पटना: माह-ए-रमजान, मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे पाक महीना. कहा जाता है कि इस महीने की जाने वाली इबादत का सवाब अन्य महीनों से कई गुना ज्यादा मिलता है. रोजेदार के लिए अल्लाह जन्नत की राह खोल देता है. बिहार में भी इसको लेकर खास चहल-पहल रहती है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण देश में लॉकडाउन है. हालांकि पटना प्रशासन ने कुछ शर्तों के साथ मुस्लिम बहुल इलाकों में खरीदारी के लिए थोड़ी ढील दी है.
24 अप्रैल से 23 मई तक रमज़ान
रमज़ान या रमदान, इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना है. रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है. इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग उपवास रखते हैं. फ़ारसी में उपवास को रोज़ा कहते हैं. मुस्लिम समुदाय इस महीने को परम पवित्र मानता है. इस बार 24 अप्रैल 2020 से 23 मई 2020 तक रमजान का पाक महीना होगा.
माह-ए-रमजान की विशेषताएं
- महीने भर के रोज़े (उपवास) रखना
- रात में तरावीह की नमाज़ पढना
- क़ुरान तिलावत (पारायण) करना
- एतेकाफ़ बैठना, यानी गांव और लोगों की अभ्युन्नती और कल्याण के लिये अल्लाह से दुआ (प्रार्थना) करते हुए मौन व्रत रखना.
- ज़कात देना
- दान धर्म करना
- अल्लाह का शुक्रिया अदा करना. अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं.
मुकद्दस रमज़ान
उपवास के दिन सूर्योदय से पहले सहरी करते हैं. दिन भर न कुछ खाते हैं न पीते हैं. शाम को सूर्यास्त के बाद रोज़ा खोल कर खाते हैं, जिसे इफ़्तारी कहते हैं.
बाजारों से रौनक गायब
फल-सब्जी के साथ-साथ नॉनवेज की दुकान जरूर खुल गए हैं, लेकिन बाजारों से रौनक गायब है. लोगबाग इसकी वजह लॉकडाउन बताते हैं. इनके मुताबिक काफी दिनों से काम-धंधा बंद है. ऐसे में जेब खाली है. लेकिन चूकि त्योहार मनाना है तो थोड़ी संभल कर खरीदारी कर रहे हैं.
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
लॉकडाउन में खरीदारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिग का पालन हो, इसके लिए पुलिस-प्रशासन भी इलाके में मुस्तैद है. वहीं, गरीबों को राहत पहुंचाने के लिए जकात की ओर से पहल की गई है. जरूरतमंद नमाजियों को 15 दिनों का राशन मुहैया करवाया गया है.