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लोहार समाज के लोग उतरे सड़कों पर, आरक्षण की मांग लेकर किया राजभवन मार्च - बिहार में लोहार जाति एसटी नहीं मानी जाएगी

हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिहार में लोहार जाति एसटी नहीं मानी जाएगी (Blacksmith is No More In ST Category). जिसके बाद रविवार को लोहार समाज के लोगों ने आरक्षण की मांग को लेकर राजभवन मार्च किया. हालांकि उन्हें रामगुलाम चौक पर ही रोक दिया गया.

लोहार समाज के लोगों का प्रदर्शन
लोहार समाज के लोगों का प्रदर्शन
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Published : Apr 3, 2022, 2:38 PM IST

पटना: राजधानी पटना के रामगुलाम चौक पर सैकड़ों की संख्या में पहुंचे लोहार समाज के लोगों का प्रदर्शन (People of Lohara society Protest) देखने को मिला. आरक्षण की मांग को लेकर राजभवन मार्च पर निकले लोगों को हालांकि रामगुलाम चौक पर पुलिस ने रोक लिया. भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. लोहार समाज के लोग अपने आरक्षण की मांग को लेकर सरकार के विरोध जमकर नारे लगाते दिखे. इनका साफ कहना है अगर उनकी मांगों पर अमल नहीं हुआ तो आने वाले वक्त में उग्र आंदोलन करेंगे.

ये भी पढ़ें: आंबेडकर प्रतिमा के अपमान पर भड़के जीतन राम मांझी, कहा-..... तो न जाने कितने शहरों में अब तक दंगे हो गए होते

सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ा झटका
दरअसल पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इन लोगों का आरक्षण खत्म किया गया है. कोर्ट ने कहा है कि लोहार और लोहारा दो अलग जातियां हैं. लोहारा बिहार में नहीं है. वहीं, प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि वही लोहारा हम लोग बिहार में लोहार कहलाते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में आरक्षण के लिए आज राजभवन मार्च के लिए निकले हैं. हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा पांच 5 सदस्य टीम को मिलने के लिए राजभवन भेज गया है.

'लोहार जाति एसटी नहीं मानी जाएगी'
उच्चतम न्यायालय ने बिहार में लोहार जाति को ST यानि अनुसूचित जनजाति में लाने वाली बिहार सरकार की को निरस्त कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब लोहार जाति केंद्र सरकार की 1950 की अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में ही नहीं है तो इसे बिहार सरकार अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब लोहार जाति ओबीसी की कैटेगरी में ही रहेगी और इस जाति को अनुसूचित जनजाति का सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा.

नीतीश सरकार ने किया था शामिल
आपको बता दें कि बिहार में महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के एक साल के अंदर ही बिहार सरकार ने 8 अगस्त 2016 को ये आदेश जारी किया था कि लोहार जाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति में गिना जाएगा और उन्हें इसका जाति प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. इस दौरान राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल लोहरा जाति को ही लोहार जाति माना था.

ये भी पढ़ें: अति पिछड़ा समाज को अबादी के अनुसार 15% आरक्षण बढ़ाने के लिए मसौढ़ी पहुंचा VIP का कर्पूरी संकल्प महाभियान रथ

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पटना: राजधानी पटना के रामगुलाम चौक पर सैकड़ों की संख्या में पहुंचे लोहार समाज के लोगों का प्रदर्शन (People of Lohara society Protest) देखने को मिला. आरक्षण की मांग को लेकर राजभवन मार्च पर निकले लोगों को हालांकि रामगुलाम चौक पर पुलिस ने रोक लिया. भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. लोहार समाज के लोग अपने आरक्षण की मांग को लेकर सरकार के विरोध जमकर नारे लगाते दिखे. इनका साफ कहना है अगर उनकी मांगों पर अमल नहीं हुआ तो आने वाले वक्त में उग्र आंदोलन करेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ा झटका
दरअसल पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इन लोगों का आरक्षण खत्म किया गया है. कोर्ट ने कहा है कि लोहार और लोहारा दो अलग जातियां हैं. लोहारा बिहार में नहीं है. वहीं, प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि वही लोहारा हम लोग बिहार में लोहार कहलाते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में आरक्षण के लिए आज राजभवन मार्च के लिए निकले हैं. हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा पांच 5 सदस्य टीम को मिलने के लिए राजभवन भेज गया है.

'लोहार जाति एसटी नहीं मानी जाएगी'
उच्चतम न्यायालय ने बिहार में लोहार जाति को ST यानि अनुसूचित जनजाति में लाने वाली बिहार सरकार की को निरस्त कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब लोहार जाति केंद्र सरकार की 1950 की अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में ही नहीं है तो इसे बिहार सरकार अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं कर सकती. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब लोहार जाति ओबीसी की कैटेगरी में ही रहेगी और इस जाति को अनुसूचित जनजाति का सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा.

नीतीश सरकार ने किया था शामिल
आपको बता दें कि बिहार में महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के एक साल के अंदर ही बिहार सरकार ने 8 अगस्त 2016 को ये आदेश जारी किया था कि लोहार जाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति में गिना जाएगा और उन्हें इसका जाति प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. इस दौरान राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल लोहरा जाति को ही लोहार जाति माना था.

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