पटना: नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार की एनडीए सरकार लगातार ये दावे करती है कि जीडीपी के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार अव्वल है और बिहार का वित्तीय मैनेजमेंट दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर है लेकिन नीति आयोग की रिपोर्ट (Report of NITI Aayog) ने तमाम दावों पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है. दरअसल नीति आयोग ने देश के गरीब राज्यों की जो सूची जारी की है, उसके मुताबिक बहुआयामी गरीबी सूचकांक में बिहार निचले स्थान पर है.
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नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 51.91% लोग गरीबी रेखा से नीचे है. बिहार में कुपोषित लोगों की संख्या में सबसे ज्यादा है. स्कूली शिक्षा समेत दूसरे कई इंडेक्स में भी बिहार फिसड्डी साबित हुआ है. हालांकि बिहार विकास दर के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल है. 2020-21 में स्थिर मूल्य पर राज्य की आर्थिक विकास दर 10.5 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. वर्तमान मूल्य पर यह दर 15.4% है.
नीति आयोग की रिपोर्ट सामने आने के बाद बिहार में सियासत शुरू हो गई है. मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि नीति आयोग की रिपोर्ट नीतीश सरकार को आईना दिखाने का काम कर रही है. सरकार में बैठे लोग अपनी कमी छुपाने के लिए नीति आयोग की रिपोर्ट को झुठला रहे हैं, यह बिल्कुल शर्मनाक बात है.
"नीति आयोग की रिपोर्ट नीतीश सरकार को आईना दिखाने का काम कर रही है. विकास की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली सरकार के दावों की पोल खुल गई है. अब सरकार में बैठे लोग अपनी कमी छुपाने के लिए नीति आयोग की रिपोर्ट को झुठला रहे हैं, जोकि शर्मनाक है"- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
सत्ताधारी जेडीयू के प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश की अगुवाई में सरकार ने बिहार में तरक्की के नए आयाम लिखे हैं. बिहार की कई योजनाओं को केंद्र ने भी अपनाया है और उसे पूरे देश में लागू किया गया है. नीति आयोग की रिपोर्ट किस आधार पर बनाई जाती है, हमारे समझ से परे है. हमने लगातार विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है. केंद्र की सरकार को इस पर भी विचार करना चाहिए.
"नीतीश सरकार ने सूबे में तरक्की के नए आयाम लिखे हैं. बिहार की कई योजनाओं को केंद्र ने भी अपनाया है और उसे पूरे देश में लागू किया गया है. नीति आयोग की रिपोर्ट किस आधार पर बनाई जाती है, हमारे समझ से परे है"- अरविंद निषाद, प्रवक्ता, जेडीयू
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आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. संजय कुमार ने नीति आयोग की रिपोर्ट पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि बिहार के आधे जिले बाढ़ की चपेट में हैं तो आधे जिलों में सूखे का प्रभाव रखता है. ऐसे में बिहार सरकार को किसानों की बेहतरी के लिए नीति बनाने की जरूरत है. सरकार बाढ़ प्रभावित और सूखा प्रभावित इलाकों के लिए अलग-अलग किस्म के फसलों को चिह्नित करें और किसानों को प्रोत्साहित करें. बाजार समिति व्यवस्था फिर से लागू की जाए ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके.
"नीति आयोग की रिपोर्ट चिंताजनक तो है. मुझे लगता है कि बिहार सरकार को किसानों की बेहतरी के लिए नीति बनाने की जरूरत है. सरकार को बाढ़ प्रभावित और सूखा से प्रभावित इलाकों के लिए अलग-अलग किस्म के फसलों को चिह्नित करना होगा. साथ ही बाजार समिति व्यवस्था फिर से लागू करनी होगी"- डॉ. संजय कुमार, आर्थिक मामलों के जानकार
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वहीं, अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है कि नीति आयोग की जो रिपोर्ट सामने आई है, वह हकीकत को दर्शाती है. बिहार सरकार को अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है. शिक्षा के क्षेत्र में क्वालिटी एजुकेशन के अलावा शिक्षकों की संख्या का अनुपात को ठीक करने की जरूरत है. शिक्षकों की भर्ती के तरीके में भी बदलाव लाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षक बहाल किए जाएं. जहां तक स्वास्थ्य का सवाल है तो स्वास्थ्य क्षेत्र में चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के अनुपात को दुरुस्त करने की जरूरत है. शिक्षा और स्वास्थ्य अगर बेहतर हो जाएगा तो विकास का पैमाना भी पटरी पर आ जाएगा.
"नीति आयोग की रिपोर्ट हकीकत को दर्शाती है. बिहार सरकार को अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है. शिक्षा और स्वास्थ्य अगर बेहतर हो जाए तो विकास का पैमाना भी पटरी पर आ जाएगा"- डॉ. विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री
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