पटना: कोरोना संकटकाल (Corona Crisis) में लोगों के लिए न्याय पाना 'दिवास्वप्न' की तरह है. न्याय (Justice) के लिए लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. जमानत (Bail) के इंतजार में लंबे समय से आरोपी जेल में बंद है. बिहार में 25 लाख से ज्यादा मामले लंबित हैं तो पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) में भी केसों का अंबार है.
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पटना उच्च न्यायालय में 2 लाख 13000 से ज्यादा केस लंबित हैं. केसों को निपटाने के लिए संसाधनों का भी घोर अभाव है. हाइकोर्ट (High Courts) में न्यायाधीशों की भी भारी कमी (Shortage of Judges) है. पटना उच्च न्यायालय में 53 न्यायाधीश की जरूरत है, जबकि मात्र 19 न्यायाधीशों की बदौलत न्यायिक कार्य चल रहा है. अगले महीने तक एक और न्यायाधीश रिटायर हो जाएंगे. जिसके बाद संख्या घटकर 18 रह जाएगी.
आपको बता दें कि अब तक पटना उच्च न्यायालय का काम वर्चुअल माध्यम (Virtual Medium) से चल रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में कोर्ट फिजिकल माध्यम से चलाए जाने की संभावना है.
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पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता विपिन कुमार का कहना है कि लोगों के लिए न्याय पाना आसान नहीं रह गया है. छोटे-मोटे मामलों में जेल में बंद आरोपियों को भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. केसों की संख्या जहां लगातार बढ़ रही है, वहीं डिस्पोजल बेहद कम है. अग्रिम जमानत के लिए भी लोगों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है.
वहीं बिहार स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कहा है कि कोरोना संकटकाल में न्यायिक प्रशासन के समक्ष चुनौती बड़ी है. उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की भारी कमी है. 19 न्यायाधीशों की बदौलत न्यायिक कार्य चल रहे हैं. न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं, लेकिन नियुक्ति को लेकर कोई फैसला नहीं किया जा सका है.
बिहार के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान बिहार में केसों की संख्या बढ़ी है. सरकार भी हालात को लेकर चिंतित है. हमने केंद्रीय विधि मंत्री से मिलकर समस्या के समाधान के लिए अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि उम्मीद करते हैं कि आगे स्थिति बेहतर होगी.