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मांझी के बयान पर भड़के पप्पू, कहा- 'वोट के लिए जाति-धर्म पर विवादित बयान बर्दाश्त नहीं' - पप्पू यादव का जीतन राम मांझी पर बयान

जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव भी जीतन राम मांझी के विवादित बयान पर भड़क गए हैं. उन्होंने कहा है कि इस तरह की बयानबाजी बर्दाश्त करने लायक नहीं है. पढ़ें रिपोर्ट..

जीतन राम मांझी के बयान पर पप्पू यादव ने साधा निशाना
जीतन राम मांझी के बयान पर पप्पू यादव ने साधा निशाना
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Published : Dec 19, 2021, 6:17 PM IST

पटना: बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी अपने विवादित बयान (Jitan Ram Manjhi Controversy) को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं. मांझी ने एक सभा में ब्राह्मणों को लेकर अपशब्द कह दिया. इसको लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है. इस पर जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव (National President of JAP Pappu Yadav) ने कहा है कि जीतन राम मांझी को किसी भी धर्म और भाषा पर हमला नहीं करना चाहिए. हम राजनीति में अपना कद बढ़ाने के लिए किसी जाति को कमजोर नहीं कर सकते. किसी भी जाति को गाली नहीं दे सकते.

यह भी पढ़ें- मांझी के विवादित बयान पर बोली RJD- 'सफाई देने का कोई फायदा नहीं, ब्राह्मण समाज से मांगें माफी'

बता दें कि रविवार को जन अधिकार पार्टी की राज्य कार्यकारिणी बैठक के दौरान जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने पार्टी को मजबूती करने की रणनीति पर बात की. उन्होंने कहा है कि 2024 का लोकसभा और 2025 का विधानसभा चुनाव बिहार की दिशा और दशा तय करेगा. जन अधिकार पार्टी अपने समान विचारधारा वाली पार्टी के साथ गठबंधन या विलय अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के राय के साथ करेगी.

बैठक के दौरान पप्पू यादव ने कहा कि आज देश के हालात अच्छे नहीं हैं. किसान से लेकर नौजवान तक सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं. भाजपा और संघ के लोग देशवासियों को जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करने में जुटे हुए हैं. उनके खिलाफ जन अधिकार पार्टी के सभी कार्यकर्ता और नेता बिहार में बदलाव की लड़ाई लड़ रहे हैं. बिहार में बदलाव की एक बड़ी लड़ाई शुरू की गई है. आने वाले दिनों में इसी लड़ाई को और मजबूती देने के लिए एक बड़े दल से बातचीत चल रही है. बातचीत के बाद पार्टी को कांग्रेस के नेतृत्व में देश का एक महत्वपूर्ण विपक्ष तैयार करने में जन अधिकार पार्टी भी कांग्रेस का समर्थन करेगा.

जीतन राम मांझी के बयान पर पप्पू यादव ने साधा निशाना

वहीं जीतन राम मांझी के जाति पर दिए गए विवादित बयान मामले को लेकर पप्पू यादव ने जीतन राम मांझी के बयान पर बोलते हुए कहा है कि, 'किसी भी जाति और धर्म और भाषा पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. हम राजनीति के लिए किसी भी जाति को कमजोर नहीं कर सकते और उसे गाली भी नहीं दे सकते. सियासत और सत्ता के लिए इस तरह के बयान राजनीतिक दल के नेताओं को देना ठीक नहीं है. हमारा संविधान भी इस तरह के बयान को स्वीकार नहीं करता.'

जानकारी दें कि जीतन राम मांझी की चर्चा खुले मंच से ब्राह्मणों को गाली देने (Jitan Ram Manjhi Abused Brahmins) को लेकर है. मांझी ब्राह्मणों के लिए भद्दी गाली का इस्तेमाल करते हुए सनातनी आस्था को भी ठेस पहुंचाई है. हालांकि, बाद में इसके लिए उन्होंने माफी (Manjhi Apologizes After Abusing Brahmin) मांगी है.

