खगड़िया: जिले के आवारा पशु लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. इन पशुओं के लिए सरकार के तरफ से एक भी पशुगृह का निर्माण नहीं कराया जा सका है. जिसका नतीजा है कि ऐसे पशु सड़कों पर अपनी मौत लिए घूमते हैं.
131 साल पुराना है गौशाला
जिले में एक मात्र 131 साल पुराना गौशाला है. इसका निर्माण सन 1888 में कराया गया था. आज के समय में इसमें करीब 188 गाय हैं. इसमें 30 के करीब गाय दूध देने वाली है. ये गायें रोजाना 100 लीटर जूध देती है. इसकी कीमत बाजार में 4 हजार के करीब मिलती है. इसी पैसे से गौशाला के गायों को खाना-पानी की सुविधा दी जाती है.
विभाग उठाती है पूरी जिम्मेदारी
पशुपालन विभाग के प्रखंड विकास पदाधिकारी विनोद कुमार के अनुसार जिले में एक मात्र गौशाला है. जिसमें सभी गायों की देख रेख की जाती है. विभाग के तरफ से इसकी जिम्मेदारी उठाई जाती है.
गौशाला मंत्री का होता है चुनाव
गौशाला के मंत्री प्रदीप दहलान का कहना है कि ये एक निजी गौशाला है जो कि 1888 से ही गौ सेवा के रूप में काम करता है. इसमें चुनाव भी होता है. उन्होंने बताया कि जब देश आजाद हुआ तब पहला जो कानून बना वो गौशाला को ले कर ही बना था. उसी समय इस गौशाला के अध्यक्ष जिले के एसडीएम को बनाया गया. उसी समय से जो भी जिले का एसडीएम होता है वो इसका सर्वपरी अध्यक्ष होता है. उनके अंदर ही मंत्री का चुनाव होता है और मंत्री के द्वारा ही गौशाला संचालित किया जाता है.
ग्रामीण कर रहे अतिक्रमण
प्रदीप दहलान का कहना है कि विभाग के तरफ से सिर्फ एक बार पैसा दिया गया. लेकिन आज तक इसके जरूरत के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. गौशाला के जमीन पर ग्रामीणों का अतिक्रमण है. लेकिन इस पर विभाग चुपी साधे बैठा है.
188 गायों के साथ 12 देसी सांड
आज इस गौशाला में 12 तरह के देसी सांड है. इन सांडो को रखने का मुख्य उद्देश्य ये है कि देसी गायों को बढ़ावा दिया जा सके. गौशाला में 188 गायों में से करीब 160 गाये देसी हैं. गौशाला में रखी गायों का चारा भी गौशाला के 3 एकड़ जमीन ही उगाया जाता है.