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आवारा पशुओं के लिए नहीं है एक भी पशुगृह, 131 साल पुराने गौशाले में पलते हैं 188 गाय - पशुगृह

जिले में एक मात्र 131 साल पुराना गौशाला है. इसका निर्माण सन 1888 में कराया गया था. आज के समय में इसमें करीब 188 गाय हैं.

गौशाला
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Published : Jun 28, 2019, 8:42 PM IST

Updated : Jun 29, 2019, 12:02 AM IST

खगड़िया: जिले के आवारा पशु लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. इन पशुओं के लिए सरकार के तरफ से एक भी पशुगृह का निर्माण नहीं कराया जा सका है. जिसका नतीजा है कि ऐसे पशु सड़कों पर अपनी मौत लिए घूमते हैं.

131 साल पुराना है गौशाला
जिले में एक मात्र 131 साल पुराना गौशाला है. इसका निर्माण सन 1888 में कराया गया था. आज के समय में इसमें करीब 188 गाय हैं. इसमें 30 के करीब गाय दूध देने वाली है. ये गायें रोजाना 100 लीटर जूध देती है. इसकी कीमत बाजार में 4 हजार के करीब मिलती है. इसी पैसे से गौशाला के गायों को खाना-पानी की सुविधा दी जाती है.

विभाग उठाती है पूरी जिम्मेदारी
पशुपालन विभाग के प्रखंड विकास पदाधिकारी विनोद कुमार के अनुसार जिले में एक मात्र गौशाला है. जिसमें सभी गायों की देख रेख की जाती है. विभाग के तरफ से इसकी जिम्मेदारी उठाई जाती है.

आवारा पशुओं के लिए नहीं है एक भी पशुगृह

गौशाला मंत्री का होता है चुनाव
गौशाला के मंत्री प्रदीप दहलान का कहना है कि ये एक निजी गौशाला है जो कि 1888 से ही गौ सेवा के रूप में काम करता है. इसमें चुनाव भी होता है. उन्होंने बताया कि जब देश आजाद हुआ तब पहला जो कानून बना वो गौशाला को ले कर ही बना था. उसी समय इस गौशाला के अध्यक्ष जिले के एसडीएम को बनाया गया. उसी समय से जो भी जिले का एसडीएम होता है वो इसका सर्वपरी अध्यक्ष होता है. उनके अंदर ही मंत्री का चुनाव होता है और मंत्री के द्वारा ही गौशाला संचालित किया जाता है.

ग्रामीण कर रहे अतिक्रमण
प्रदीप दहलान का कहना है कि विभाग के तरफ से सिर्फ एक बार पैसा दिया गया. लेकिन आज तक इसके जरूरत के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. गौशाला के जमीन पर ग्रामीणों का अतिक्रमण है. लेकिन इस पर विभाग चुपी साधे बैठा है.

188 गायों के साथ 12 देसी सांड
आज इस गौशाला में 12 तरह के देसी सांड है. इन सांडो को रखने का मुख्य उद्देश्य ये है कि देसी गायों को बढ़ावा दिया जा सके. गौशाला में 188 गायों में से करीब 160 गाये देसी हैं. गौशाला में रखी गायों का चारा भी गौशाला के 3 एकड़ जमीन ही उगाया जाता है.

खगड़िया: जिले के आवारा पशु लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. इन पशुओं के लिए सरकार के तरफ से एक भी पशुगृह का निर्माण नहीं कराया जा सका है. जिसका नतीजा है कि ऐसे पशु सड़कों पर अपनी मौत लिए घूमते हैं.

131 साल पुराना है गौशाला
जिले में एक मात्र 131 साल पुराना गौशाला है. इसका निर्माण सन 1888 में कराया गया था. आज के समय में इसमें करीब 188 गाय हैं. इसमें 30 के करीब गाय दूध देने वाली है. ये गायें रोजाना 100 लीटर जूध देती है. इसकी कीमत बाजार में 4 हजार के करीब मिलती है. इसी पैसे से गौशाला के गायों को खाना-पानी की सुविधा दी जाती है.

विभाग उठाती है पूरी जिम्मेदारी
पशुपालन विभाग के प्रखंड विकास पदाधिकारी विनोद कुमार के अनुसार जिले में एक मात्र गौशाला है. जिसमें सभी गायों की देख रेख की जाती है. विभाग के तरफ से इसकी जिम्मेदारी उठाई जाती है.