दरअसल, मांझी एक वीडियो में सभा को संबोधित करते हुए कहते हैं कि "आप लोग माफ कीजिएगा. हम सबलोग को कहते हैं कि आजकल हमारे गरीब तबके के लोगों में धर्म की प्रासंगिकता ज्यादा आ रही है. सत्य नारायण पूजा का हमलोग नाम भी नहीं जानते थे. लेकिन हर जगह हमलोग के टोला में सत्य नारायण स्वामी की पूजा हो रही है. इतना भी लाज नहीं लगता है हमलोगों का कि पंडित @$#&#@ कहता है कि नहीं खाएंगे बाबू आप लोग पैसे दे दीजिए."

मांझी के इस बयान के बाद उनकी खूब किरकिरी होना शुरु हो गया. इसके बाद उन्होंने अपने बयान पर सफाई भी दी. उन्होंने कहा 'हम तो ये कहे अपने समाज के लोगों कि आज आस्था के नाम पर करोड़ों-करोड़ रुपया उड़ाया जाता है. लेकिन गरीब लोगों की भलाई नहीं हो रही है. जो शिड्यूल कास्ट के लोग हैं पहले पूजा-पाठ में उतना विश्वास नहीं करते थे. चाहे वो अपने देवताओं (तुलसीदास, मां शबरी) की पूजा करते थे. लेकिन अब तो आप लोगों के यहां पंडितजी भी आते हैं और आपलोगों को लाज-शर्म नहीं आता है कि वो कहते हैं कि बाबू हम खाएंगे नहीं, बाबू नगदे दे देना. फिर भी उनसे पूजा करवाते हैं.'

"हम अपने समाज के लिए 'हरामी' शब्द का इस्तेमाल किया था. पंडित जी के लिए नहीं किया था. अगर इसमें कहीं गलतफहमी हो गई हो तो हम इसके लिए माफी चाहते हैं. लेकिन हम अपने समाज के लिए कहा था कि ऐसे आप लोग हो गए हैं कि अपने देवता को छोड़कर दूसरे का पूजा कराते हैं. उसमें भी शर्म आना चाहिए कि आपके यहां जो नहीं खाने वाले हैं, उनसे आपलोग पूजा कराते हैं."- जीतनराम मांझी, पूर्व सीएम, बिहार

बता दें कि जीतनराम मांझी अपने विवाद बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. बीते दिनों उन्होंने भगवान राम को काल्पनिक बताते हुए नए विवाद को जन्म दिया था. उस दौरान उन्होंने कहा था कि राम तो काल्पनिक हैं. राम से कई गुणा बड़े रामायण के लेखक महर्षि वाल्मिकी थे.

इसे भी पढ़ें- मांझी ने फिर दिया विवादित बयान, कहा- 'हजारों गुणा बड़े संत थे महर्षि वाल्मीकि.. राम तो काल्पनिक'

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पटना: बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी अपने विवादित बयान (Jitan Ram Manjhi Controversy) को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं. मांझी ने एक सभा में ब्राह्मणों को लेकर अपशब्द कह दिया. इसको लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है. इस पर जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव (National President of JAP Pappu Yadav) ने कहा है कि जीतन राम मांझी को किसी भी धर्म और भाषा पर हमला नहीं करना चाहिए. हम राजनीति में अपना कद बढ़ाने के लिए किसी जाति को कमजोर नहीं कर सकते. किसी भी जाति को गाली नहीं दे सकते.

यह भी पढ़ें- मांझी के विवादित बयान पर बोली RJD- 'सफाई देने का कोई फायदा नहीं, ब्राह्मण समाज से मांगें माफी'

बता दें कि रविवार को जन अधिकार पार्टी की राज्य कार्यकारिणी बैठक के दौरान जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव ने पार्टी को मजबूती करने की रणनीति पर बात की. उन्होंने कहा है कि 2024 का लोकसभा और 2025 का विधानसभा चुनाव बिहार की दिशा और दशा तय करेगा. जन अधिकार पार्टी अपने समान विचारधारा वाली पार्टी के साथ गठबंधन या विलय अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के राय के साथ करेगी.

