कुमार को कसूरवार ठहरा रही बीजेपीः बिहार में पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार पिछड़ा और अति पिछड़ा राजनीति के सहारे सत्ता में रहे हैं. अति पिछड़ा और पिछड़ा के एक बड़े वर्ग पर बीजेपी की भी नजर रही है. नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा आरक्षण बड़ा मुद्दा बना हुआ है, जहां बीजेपी नीतीश कुमार को घेरने के लिए लगातार आंदोलन कर रही है. अब बीजेपी 17 अक्टूबर को पूरे बिहार में धरना देने वाली है और बीजेपी के भी वरिष्ठ नेता इसमें शामिल होंगे.

बीजेपी को जेडीयू ने आरक्षण विरोधी बतायाः जेडीयू अतिपिछड़ा वोट बैंक पर अपनी दावेदारी के लिए बीजेपी को आरक्षण विरोधी बता रही है. जेडीयू की तरफ से भी लगातार आंदोलन हो रहा है. अभी 13 अक्टूबर को पटना सहित पूरे बिहार में बीजेपी के खिलाफ पोल खोल अभियान चलाया गया. इसमें जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और पार्टी के सभी नेता सांसद से लेकर विधायक तक शामिल हुए.

ईबीसी आरक्षण पर आरजेडी परिदृश्य से गायबः बीजेपी और जेडीयू दोनों तरफ से यह बताने की कोशिश हो रही है कि वही अति पिछड़ा के हितैषी हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प आरजेडी को लेकर है कि पूरे सीन से आरजेडी गायब है. जबकि पिछड़ा की पॉलिटिक्स आरजेडी भी करती रही है. आरजेडी का वोट बैंक एमवाई रहा है. नगर निकाय चुनाव में यदि अति पिछड़ों को आरक्षण नहीं दिया गया और इसी तरह चुनाव कराया गया तो सबसे ज्यादा लाभ आरजेडी के वोट बैंक से आने वाले उम्मीदवार को होगा. जब हाई कोर्ट का फैसला आया था तो कई जगह यादव जाति के उम्मीदवारों ने जश्न मनाया था. क्योंकि उन्हें आरक्षण के कारण चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिल रहा था.

नीतीश कुमार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले पर तेजस्वी साथः उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले को सही बताया है और यह भी कहा है कि आरक्षण के बाद ही चुनाव होगा. इसके बावजूद आरजेडी की तरफ से किसी तरह का कोई अभियान देखने को नहीं मिल रहा है. अति पिछड़ा आरक्षण के मुद्दे पर सरकार के साथ होने के बाद भी आरजेडी के सीन से गायब होने पर राजनीतिक विशेषज्ञ भी आश्चर्य जता रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है पिछड़ा और अति पिछड़ा पॉलिटिक्स आरजेडी करती रही है, लेकिन इस मामले में कहीं दिख नहीं रही है. यह जरूर है कि नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का जो फैसला लिया है कि तेजस्वी यादव भी उसके साथ दिख रहे हैं.

आरक्षण पर सियासी बयानबाजी तेजः आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी इसको लेकर सफाई दे रहे हैं कि आरक्षण पार्टी का सामाजिक आधार रहा है. हमलोग महागठबंधन सरकार के साथ हैं. वहीं जेडीयू प्रवक्ता परिमल राज का कहना है कि आरक्षण को लेकर महागठबंधन की सरकार एक साथ हैं. आरजेडी का मानसिक रूप से समर्थन इस मामले पर है. यह सामाजिक न्याय की लड़ाई है. जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी इसी बीच बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि आरजेडी के समय कभी आरक्षण नहीं दिया गया और आरजेडी की नजर केवल लालू परिवार के आरक्षण पर ही रहती है.

"आरक्षण को लेकर महागठबंधन की सरकार एक साथ हैं. आरजेडी का मानसिक रूप से समर्थन इस मामले पर है. यह सामाजिक न्याय की लड़ाई है. जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी" - परिमल राज, प्रवक्ता जेडीयू

"आरक्षण की पक्षधर शुरू से बीजेपी रही है. आरजेडी के समय कभी आरक्षण नहीं दिया गया और आरजेडी की नजर केवल लालू परिवार के आरक्षण पर ही रहती है. आरजेडी सिर्फ लालू परिवार की गरीबी को दूर करने का काम करती है" - अरविंद सिंह, प्रवक्ता बीजेपी


आरक्षण से यादव और कुशवाहा को किया गया था बाहरः पटना हाईकोर्ट में नगर निकाय चुनाव को लेकर याचिका दायर करने वाले सुनील कुमार राय के साथ 19 याचिकाकर्ता थे. इसमें से कुल 15 मामलों की सुनवाई एक साथ की गई. मुख्य याचिकाकर्ता यादव जाति से आते हैं, क्योंकि नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण में यादव और कुशवाहा को बाहर कर दिया गया था. इसलिए इस वर्ग के उम्मीदवार नाराज थे और चाहते थे कि उन्हें भी आरक्षण मिले. अब यदि बिना आरक्षण का चुनाव होता है तो इन्हें भी उम्मीदवार बनने का मौका मिल जाएगा.

"आरक्षण पार्टी का सामाजिक आधार रहा है. हमलोग महागठबंधन सरकार के साथ हैं. हम लोगों का कमिटमेंट भी है, लेकिन पार्टी की लगातार बैठक हो रही थी उपचुनाव भी है अब आगे रणनीति तैयार होगी" - मृत्युंजय तिवारी प्रवक्ता आरजेडी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश ट्रिपल टेस्ट की अनदेखी ः बिहार में अभी 50% के आसपास ही आरक्षण दिया गया है. उसमें भी 50% महिलाओं को आरक्षण दिया गया है, लेकिन पिछड़ों को जो आरक्षण दिया गया उसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश ट्रिपल टेस्ट की अनदेखी की गई. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग बनाकर अति पिछड़ों के ट्रिपल टेस्ट करने का फैसला 2021 में ही दिया था और उस आदेश का पालन नीतीश सरकार ने नहीं की और उसके कारण पटना हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दी है.

नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट में करेगी अपील: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू के सभी नेता लगातार कह रहे हैं कि बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी. हाईकोर्ट के फैसले के बाद जिसमें सुप्रीम कोर्ट के हवाले को देखकर ही निकाय चुनाव को रोका गया है या फिर आरक्षित 20% ओबीसी को सामान्य बनाकर चुनाव कराने की सलाह दी गई है. ऐसे में यदि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के खिलाफ गया और आयोग बनाने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया तो नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है और इन सब में नगर निकाय चुनाव लंबे समय तक स्थगित भी रह सकता है. फिलहाल अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर सियासत जरूर तेज है जेडीयू और बीजेपी खुलकर सामने हैं. वहीं आरजेडी पर्दे के पीछे से वेट एंड वॉच कर रही है.


"पिछड़ा और अति पिछड़ा पॉलिटिक्स आरजेडी करती रही है, लेकिन इस मामले में कहीं दिख नहीं रही है. यह जरूर है कि नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का जो फैसला लिया है कि तेजस्वी यादव भी उसके साथ दिख रहे हैं" - रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

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