पटना: बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Ban in Bihar) में संशोधन को लेकर डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने इंकार किया है. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में शराब पीने से हुई 12 लोगों की मौत के बाद शराबबंदी कानून के वापस लिए जाने या इसमें संशोधन के तमाम कयास लगाए जा रहे थे. इस मसले पर डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने कहा है कि बिहार में शराबबंदी है, और आगे भी जारी रहेगी. लोगों को जागरूक करने के लिए प्रदेश में अभियान चलाया जाएगा.
'लोग शराबबंदी को लेकर जागरूक हों इसको लेकर जनजागरण अभियान चलाना होगा. वो सरकार करेगी. इस कानून को लेकर जदयू और बीजेपी में कोइ मतभेद नहीं है. बिहार में सब कुछ ठीक है और नीतीश कुमार के अगुवाई में बिहार का विकास लगातार हो रहा है.' - तारकिशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री, बिहार
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के शराबबंदी कानून में संशोधन या समीक्षा करने की मांग किए जाने के संबंध में पूछे जाने पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मांझी हमारे अभिभावक हैं और एनडीए के महत्वपूर्ण घटक दल के प्रमुख हैं. उन्होंने अपने विचार और सलाह दिये हैं लेकिन अभी तक शराबबंदी कानून पर एनडीए कायम है. दरअसल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार इस मुद्दे की समीक्षा के लिए तैयार है और बिहार विधानसभा के आगामी बजट सत्र में एक प्रस्ताव पेश किए जाने की संभावना है. प्रस्ताव के अनुसार शराब के नशे में पकड़े जाने वालों को मौके पर ही जुर्माना भरकर छोड़ा जा सकता है. हालांकि, यह दोहराने वाले अपराधियों पर लागू नहीं होगा.
शराबबंदी कानून के मानदंडों का बार-बार उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है. इस तरह की छूट से घर पर शराब की खपत हो सकेगी और होम डिलीवरी की अवधारणा को भी बढ़ावा मिलेगा, जो बिहार में आदतन शराब पीने वालों के बीच पहले से ही लोकप्रिय है. बता दें कि बिहार के नालंदा जिले में जहरीली शराब से 12 लोगों की हुई मौत के बाद से ही राज्य में शराबबंदी कानून को लेकर विपक्ष से लेकर सत्ताधारी गठबंधन के घटक दल के नेता सरकार पर निशाना साध रहे हैं. इससे पहले शराब की त्रासदी मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, बेतिया, समस्तीपुर, वैशाली, नवादा में हुई.
दरअसल, यह मुद्दा नीतीश कुमार सरकार को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है, खासकर उसके गठबंधन सहयोगी भाजपा और हम के बेहद मुखर होने के बाद वे दबाव में है. वे शराबबंदी कानून की समीक्षा चाहते हैं. बिहार में अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू कर दी गई थी. हाल ही में पटना उच्च न्यायालय ने भी सरकार की आलोचना की थी. अदालत ने कहा कि बड़ी संख्या में शराब से जुड़े मामले लंबित हैं, जिससे न्यायिक व्यवस्था पर भारी बोझ पड़ा है. इसी को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार सरकार को चाहिए कि सभी 38 जिलों में शराब से जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए और अदालतें स्थापित करें.
हालांकि शराबबंदी कानून में संशोधन का यह पहला मामला नहीं होगा. 2018 में राज्य सरकार ने सामान्य अपराधियों को थाना स्तर पर जमानत देने का प्रावधान किया गया था. शराबबंदी कानून के तहत अधिकतम जेल की सजा 10 साल है. गौरतलब है कि सरकार में शामिल सहयोगी पार्टी बीजेपी से ही शराबबंदी कानून को लेकर अब अलग-अलग तरह के बयान सुनने को मिल रहे हैं. हाल ही में जहरीली शराब से हुई मौत के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने शराबबंदी कानून को लेकर सवाल खड़ा किया था और इस पर खूब विवाद भी हुआ.
ये भी पढ़ें- Bihar Weather Update: गिरने लगा बिहार का पारा, कड़ाके की ठंड के बीच 'कोल्ड डे' का अलर्ट
ये भी पढ़ें- नालंदा जहरीली शराबकांड: सरगना समेत 6 गिरफ्तार, जब्त होगी अवैध धंधे से कमाई संपत्ति, ध्वस्त होंगे मकान
विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP