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बिहार विधानसभा का मानसून सत्र: विपक्ष मस्त, सरकार पस्त - Minister Vijay Kumar Choudhary

बिहार विधानसभा में इस बार विपक्ष सरकार पर हावी रहा. विपक्ष ने विधायकों पर हमले समेत कई मुद्दों को लेकर सरकार घेरा लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से ठोस जवाब नहीं मिला. सरकार पस्त नजर आयी. पढ़ें विशेष रिपोर्ट..

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Published : Jul 30, 2021, 1:26 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के मानसून सत्र में इस बार विपक्ष अपनी मजबूत रणनीति के चलते सत्ता पक्ष पर हावी रहा. 23 मार्च को विधानसभा में विधायकों से मारपीट के मामले में जिस तरीके से 3 दिनों तक सदन में कामकाज हुआ, उसमें विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा (Assembly Speaker Vijay Sinha) को खेद व्यक्त करना पड़ा. आगे इस तरह की घटना न हो इसके लिए रणनीति बनाने की बात तय हुई. सदस्यों को मान-मर्यादा का पाठ भी पढ़ाया गया. दूसरी ओर विपक्ष ने जिस मर्यादा में रहकर सत्ता पक्ष को चुनौती दे दी, उस में सत्तापक्ष सदन की कार्यवाही से लेकर सड़क तक मुंह छुपाए ही दिख रहा है.

ये भी पढ़ें: मानसून सत्र में हाजिरी बनाने भी नहीं पहुंची सदन राबड़ी देवी, जानें वजह

विधानसभा में मारपीट की घटना को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा. विपक्ष ने मुखर होकर कहा कि अगर आसन सभी सदस्यों के हक की रक्षा करता है तो क्या सदन ने मारपीट करने की अनुमति पुलिस को दी थी. अगर नहीं दी थी तो यह तय किया जाए कि वह कौन था जिसने पुलिस को विधायकों के साथ मारपीट का आदेश दिया था. विपक्ष के इस सवाल पर चाहे सदन के अध्यक्ष की बात हो या फिर सत्ता पक्ष के मंत्रियों की, साफ तौर पर जवाब देने की स्थिति में कोई नहीं रहा. हां इस बात की चर्चा जरूर होती रही कि सदन में जो हुआ, गलत था. सबको नियम का पालन करना चाहिए. सवाल तो यही उठ रहा है कि नियम का पालन किसने नहीं किया.

विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से यह सवाल पूछा था कि आसन ने पुलिस बुलाया तो क्या पुलिस को यह कहा गया था कि विधायकों का कॉलर पकड़कर उन्हें बाहर फेंक दो. उनकी पिटाई कर दो, उन्हें गालियां दो. इस पर अध्यक्ष की ओर से बहुत संतोषजनक जवाब नहीं आया.

जब बारी सत्तापक्ष की आई तो संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी (Minister Vijay Kumar Choudhary) ने साफ तौर पर कह दिया कि जहां पर यह घटना हुई, वह विधानसभा अध्यक्ष के दायरे में आती है. ऐसे में सरकार इस पर कोई जवाब नहीं दे सकती. संसदीय कार्य मंत्री के इस बयान के बाद विधानसभा के अध्यक्ष पर दबाव बढ़ गया कि पुलिस ने जिस कारण से पिटाई की, जिसके कहने पर पिटाई की आखिर वह कौन है.

विपक्ष ने पहले ऐलान किया था कि वह सदन का बायकॉट करेगा लेकिन उसके बाद सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया. सत्ता पक्ष के सवालों से ही सत्ता पक्ष को घेरता रहा. इसका जवाब सत्ता पक्ष मडबूती से नहीं दे पाया. हां, सदन में यह बातें जरूर कही गयीं कि गई कि जो कुछ हुआ, उसे आचार समिति को भेजा गया है. जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी. लेकिन स्पष्ट तौर पर कोई ठोस जवान नहीं दिया गया. विपक्ष ने तो साफ आरोप लगाया कि अब विधानसभा में गलत परिपाटी सेट हो गई है. आज जो लोग दूसरी तरफ बैठे हैं, अगर कभी वह विपक्ष में बैठेंगे, इस तरह की कार्रवाई होगी तो लोकतंत्र की आत्मा का क्या होगा.

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र इस आधार पर खत्म हो रहा है कि 23 मार्च को सदन में जो हुआ, आचार समिति उसकी जांच कर रही है. लेकिन सवाल यह भी है कि आचार समिति को जांच करने में इतना समय क्यों लग रहा है. विपक्ष की गलती को सत्ता पक्ष बताना चाह रहा है लेकिन विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर जो आरोप लगाये हैं, उसे स्वीकार करने में भी उनके पसीने छूट रहे हैं.

पटना: बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के मानसून सत्र में इस बार विपक्ष अपनी मजबूत रणनीति के चलते सत्ता पक्ष पर हावी रहा. 23 मार्च को विधानसभा में विधायकों से मारपीट के मामले में जिस तरीके से 3 दिनों तक सदन में कामकाज हुआ, उसमें विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा (Assembly Speaker Vijay Sinha) को खेद व्यक्त करना पड़ा. आगे इस तरह की घटना न हो इसके लिए रणनीति बनाने की बात तय हुई. सदस्यों को मान-मर्यादा का पाठ भी पढ़ाया गया. दूसरी ओर विपक्ष ने जिस मर्यादा में रहकर सत्ता पक्ष को चुनौती दे दी, उस में सत्तापक्ष सदन की कार्यवाही से लेकर सड़क तक मुंह छुपाए ही दिख रहा है.

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विधानसभा में मारपीट की घटना को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा. विपक्ष ने मुखर होकर कहा कि अगर आसन सभी सदस्यों के हक की रक्षा करता है तो क्या सदन ने मारपीट करने की अनुमति पुलिस को दी थी. अगर नहीं दी थी तो यह तय किया जाए कि वह कौन था जिसने पुलिस को विधायकों के साथ मारपीट का आदेश दिया था. विपक्ष के इस सवाल पर चाहे सदन के अध्यक्ष की बात हो या फिर सत्ता पक्ष के मंत्रियों की, साफ तौर पर जवाब देने की स्थिति में कोई नहीं रहा. हां इस बात की चर्चा जरूर होती रही कि सदन में जो हुआ, गलत था. सबको नियम का पालन करना चाहिए. सवाल तो यही उठ रहा है कि नियम का पालन किसने नहीं किया.

विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से यह सवाल पूछा था कि आसन ने पुलिस बुलाया तो क्या पुलिस को यह कहा गया था कि विधायकों का कॉलर पकड़कर उन्हें बाहर फेंक दो. उनकी पिटाई कर दो, उन्हें गालियां दो. इस पर अध्यक्ष की ओर से बहुत संतोषजनक जवाब नहीं आया.

जब बारी सत्तापक्ष की आई तो संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी (Minister Vijay Kumar Choudhary) ने साफ तौर पर कह दिया कि जहां पर यह घटना हुई, वह विधानसभा अध्यक्ष के दायरे में आती है. ऐसे में सरकार इस पर कोई जवाब नहीं दे सकती. संसदीय कार्य मंत्री के इस बयान के बाद विधानसभा के अध्यक्ष पर दबाव बढ़ गया कि पुलिस ने जिस कारण से पिटाई की, जिसके कहने पर पिटाई की आखिर वह कौन है.

विपक्ष ने पहले ऐलान किया था कि वह सदन का बायकॉट करेगा लेकिन उसके बाद सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया. सत्ता पक्ष के सवालों से ही सत्ता पक्ष को घेरता रहा. इसका जवाब सत्ता पक्ष मडबूती से नहीं दे पाया. हां, सदन में यह बातें जरूर कही गयीं कि गई कि जो कुछ हुआ, उसे आचार समिति को भेजा गया है. जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी. लेकिन स्पष्ट तौर पर कोई ठोस जवान नहीं दिया गया. विपक्ष ने तो साफ आरोप लगाया कि अब विधानसभा में गलत परिपाटी सेट हो गई है. आज जो लोग दूसरी तरफ बैठे हैं, अगर कभी वह विपक्ष में बैठेंगे, इस तरह की कार्रवाई होगी तो लोकतंत्र की आत्मा का क्या होगा.

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र इस आधार पर खत्म हो रहा है कि 23 मार्च को सदन में जो हुआ, आचार समिति उसकी जांच कर रही है. लेकिन सवाल यह भी है कि आचार समिति को जांच करने में इतना समय क्यों लग रहा है. विपक्ष की गलती को सत्ता पक्ष बताना चाह रहा है लेकिन विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर जो आरोप लगाये हैं, उसे स्वीकार करने में भी उनके पसीने छूट रहे हैं.

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