पटना: आरजेडी के दो शीर्ष नेताओं रघुवंश प्रसाद सिंह और जगदानंद सिंह के बीच राजनीतिक साख की लड़ाई चल रही है. पिछले शनिवार को पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने दोनों के बीच सुलह की कोशिश की. रघुवंश जब मिलने पहुंचे तो उन्हें समझाया, रांची से संदेशा भी भिजवाया. हालात थोड़े सामान्य जरूर हुए, लेकिन दोनों के बीच दशकों से जारी सियासी प्रतिद्वंद्विता पूरी तरह खत्म नहीं हो पाई. इन सबके बीच अब गतिरोध-प्रतिरोध का तरीका बदल गया है.
आठ फरवरी को आरजेडी के जिलाध्यक्षों की बैठक
8 फरवरी को पार्टी के जिलाध्यक्षों की बैठक है. इसके बाद संगठन में कई फेरबदल होने की संभावना है. माना जा रहा है कि इस बदलाव में पार्टी में किस नेता की बात मानी जाएगी इससे नए गतिरोध की शुरुआत हो सकती है.आरजेडी के दोनों कद्दावर नेताओं के बीच की सियासी प्रतिद्वंद्विता का अगला दौर शुरु हो सकता है.
सियासी गतिरोध का अगला संस्करण
इससे पहले आरजेडी प्रमुख लालू यादव के हस्तक्षेप के बाद जगदानंद सिंह ने रघुवंश प्रसाद सिंह को प्रदेश कार्यालय में बुलाकर सम्मानपूर्वक बात की थी. उनकी मांगों पर सहमति भी जताई थी. इससे माना गया कि दोनों नेताओं में सहमति बन गई, लेकिन सच्चाई तो यह है कि दोनों के बीच सियासी गतिरोध के अगले संस्करण की शुरुआत थी.
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जगदानंद ने पहले से ही की तैयारी
दरअसल, रघुवंश ने कई मसलों का जिक्र करते हुए लालू को चिट्ठी लिखी थी और उसकी कॉपी प्रदेश अध्यक्ष को भी भेजी थी. उन सारे मसलों पर जगदानंद ने पहले से ही तैयारी कर ली थी. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे के कार्यकाल में भी रघुवंश ने ये ही सारे मसले उठाए थे. इसलिए जगदानंद के लिए कुछ भी नया नहीं था. उन्होंने कुछ बातों को मान लिया और कुछ को तर्कों के साथ खारिज कर दिया. जिन मुद्दों को माना, उनकी पूरी रूपरेखा प्रदेश अध्यक्ष ने रघुवंश के सामने रखी और कहा कि ये मुद्दें तो पहले से ही तय कर रखे है.
रघुवंश के संघर्ष के बिंदुओं पर विचार
रघुवंश की पहल पर ग्राम संघर्ष समिति की बात स्वीकार कर ली गई. इसी हफ्ते से उसपर पहल होगी. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के दिल्ली से लौटते ही आठ फरवरी को आरजेडी के जिलाध्यक्षों की बैठक होनी है. उसी में कार्यक्रम की रूपरेखा तय होगी कि क्या-क्या करना है. रघुवंश के संघर्ष के बिंदुओं पर विचार किया जाएगा. कार्यक्रम की घोषणा बाद में होगी.
जेल भरो अभियान का प्रस्ताव खारिज
रघुवंश के जेल भरो अभियान के प्रस्ताव को जगदानंद ने यह कहकर खारिज कर दिया कि ऐसा आज के समय में संभव नहीं है. पहले समाजवादी धरना-प्रदर्शन करके जबरन गिरफ्तारी देते थे, लेकिन अब ऐसे लोगों की कमी है. कहा जा रहा है कि जगदानंद ने अपनी बात से लालू प्रसाद को भी बता दी, जिसके बाद ही लालू ने रघुवंश को रांची तलब किया था.