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जिम ट्रेनर गोलीकांड में Twist: PMCH के डिस्चार्ज पेपर पर विक्रम के बदले उसके छोटे भाई का नाम

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Published : Nov 30, 2021, 10:10 AM IST

पटना के जिम ट्रेनर विक्रम सिंह की हत्या की कोशिश के मामले में अब एक नया ट्विस्ट आ गया है. पीएमसीएच के डिस्चार्ड पेपर पर पीड़ित जिम ट्रेनर के बजाय उसके भाई सचिन का नाम लिखा है. अब इसे लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. पीड़ित के वकील ने पीएमसीएच पर लापरवाही (Patna PMCH Negligence) बरतने का आरोप लगाया है.

Patna Gym Trainer Shooting Case
Patna Gym Trainer Shooting Case

पटना: बिहार की राजधानी पटना के जिम ट्रेनर विक्रम सिंह गोलीकांड (Patna Gym Trainer Shooting Case) में एक बड़ा खुलासा हुआ है. हथियारबंद अपराधियों की गोली का शिकार हुआ विक्रम सिंह खुद स्कूटी चलाकर पटना के पीएमसीएच पहुंचा था और वहां खुद को एडमिट करवाया था. मिली जानकारी के अनुसार इलाज से लेकर डिस्चार्ज पेपर (PMCH discharge paper) पर पीएमसीएच की लापरवाही के कारण विक्रम की जगह उसके छोटे भाई सचिन का नाम लिखा गया है. इस मामले में पीएमसीएच कर्मियों की बड़ी लापरवाही (Patna PMCH Negligence) सामने आई है. इसकी जानकारी मिलते ही अस्पताल प्रशासन के होश उड़ गए.

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इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए विक्रम सिंह के वकील द्विवेदी सुरेंद्र ने सवाल खड़ा किया है. उन्होंने बताया कि यह मामला हत्या की कोशिश से जुड़ा हुआ है. इस मामले में एक बार फिर विक्रम के साथ बहुत बड़ी साजिश रची गई है. डॉक्टर राजीव कुमार सिंह बहुत पहुंच वाला व्यक्ति है. वह किसी भी रिपोर्ट को किसी भी समय चेंज करवा सकता है. डाक्टर राजीव ने अपनी पत्नी को बचाने के लिए किया है.

विक्रम सिंह के वकील द्विवेदी सुरेंद्र

गौरतलब हो कि 18 सितंबर को विक्रम सिंह को कदमकुआं थाना क्षेत्र के पश्चिमी लोहानीपुर इलाके में गोली मारी गई थी. अपराधियों की गोली का शिकार विक्रम खुद स्कूटी चलाकर पीएमसीएच पहुंचा था. पटना के पीएमसीएच में उसका इलाज विक्रम सिंह के नाम पर हुआ. जांच भी जिम ट्रेनर विक्रम के नाम पर हुई. विक्रम को पीएमसीच से 29 सितंबर को डिस्चार्ज किया गया. उस समय विक्रम ने डिस्चार्ज पेपर पर गौर नही किया. विक्रम को पता नहीं था कि उसके खिलाफ कोई गहरी साजिश रची जा रही है.

अस्पताल से घर आने के बाद विक्रम को पता चला कि डिस्चार्ज पेपर पर उसकी जगह उसके छोटे भाई सचिन का नाम लिखा हुआ है. इसकी जानकारी होते ही विक्रम दूसरे दिन पीएमसीएच पहुंचा और अस्पताल द्वारा दिए गए डिस्चार्ज पेपर पर उसने सवाल उठाया कि मेरा नाम विक्रम है. भर्ती होते समय पीएमसीएच की स्लीप उसी नाम से कटी थी तो बाद में उस पर सचिन का नाम कहां से आ गया.