बैठक के दौरान पप्पू यादव ने कहा कि आज देश के हालात अच्छे नहीं हैं. किसान से लेकर नौजवान तक सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं. भाजपा और संघ के लोग देशवासियों को जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करने में जुटे हुए हैं. उनके खिलाफ जन अधिकार पार्टी के सभी कार्यकर्ता और नेता बिहार में बदलाव की लड़ाई लड़ रहे हैं. बिहार में बदलाव की एक बड़ी लड़ाई शुरू की गई है. आने वाले दिनों में इसी लड़ाई को और मजबूती देने के लिए एक बड़े दल से बातचीत चल रही है. बातचीत के बाद पार्टी को कांग्रेस के नेतृत्व में देश का एक महत्वपूर्ण विपक्ष तैयार करने में जन अधिकार पार्टी भी कांग्रेस का समर्थन करेगा.

जीतन राम मांझी के बयान पर पप्पू यादव ने साधा निशाना

वहीं जीतन राम मांझी के जाति पर दिए गए विवादित बयान मामले को लेकर पप्पू यादव ने जीतन राम मांझी के बयान पर बोलते हुए कहा है कि, 'किसी भी जाति और धर्म और भाषा पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. हम राजनीति के लिए किसी भी जाति को कमजोर नहीं कर सकते और उसे गाली भी नहीं दे सकते. सियासत और सत्ता के लिए इस तरह के बयान राजनीतिक दल के नेताओं को देना ठीक नहीं है. हमारा संविधान भी इस तरह के बयान को स्वीकार नहीं करता.'

जानकारी दें कि जीतन राम मांझी की चर्चा खुले मंच से ब्राह्मणों को गाली देने (Jitan Ram Manjhi Abused Brahmins) को लेकर है. मांझी ब्राह्मणों के लिए भद्दी गाली का इस्तेमाल करते हुए सनातनी आस्था को भी ठेस पहुंचाई है. हालांकि, बाद में इसके लिए उन्होंने माफी (Manjhi Apologizes After Abusing Brahmin) मांगी है.

दरअसल, मांझी एक वीडियो में सभा को संबोधित करते हुए कहते हैं कि "आप लोग माफ कीजिएगा. हम सबलोग को कहते हैं कि आजकल हमारे गरीब तबके के लोगों में धर्म की प्रासंगिकता ज्यादा आ रही है. सत्य नारायण पूजा का हमलोग नाम भी नहीं जानते थे. लेकिन हर जगह हमलोग के टोला में सत्य नारायण स्वामी की पूजा हो रही है. इतना भी लाज नहीं लगता है हमलोगों का कि पंडित @$#&#@ कहता है कि नहीं खाएंगे बाबू आप लोग पैसे दे दीजिए."

मांझी के इस बयान के बाद उनकी खूब किरकिरी होना शुरु हो गया. इसके बाद उन्होंने अपने बयान पर सफाई भी दी. उन्होंने कहा 'हम तो ये कहे अपने समाज के लोगों कि आज आस्था के नाम पर करोड़ों-करोड़ रुपया उड़ाया जाता है. लेकिन गरीब लोगों की भलाई नहीं हो रही है. जो शिड्यूल कास्ट के लोग हैं पहले पूजा-पाठ में उतना विश्वास नहीं करते थे. चाहे वो अपने देवताओं (तुलसीदास, मां शबरी) की पूजा करते थे. लेकिन अब तो आप लोगों के यहां पंडितजी भी आते हैं और आपलोगों को लाज-शर्म नहीं आता है कि वो कहते हैं कि बाबू हम खाएंगे नहीं, बाबू नगदे दे देना. फिर भी उनसे पूजा करवाते हैं.'

"हम अपने समाज के लिए 'हरामी' शब्द का इस्तेमाल किया था. पंडित जी के लिए नहीं किया था. अगर इसमें कहीं गलतफहमी हो गई हो तो हम इसके लिए माफी चाहते हैं. लेकिन हम अपने समाज के लिए कहा था कि ऐसे आप लोग हो गए हैं कि अपने देवता को छोड़कर दूसरे का पूजा कराते हैं. उसमें भी शर्म आना चाहिए कि आपके यहां जो नहीं खाने वाले हैं, उनसे आपलोग पूजा कराते हैं."- जीतनराम मांझी, पूर्व सीएम, बिहार

बता दें कि जीतनराम मांझी अपने विवाद बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. बीते दिनों उन्होंने भगवान राम को काल्पनिक बताते हुए नए विवाद को जन्म दिया था. उस दौरान उन्होंने कहा था कि राम तो काल्पनिक हैं. राम से कई गुणा बड़े रामायण के लेखक महर्षि वाल्मिकी थे.

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