पटना/नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार में कोरोना वायरस के कारण बंद हुए स्कूलों के बच्चों को मिड-डे मील का लाभ नहीं देने की खबरों पर गहरी नाराजगी जाहिर की है.
दरअसल, मिड-डे मील योजना का लाभ नहीं मिलने के कारण पेट भरने के लिए बच्चों को कबाड़ बीनने और भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा है. एनएचआरसी ने इसे लेकर केंद्र के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) और बिहार सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है.
एनएचआरसी का नोटिस
आयोग ने न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक एक बयान में कहा कि देशभर में लॉकडाउन के दौरान स्कूल नहीं खुल रहे हैं. मध्याह्न भोजन भी रोक दिया गया है, जिसकी वजह से गरीब बच्चों को छोटे-मोटे काम करने पड़ रहे हैं. इससे न केवल उनका स्वास्थ्य बिगड़ता है, बल्कि वे छोटे-मोटे अपराधों और दूसरी असामाजिक गतिविधियों में पहुंच जाते हैं.
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NHRC notice to Union HRD Ministry and Government of Bihar over reported plight of poor children due to non-supply of mid-day meal in Bhagalpur in the wake of extended closure of schoolshttps://t.co/cHe8vfiiYA#NHRC #HumanRights #BiharFightsCorona @PTI_News @HRDMinistry
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चार हफ्ते में मांगी रिपोर्ट
आयोग ने बयान में कहा है कि इसी के मद्देनजर उसने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव और बिहार सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है और उनसे चार हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
क्या था मामला
बता दें कि लॉकडाउन में स्कूल बंद होने से मिड-डे मील की सुविधा गरीब बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे में राज्य के भागलपुर के बडबिला गांव के मुसहरी टोला के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे. उन्हें मिड-डे मील नहीं मिल पा रहा है. इन हालातों में ये बच्चे कूड़ा बीनने जैसे काम कर अपने लिए खाना जुटा रहे हैं.
43.9 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार
भागलपुर को देश की सिल्क सिटी के रूप में भी जाना जाता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण यहां का कारोबार प्रभावित है. लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. ऐसी ही हालत यहां के ग्रामीण इलाकों की भी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 के मुताबिक, बिहार के 5 साल से कम 48.3 प्रतिशत बच्चों का शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पा रहा है. 43.9 प्रतिशत बच्चे कम वजन या कुपोषण का शिकार हैं जो राष्ट्रीय औसत से क्रमशः 38.4 और 35.7 फीसदी ज्यादा है.
पहली से आठवीं तक के छात्रों को मिलेगा अनाज
हालांकि, मामला प्रकाश में आने के बाद बिहार सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि मिड-डे मील योजना के तहत मई से लेकर जुलाई तक के लिए बच्चों को राशन और पैसे दिए जाए. आदेश के मुताबिक, बच्चों को मई, जून और जुलाई में मिड डे मील के अंतर्गत पहली से पांचवीं तक के हर छात्र को 8 किलोग्राम खाद्यान्न और 358 रुपये दिए जाएंगें जबकि वर्ग छह से आठ तक के हर विद्यार्थी को 12 किलोग्राम खाद्यान्न और 536 रुपये तत्काल उपलब्ध कराए जाएंगें.
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प्राथमिक-मध्य विद्यालय के छात्रों को सरकार ने भेजी राशि
बता दें कि बिहार में कोरोना संकट की वजह से 14 मार्च 2020 से ही सभी स्कूल बंद हैं. लेकिन सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले प्राथमिक और मध्य विद्यालय के विद्यार्थियों को खाद्यान्न मद के बराबर राशि विद्यार्थियों के या उनके अभिभावकों के खाते में डीबीटी से भेजी थी. मध्याह्न भोजन योजना निदेशक के मुताबिक 14 मार्च 2020 से 3 मई 2020 तक कुल 3 अरब 78 करोड़ 70 लाख 20 हजार 392 रुपये बिहार के सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के सभी नामांकित विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के खाते में डीबीटी से भेजी जा चुकी है.