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जिस 'वंदे मातरम्' की गूंज से अंग्रेजों में मची रहती थी खलबली, उस राष्ट्रगीत पर बिहार में सियासत क्यों?

वंदे मातरम् पर बिहार में सियासत (Politics in Bihar on Vande Mataram) तेज हो गई है. बिहार विधानसभा में राष्ट्रगीत (National Song in Bihar Assembly) का ओवैसी के विधायक ने विरोध जताया. वंदे मातरम् पर विवाद (Controversy over Vande Mataram) बढ़ने के बाद बिहार के राजनीतिक दलों ने एक सुर में राष्ट्रगीत के महत्व को स्वीकार किया. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

वंदे मातरम पर विवाद
वंदे मातरम पर विवाद
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Published : Dec 4, 2021, 9:13 PM IST

पटना: विधानसभा के शीतकालीन सत्र का समापन (Winter session of assembly concludes) पर राष्ट्रगीत को लेकर जमकर बवाल (Uproar In Assembly Over Vande Matram Song) हुआ. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने राष्ट्रगीत गाने का विरोध किया और इसको लेकर सवाल भी खड़े किये. बता दें कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम (National Song Vande Mataram) जिसे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने हथियार बनाया था और वो इसी गीत को गाकर सूली पर चढ़ गए थे.

ये भी पढ़ें- ओवैसी के विधायक का बयान: 'किसी की मजाल नहीं है कि वो 'वंदेमातरम्' कहलवाए'

बता दें कि प्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी (Bankim Chandra Chatterjee) ने 1875 में वंदे मातरम गीत की रचना बंगाली भाषा में की थी. बाद में रविंद्र नाथ टैगोर ने उसे 1896 के कांग्रेस अधिवेशन में गाया था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने जब इस गीत की रचना की थी, तब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और उस दौरान हर समारोह में 'गॉड सेव द क्वीन' गीत गाया जाता था, भारतीयों को यह नागवार गुजरता था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने आहत होकर इस गीत की रचना की और उसका शीर्षक 'वंदे मातरम' दिया.

बिहार विधानसभा सत्र की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ होती है और इस बार राष्ट्रगीत के साथ समापन किया गया, लेकिन एआईएमआईएम विधायक अख्तरुल इमान (AIMIM MLA Akhtarul Iman) को यह पहल नागवार गुजरी. पार्टी ने राष्ट्रगीत के गाए जाने पर नाराजगी जाहिर की.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- बिहार विधानसभा में 'वंदेमातरम्' को लेकर बवाल, आमने-सामने आए AIMIM व BJP विधायक

''इस्लाम में हम सिर्फ एक ईश्वर को मानते हैं और इस गीत में देवी-देवताओं की आराधना की गई है. इस वजह से हम इस गीत को गाने से परहेज करते हैं. राष्ट्रगान के प्रति हमारा सम्मान है और संविधान में इसका जिक्र भी है. राष्ट्रगीत पूरी तरह ठीक है संविधान निर्माण के दौरान भी इस बात पर जब बात हुई थी तो मतभेद थे और लोगों की अलग-अलग राय थी.''- अख्तरुल इमान, प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम

''राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का सबको सम्मान करना चाहिए. जहां तक राष्ट्रगीत का सवाल है तो हम और सभी देशवासी उसका सम्मान करते हैं, लेकिन यह पूरे तौर पर ऐच्छिक है. इसे बाध्यकारी नहीं बनाया जाना चाहिए और इस पर जो लोग पाकिस्तान जाने की बात कह रहे हैं, उन्हें ऐसे बयान से परहेज करना चाहिए.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

''राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत हमारे लिए सम्मान का विषय है. संविधान निर्माताओं ने भी इसे स्वीकार किया है. लोकसभा और विधानसभा में अगर इसे गाया जाता है तो इस पर किसी को एतराज नहीं होना चाहिए. उन्मादी लोग ऐसे मुद्दों को उठाकर वोट बैंक की राजनीति करते हैं.''- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू

''राष्ट्रगीत गाने के वक्त में सम्मान महसूस करना चाहिए. स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे बड़े ही गर्व के साथ गाया है. आज कुछ लोग जिन्ना के राह पर चलकर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है.''- अजफर शम्सी, बीजेपी प्रवक्ता

''वंदे मातरम को भारतीयों ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनाया था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने 'गॉड सेव द क्वीन' के खिलाफ इस गीत की रचना की थी, इसे धार्मिक दृष्टिकोण देने की जरूरत नहीं है, इस गीत में माता से तात्पर्य भारत माता से है.''- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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पटना: विधानसभा के शीतकालीन सत्र का समापन (Winter session of assembly concludes) पर राष्ट्रगीत को लेकर जमकर बवाल (Uproar In Assembly Over Vande Matram Song) हुआ. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने राष्ट्रगीत गाने का विरोध किया और इसको लेकर सवाल भी खड़े किये. बता दें कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम (National Song Vande Mataram) जिसे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने हथियार बनाया था और वो इसी गीत को गाकर सूली पर चढ़ गए थे.

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बता दें कि प्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी (Bankim Chandra Chatterjee) ने 1875 में वंदे मातरम गीत की रचना बंगाली भाषा में की थी. बाद में रविंद्र नाथ टैगोर ने उसे 1896 के कांग्रेस अधिवेशन में गाया था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने जब इस गीत की रचना की थी, तब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और उस दौरान हर समारोह में 'गॉड सेव द क्वीन' गीत गाया जाता था, भारतीयों को यह नागवार गुजरता था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने आहत होकर इस गीत की रचना की और उसका शीर्षक 'वंदे मातरम' दिया.

बिहार विधानसभा सत्र की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ होती है और इस बार राष्ट्रगीत के साथ समापन किया गया, लेकिन एआईएमआईएम विधायक अख्तरुल इमान (AIMIM MLA Akhtarul Iman) को यह पहल नागवार गुजरी. पार्टी ने राष्ट्रगीत के गाए जाने पर नाराजगी जाहिर की.

देखें रिपोर्ट

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''इस्लाम में हम सिर्फ एक ईश्वर को मानते हैं और इस गीत में देवी-देवताओं की आराधना की गई है. इस वजह से हम इस गीत को गाने से परहेज करते हैं. राष्ट्रगान के प्रति हमारा सम्मान है और संविधान में इसका जिक्र भी है. राष्ट्रगीत पूरी तरह ठीक है संविधान निर्माण के दौरान भी इस बात पर जब बात हुई थी तो मतभेद थे और लोगों की अलग-अलग राय थी.''- अख्तरुल इमान, प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम

''राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का सबको सम्मान करना चाहिए. जहां तक राष्ट्रगीत का सवाल है तो हम और सभी देशवासी उसका सम्मान करते हैं, लेकिन यह पूरे तौर पर ऐच्छिक है. इसे बाध्यकारी नहीं बनाया जाना चाहिए और इस पर जो लोग पाकिस्तान जाने की बात कह रहे हैं, उन्हें ऐसे बयान से परहेज करना चाहिए.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

''राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत हमारे लिए सम्मान का विषय है. संविधान निर्माताओं ने भी इसे स्वीकार किया है. लोकसभा और विधानसभा में अगर इसे गाया जाता है तो इस पर किसी को एतराज नहीं होना चाहिए. उन्मादी लोग ऐसे मुद्दों को उठाकर वोट बैंक की राजनीति करते हैं.''- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जदयू

''राष्ट्रगीत गाने के वक्त में सम्मान महसूस करना चाहिए. स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे बड़े ही गर्व के साथ गाया है. आज कुछ लोग जिन्ना के राह पर चलकर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है.''- अजफर शम्सी, बीजेपी प्रवक्ता

''वंदे मातरम को भारतीयों ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनाया था. बंकिम चंद्र चटर्जी ने 'गॉड सेव द क्वीन' के खिलाफ इस गीत की रचना की थी, इसे धार्मिक दृष्टिकोण देने की जरूरत नहीं है, इस गीत में माता से तात्पर्य भारत माता से है.''- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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