विक्रम के वकील बताते हैं कि पीएमसीएच में विक्रम को कहा गया कि आप एफिडेविट करवा कर उसके साथ एक एप्लिकेशन दे दीजिए या इस मामले की कंप्लेन थाने में करवाइए. घटना के बाद जिस कदमकुआं थाने की पुलिस ने आपका बयान लिया था, वो अगर लिख कर दे तो आपके डिस्चार्ज पेपर को ठीक कर दिया जाएगा. विक्रम के वकील बताते हैं कि जब विक्रम कदमकुआं थाने गया तो केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर आईओ ने सीधे तौर पर अपना पल्ला झाड़ लिया. विक्रम को बताया कि इस गड़बड़ी का कारण पीएमसीएच या फिर कदमकुआं थाने की पुलिस है.

डिस्चार्ज पेपर पर नाम बदलवाने के लिए विक्रम पिछले डेढ़ महीने से अस्पताल और थाने का चक्कर लगा रहा है पर नतीजा ढाक के तीन पात. वकील सुरेंद्र कहते हैं कि बाद में जब यह मामला मेरे पास आया तो उनको भी एक बार फिर से पीएमसीएच अधीक्षक को आवेदन देने की बाते कही गई. उसके बाद 3 नवंबर को विक्रम ने एफिडेविट कराया और उसी दिन पीएमसीएच अधीक्षक के नाम आवेदन लिख पूरे मामले की जानकारी दी गई. हालांकि, इस आवेदन को भी पीएमसीएच प्रबंधन ने 22 नवंबर को स्वीकार किया.

द्विवेदी सुरेंद्र बताते हैं कि अगर विक्रम की जगह सचिन के नाम वाली इंज्यूरी रिपोर्ट कोर्ट में भेजी जाएगी तो उस पर कोर्ट साफ कह देगा कि विक्रम के साथ तो कोई घटना घटी ही नहीं. ऐसे में जब केस का ट्रायल शुरू होगा तो आरोपी इसका फायदा उठा कर बरी हो जाएंगे. गौरतलब हो कि जिम ट्रेनर गोलीकांड में डॉक्टर राजीव ने एक साजिश के तहत उसे जेल में बंद उसकी पत्नी खुशबू सिंह को बदनाम करने की साजिश रचे जाने का आरोप भी लगाया था. हालांकि पुलिस द्वारा जुटाए गए पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर डाक्टर दंपति को जेल भेज दिया गया था.

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पटना: बिहार की राजधानी पटना के जिम ट्रेनर विक्रम सिंह गोलीकांड (Patna Gym Trainer Shooting Case) में एक बड़ा खुलासा हुआ है. हथियारबंद अपराधियों की गोली का शिकार हुआ विक्रम सिंह खुद स्कूटी चलाकर पटना के पीएमसीएच पहुंचा था और वहां खुद को एडमिट करवाया था. मिली जानकारी के अनुसार इलाज से लेकर डिस्चार्ज पेपर (PMCH discharge paper) पर पीएमसीएच की लापरवाही के कारण विक्रम की जगह उसके छोटे भाई सचिन का नाम लिखा गया है. इस मामले में पीएमसीएच कर्मियों की बड़ी लापरवाही (Patna PMCH Negligence) सामने आई है. इसकी जानकारी मिलते ही अस्पताल प्रशासन के होश उड़ गए.

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इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए विक्रम सिंह के वकील द्विवेदी सुरेंद्र ने सवाल खड़ा किया है. उन्होंने बताया कि यह मामला हत्या की कोशिश से जुड़ा हुआ है. इस मामले में एक बार फिर विक्रम के साथ बहुत बड़ी साजिश रची गई है. डॉक्टर राजीव कुमार सिंह बहुत पहुंच वाला व्यक्ति है. वह किसी भी रिपोर्ट को किसी भी समय चेंज करवा सकता है. डाक्टर राजीव ने अपनी पत्नी को बचाने के लिए किया है.

