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पटना हाईकोर्ट ने कहा- 'बलात्कार, पीड़िता के व्यक्तित्व को आजीवन आघात करता है' - बिहार न्यूज

बलात्कार के एक मामले में पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत से मिले उम्रकैद की सजा को बरकरार (Hearing In Patna High Court) रखा. मामले में निचली अदालत के फैसले पर हाईकोर्ट ने कोई राहत देने से इनकार कर दिया.

Patna High Court
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Published : Jul 27, 2022, 10:59 PM IST

पटनाः बलात्कार के मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपित की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा. इस दौरान कोर्ट ने फैसले के दौरान कहा कि बलात्कार पीड़िता के व्यक्तित्व को आजीवन आघात करता (Patna High Court Statement On Molestation) है. जस्टिस एएम बदर की खंडपीठ ने भोजपुर के रहने वाले एक व्यक्ति की अपील याचिका को खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की. इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी.

पढ़ें-MP-MLA के विरुद्ध लंबित आपराधिक मुकदमों को निपटाने के लिए पटना HC ने मांगा हलफनामा

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया उदाहरणः हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में शायद ही कोई लड़की या महिला यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाती है. अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार 14 नवंबर 2007 को उसके और अपीलकर्ता के बीच लगातार झगड़ों के कारण उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी. उसकी मौत के तुरंत बाद, आरोपी ने अपनी बड़ी बेटी का यौन उत्पीड़न करना शुरू कर दिया, जो उस समय नाबालिग थी. यौन शोषण लड़की के लिए एक दिनचर्या बन गया और चूंकि अपीलकर्ता उसका पिता था, उसने उसके बारे में किसी से शिकायत नहीं की.

2013 से चल रहा है मामलाः जब वह व्यक्ति अपनी छोटी बेटी को भी गाली देने लगा, तो बड़ी बेटी ने इसकी जानकारी अपने मामा को दी. हालांकि, लड़कियों ने 30 जुलाई 2013 को साहस दिखाया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत बलात्कार (376) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.

पढ़ें - शराबबंदी के बढ़ते मामलों से HC नाराज, सरकार से पूछा- अब तक क्यों लंबित हैं इतने केस

पटनाः बलात्कार के मामले की सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपित की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा. इस दौरान कोर्ट ने फैसले के दौरान कहा कि बलात्कार पीड़िता के व्यक्तित्व को आजीवन आघात करता (Patna High Court Statement On Molestation) है. जस्टिस एएम बदर की खंडपीठ ने भोजपुर के रहने वाले एक व्यक्ति की अपील याचिका को खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की. इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी.

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हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया उदाहरणः हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में शायद ही कोई लड़की या महिला यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाती है. अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार 14 नवंबर 2007 को उसके और अपीलकर्ता के बीच लगातार झगड़ों के कारण उसकी पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी. उसकी मौत के तुरंत बाद, आरोपी ने अपनी बड़ी बेटी का यौन उत्पीड़न करना शुरू कर दिया, जो उस समय नाबालिग थी. यौन शोषण लड़की के लिए एक दिनचर्या बन गया और चूंकि अपीलकर्ता उसका पिता था, उसने उसके बारे में किसी से शिकायत नहीं की.

2013 से चल रहा है मामलाः जब वह व्यक्ति अपनी छोटी बेटी को भी गाली देने लगा, तो बड़ी बेटी ने इसकी जानकारी अपने मामा को दी. हालांकि, लड़कियों ने 30 जुलाई 2013 को साहस दिखाया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत बलात्कार (376) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.

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