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राष्ट्रीय खेल दिवस पर सड़क पर 'खेल', सुविधाओं के लिए खिलाड़ियों ने किया प्रदर्शन - बिहार के खिलाड़ियों का विरोध प्रदर्शन

आज राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) है. इस दिन जहां देशभर में खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है, वहीं बिहार के खिलाड़ी बुनियादी सुविधाओं और सम्मान के वास्ते सड़क पर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.

Players protest against the government in Patna
Players protest against the government in Patna
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Published : Aug 29, 2021, 1:50 PM IST

पटना: मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) के जन्मदिन के मौके पर हर साल मनाए जाने वाले राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) को बिहार के खिलाड़ियों ने राजधानी पटना (Patna) की सड़क पर प्रदर्शन करते हुए मनाया. दरअसल ये प्लेयर नियुक्ति प्रक्रिया में देरी और खेल सुविधाओं के अभाव से नाराज हैं. अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए रामगुलाम चौक से लेकर रेडियो स्टेशन गोलंबर तक इन्होंने प्रदर्शन किया.

ये भी पढ़ें: बोले खेल मंत्री- खेल विश्वविद्यालय से बिहार में बहुरेंगे खेल और खिलाड़ियों के दिन, मिलेगी नौकरी

प्लेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी (Players Association President Mrityunjay Tiwari) के नेतृत्व में सैकड़ों खिलाड़ियों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सड़कों पर ही खेल खेला. इसमें वैसे खिलाड़ी भी हैं, जो नेशनल और इंटरनेशनल स्तर तक खेल चुके हैं.

देखें रिपोर्ट

इन खिलाड़ियों का कहना है कि बिहार में 2014 से खिलाड़ियों की नियुक्ति प्रक्रिया रुकी हुई है. सरकार को खेल और खिलाड़ियों की जरा भी चिंता नहीं हैं. हमें मजबूरन खेल दिवस के मौके पर सड़क पर उतरना पड़ रहा है.

खिलाड़ियों का ये भी कहना है कि प्रदेश की सरकार खिलाड़ियों की आवाज नहीं सुन रही है. खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए कोई अच्छा ग्राउंड नहीं है, जिस कारण से बिहार के खिलाड़ी खेल में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. जबकि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है.

खिलाड़ियों का यह भी कहना है कि बिहार में भले ही खेल विश्वविद्यालय बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन जो पहले से जो ग्राउंड है उसकी देखरेख नहीं हो पा रही है. वह आज जर्जर स्थिति में है.

कई वर्षों से ओलंपिक के लिए प्रयास कर रहे बिहार के खिलाड़ी अरुण मोदी ने दर्द बयां करते हुए बताया कि आज सरकार बिहार के खिलाड़ियों पर ध्यान देती तो बिहार भी हरियाणा की तरह पूरे विश्व में देश का नाम रौशन करता, लेकिन यहां के खिलाड़ियों के पास तो सुविधा कौन कहे खेलने तक की कोई व्यवस्था नहीं है. राज्य सरकार खेल के प्रति इतनी उदासीन है कि धीरे-धीरे राज्य के खिलाड़ियों का भी मनोबल टूटने लगा है. उम्र भी निकलते जा रही है.

आपको बता दें अरुण मोदी बिहार के ऐसे होनहार खिलाड़ी हैं, जो हाल ही में ओलंपिक में भारत का नाम पूरे विश्व में रौशन करने वाले नीरज चोपड़ा के सहयोगी रह चुके हैं. अरुण के मन में आज भी कसक है कि अगर राज्य सरकार खिलाड़ियों की उपेक्षा नहीं करती तो अपने बिहार का नाम भी पूरे विश्व में गूंजता.

ये भी पढ़ें: BJP विधायक श्रेयसी सिंह ने भागलपुर शूटिंग स्पोर्ट्स एकेडमी का किया उद्घाटन, कहा- प्रतिभाओं से पटा है प्रदेश

वहीं, खिलाड़ी नादिर परवेज ने दर्द बयां करते हुए कहा कि आज जो कुछ भी हमलोग कर रहे हैं. भारी मन से कर रहे हैं. सरकार अगर खिलाड़ियों के प्रति जागरूक रहती तो आज हम जैसे हजारों खिलाड़ी सड़क पर नहीं, देश दुनिया में बिहार का नाम रौशन करते हुए मिलते. आज हम अपनी सरकार के कारण बेबस हैं. सड़कों पर उतरकर हक मांग रहे हैं.