विक्रम सिंह के वकील द्विवेदी सुरेंद्र

गौरतलब हो कि 18 सितंबर को विक्रम सिंह को कदमकुआं थाना क्षेत्र के पश्चिमी लोहानीपुर इलाके में गोली मारी गई थी. अपराधियों की गोली का शिकार विक्रम खुद स्कूटी चलाकर पीएमसीएच पहुंचा था. पटना के पीएमसीएच में उसका इलाज विक्रम सिंह के नाम पर हुआ. जांच भी जिम ट्रेनर विक्रम के नाम पर हुई. विक्रम को पीएमसीच से 29 सितंबर को डिस्चार्ज किया गया. उस समय विक्रम ने डिस्चार्ज पेपर पर गौर नही किया. विक्रम को पता नहीं था कि उसके खिलाफ कोई गहरी साजिश रची जा रही है.

अस्पताल से घर आने के बाद विक्रम को पता चला कि डिस्चार्ज पेपर पर उसकी जगह उसके छोटे भाई सचिन का नाम लिखा हुआ है. इसकी जानकारी होते ही विक्रम दूसरे दिन पीएमसीएच पहुंचा और अस्पताल द्वारा दिए गए डिस्चार्ज पेपर पर उसने सवाल उठाया कि मेरा नाम विक्रम है. भर्ती होते समय पीएमसीएच की स्लीप उसी नाम से कटी थी तो बाद में उस पर सचिन का नाम कहां से आ गया.

विक्रम के वकील बताते हैं कि पीएमसीएच में विक्रम को कहा गया कि आप एफिडेविट करवा कर उसके साथ एक एप्लिकेशन दे दीजिए या इस मामले की कंप्लेन थाने में करवाइए. घटना के बाद जिस कदमकुआं थाने की पुलिस ने आपका बयान लिया था, वो अगर लिख कर दे तो आपके डिस्चार्ज पेपर को ठीक कर दिया जाएगा. विक्रम के वकील बताते हैं कि जब विक्रम कदमकुआं थाने गया तो केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर आईओ ने सीधे तौर पर अपना पल्ला झाड़ लिया. विक्रम को बताया कि इस गड़बड़ी का कारण पीएमसीएच या फिर कदमकुआं थाने की पुलिस है.

डिस्चार्ज पेपर पर नाम बदलवाने के लिए विक्रम पिछले डेढ़ महीने से अस्पताल और थाने का चक्कर लगा रहा है पर नतीजा ढाक के तीन पात. वकील सुरेंद्र कहते हैं कि बाद में जब यह मामला मेरे पास आया तो उनको भी एक बार फिर से पीएमसीएच अधीक्षक को आवेदन देने की बाते कही गई. उसके बाद 3 नवंबर को विक्रम ने एफिडेविट कराया और उसी दिन पीएमसीएच अधीक्षक के नाम आवेदन लिख पूरे मामले की जानकारी दी गई. हालांकि, इस आवेदन को भी पीएमसीएच प्रबंधन ने 22 नवंबर को स्वीकार किया.

द्विवेदी सुरेंद्र बताते हैं कि अगर विक्रम की जगह सचिन के नाम वाली इंज्यूरी रिपोर्ट कोर्ट में भेजी जाएगी तो उस पर कोर्ट साफ कह देगा कि विक्रम के साथ तो कोई घटना घटी ही नहीं. ऐसे में जब केस का ट्रायल शुरू होगा तो आरोपी इसका फायदा उठा कर बरी हो जाएंगे. गौरतलब हो कि जिम ट्रेनर गोलीकांड में डॉक्टर राजीव ने एक साजिश के तहत उसे जेल में बंद उसकी पत्नी खुशबू सिंह को बदनाम करने की साजिश रचे जाने का आरोप भी लगाया था. हालांकि पुलिस द्वारा जुटाए गए पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर डाक्टर दंपति को जेल भेज दिया गया था.

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