आवारा पशुओं के लिए नहीं है एक भी पशुगृह

गौशाला मंत्री का होता है चुनाव
गौशाला के मंत्री प्रदीप दहलान का कहना है कि ये एक निजी गौशाला है जो कि 1888 से ही गौ सेवा के रूप में काम करता है. इसमें चुनाव भी होता है. उन्होंने बताया कि जब देश आजाद हुआ तब पहला जो कानून बना वो गौशाला को ले कर ही बना था. उसी समय इस गौशाला के अध्यक्ष जिले के एसडीएम को बनाया गया. उसी समय से जो भी जिले का एसडीएम होता है वो इसका सर्वपरी अध्यक्ष होता है. उनके अंदर ही मंत्री का चुनाव होता है और मंत्री के द्वारा ही गौशाला संचालित किया जाता है.

ग्रामीण कर रहे अतिक्रमण
प्रदीप दहलान का कहना है कि विभाग के तरफ से सिर्फ एक बार पैसा दिया गया. लेकिन आज तक इसके जरूरत के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. गौशाला के जमीन पर ग्रामीणों का अतिक्रमण है. लेकिन इस पर विभाग चुपी साधे बैठा है.

188 गायों के साथ 12 देसी सांड
आज इस गौशाला में 12 तरह के देसी सांड है. इन सांडो को रखने का मुख्य उद्देश्य ये है कि देसी गायों को बढ़ावा दिया जा सके. गौशाला में 188 गायों में से करीब 160 गाये देसी हैं. गौशाला में रखी गायों का चारा भी गौशाला के 3 एकड़ जमीन ही उगाया जाता है.

Intro:बिहार में आज के दौर में आवारा पशु भी परेशानी का मत्त्वपूर्ण सबब बनी हुई है जिसमे खास कर के आवारा गाय और सांड को देखा जा सकता है ऐसे में जरूरी ये है कि जिला में पशुपालन विभाग के पास एक गौशाला हो जिसमें वो इस तरह के आवारा जानवर को रख सके और दाना पानी दे कर जीवित रखें


Body:बिहार में आज के दौर में आवारा पशु भी परेशानी का मत्त्वपूर्ण सबब बनी हुई है जिसमे खास कर के आवारा गाय और सांड को देखा जा सकता है ऐसे में जरूरी ये है कि जिला में पशुपालन विभाग के पास एक गौशाला हो जिसमें वो इस तरह के आवारा जानवर को रख सके और दाना पानी दे कर जीवित रखें लेकिन खगड़िया जिला के पशुपालन विभाग के पास एक भी गौशाला अपना नही है
ऐसे में यंहा पर 131 साल पुराना गौशाला विभाग के जिम्मेदारी को संभालने का काम कर रहा है सन 1888 में बने इस गौशाला में आज के समय मे करीब 188 गाय है जिसमे 30 के करीब गाय दूध देने वाली है ये 30 गाय करीब प्रति दिन 100 लीटर दूध देती है जिसकी कीमत बाजार में करीब 4 हजार रुपया हर दिन मिलता है इसी पैसे से गौशाला के गायों को दाना पानी और सब सुविधा दी जाती है
पशुपालन विभाग के खगड़िया प्रखंड विकाश पदाधिकारी विनोद कुमार से जब हमने विभाग के गौशाला के बारे में सवाल किया तो उनका इसारा इस अर्धसरकारी गौशाला के तरफ हुआ और बोले कि यही एक गौशाला है जिसको वीभग भी मतद करता है कभी -कभी गौशाला के जनोरधार के लिए पशुपालन विभाग पैसा दे देता है और हर तरह की सुविधा का ख्याल वीभग के तरफ से रखा जाता है।
गौशाला के मंत्री प्रदीप दहलान का कहना है कि ये एक निजी गौशाला है जो कि 1888 से ही गौ सेवा के रूप में काम करता है इसमें चुनाव भी होता है जब देश आजाद हुआ तब पहला जो कानून बना वो गौशाला को ले कर ही बना था उसी समय इस गौशाला के अध्यक्ष जिला के एसडीएम को बनाया गया तब से जो भी जिला के एसडीएम आते है वो इसका सर्वपरी अध्यक्ष होते है और उनके अंदर ही मंत्री का चुनाव होता है और मंत्री के द्वारा ही गौशाला संचालित किया जाता है वही प्रदीप दहलान का कहना है कि वीभग के तरफ से सिर्फ एक बार पैसा दिया गया लेकिन आज के समय मे जरूरत है तो कोई कदम नही उठा रहा है गौशाला के जमीन को आम आदमी अतिक्रमण कर रहे है लेकिन इस पर वीभग चुपी साधे बैठा है
आज इस गौशाला में 12 तरह के देशी सांड है इन सांडो को रखने का मेन उद्देश्य ये है कि देशी गायों को बढ़ावा दिया जा सके गौशाला में 188 गायों में से करीब 160 गाये देशी ही है। गौशाला में रखी गायों का चारा भी गौशाला के 3 एकड़ जमीन ही उगाया जाता है।


Conclusion:
Last Updated : Jun 29, 2019, 12:02 AM IST
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