वहीं, प्लेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने भी सरकार पर खेल और खिलाड़ियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार की खेल विरोधी नीति के कारण बिहार के सैकड़ों नहीं, हजारों खिलाड़ियों का भविष्य अंधेरे में है.

पटना: मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) के जन्मदिन के मौके पर हर साल मनाए जाने वाले राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) को बिहार के खिलाड़ियों ने राजधानी पटना (Patna) की सड़क पर प्रदर्शन करते हुए मनाया. दरअसल ये प्लेयर नियुक्ति प्रक्रिया में देरी और खेल सुविधाओं के अभाव से नाराज हैं. अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए रामगुलाम चौक से लेकर रेडियो स्टेशन गोलंबर तक इन्होंने प्रदर्शन किया.

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प्लेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी (Players Association President Mrityunjay Tiwari) के नेतृत्व में सैकड़ों खिलाड़ियों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सड़कों पर ही खेल खेला. इसमें वैसे खिलाड़ी भी हैं, जो नेशनल और इंटरनेशनल स्तर तक खेल चुके हैं.

देखें रिपोर्ट

इन खिलाड़ियों का कहना है कि बिहार में 2014 से खिलाड़ियों की नियुक्ति प्रक्रिया रुकी हुई है. सरकार को खेल और खिलाड़ियों की जरा भी चिंता नहीं हैं. हमें मजबूरन खेल दिवस के मौके पर सड़क पर उतरना पड़ रहा है.

खिलाड़ियों का ये भी कहना है कि प्रदेश की सरकार खिलाड़ियों की आवाज नहीं सुन रही है. खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए कोई अच्छा ग्राउंड नहीं है, जिस कारण से बिहार के खिलाड़ी खेल में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. जबकि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है.

खिलाड़ियों का यह भी कहना है कि बिहार में भले ही खेल विश्वविद्यालय बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन जो पहले से जो ग्राउंड है उसकी देखरेख नहीं हो पा रही है. वह आज जर्जर स्थिति में है.

कई वर्षों से ओलंपिक के लिए प्रयास कर रहे बिहार के खिलाड़ी अरुण मोदी ने दर्द बयां करते हुए बताया कि आज सरकार बिहार के खिलाड़ियों पर ध्यान देती तो बिहार भी हरियाणा की तरह पूरे विश्व में देश का नाम रौशन करता, लेकिन यहां के खिलाड़ियों के पास तो सुविधा कौन कहे खेलने तक की कोई व्यवस्था नहीं है. राज्य सरकार खेल के प्रति इतनी उदासीन है कि धीरे-धीरे राज्य के खिलाड़ियों का भी मनोबल टूटने लगा है. उम्र भी निकलते जा रही है.

आपको बता दें अरुण मोदी बिहार के ऐसे होनहार खिलाड़ी हैं, जो हाल ही में ओलंपिक में भारत का नाम पूरे विश्व में रौशन करने वाले नीरज चोपड़ा के सहयोगी रह चुके हैं. अरुण के मन में आज भी कसक है कि अगर राज्य सरकार खिलाड़ियों की उपेक्षा नहीं करती तो अपने बिहार का नाम भी पूरे विश्व में गूंजता.

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वहीं, खिलाड़ी नादिर परवेज ने दर्द बयां करते हुए कहा कि आज जो कुछ भी हमलोग कर रहे हैं. भारी मन से कर रहे हैं. सरकार अगर खिलाड़ियों के प्रति जागरूक रहती तो आज हम जैसे हजारों खिलाड़ी सड़क पर नहीं, देश दुनिया में बिहार का नाम रौशन करते हुए मिलते. आज हम अपनी सरकार के कारण बेबस हैं. सड़कों पर उतरकर हक मांग रहे हैं.

वहीं, प्लेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने भी सरकार पर खेल और खिलाड़ियों की उपेक्षा का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार की खेल विरोधी नीति के कारण बिहार के सैकड़ों नहीं, हजारों खिलाड़ियों का भविष्य अंधेरे में है.

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