पटना: सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर (Social Activist Megha Patekar) इन दिनों पटना में हैं. उन्होंने गुजरात में सरदार सरोवर डैम (Sardar Sarovar Dam In Gujarat) को लेकर के पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की तरफ से जो कुछ अपेक्षाएं रखी गई थी, वह बिल्कुल पूरी नहीं हो पाई है और कच्छ में जल संकट और अधिक बढ़ा है. कच्छ के जिले में किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है. जबकि पाइप लाइन के माध्यम से कच्छ से गुजरते हुए उद्योगपतियों के फैक्ट्री तक पानी पहुंच रही है. लोगों में नाराजगी है और इस नाराजगी को देखते हुए लोगों को गुमराह करने के लिए और अर्बन नक्सल के शब्द का प्रधानमंत्री इस्तेमाल कर रहे हैं.
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मेधा पाटकर ने पीएम मोदी पर साधा निशाना : उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को पता है कि नर्मदा के संबंध में जो उन्होंने गुजरात के लोगों को आश्वासन दिए थे कि सभी को पानी मिलेगा, 18 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी, यह सब कुछ नहीं हो पाया है. और गुजरात में भाजपा के किसान संगठन भी नाराज हैं. नर्मदा बचाओ आंदोलन के तहत उन्होंने जो लड़ाई लड़ी उसका परिणाम है कि देश का सबसे बड़ा विस्थापन पुनर्वास हुआ है. उन्होंने कहा कि उनकी राय रही है कि कच्छ का पानी प्राथमिकता से कच्छ और सौराष्ट्र को मिलनी चाहिए जबकि पीने के पानी के लिए ग्राम पंचायतों से पैसा की मांग की जा रही है.
'प्रधानमंत्री को पता चल गया है कि कच्छ और सौराष्ट्र उनको वोट नहीं देने जा रहा. प्रदेश में आम आदमी पार्टी की पकड़ मजबूत होते जा रही है. ऐसे में बेवजह का भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी से उनका नाम जोड़ रहे हैं. उन्हें अर्बन नक्सल कहा जा रहा है. जबकि नक्सली सशस्त्र विद्रोह में यकीन रखते हैं और आज तक उनके आंदोलन का इतिहास रहा है कि हिंसा से वह हमेशा दूर रही हैं और सत्याग्रह और अहिंसक आंदोलन में यकीन रखती हैं. जिसे स्टैचू ऑफ यूनिटी कहा जा रहा है, वह स्टेचू ऑफ डिवाइड बनते जा रहा है. पर्यटन के व्यापक प्रोग्राम के तहत 72 आदिवासियों के गांव को उजाड़ने जाया जा रहा है और आदिवासियों को अब उनके जानवरों को चारागाह तक ले जाने की भी अनुमति नहीं दी जा रही. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के मुंह से इतना विकृत वक्तव्य शोभा नहीं देता. मैं राजनीति में कहीं सक्रिय नहीं हूं.' - मेधा पाटकर, सामाजिक कार्यकर्ता
मेधा पाटकर ने केंद्र सरकार पर बोला हमला : बिहार में राजनीतिक बदलाव पर बोलते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि यह एक अच्छी बात है कि आज देश में जो केंद्र की सरकार है जाति और धर्म के नाम पर नफरत की राजनीति कर रही है. उनके खिलाफ सेकुलर ताकतें एक हो रही हैं. लेकिन इनके लिए जरूरी है कि जब एक हो तो एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार करें, उसके अनुसार कार्य करें. विभिन्न मुद्दों पर आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों के साथ वार्ता करें और हल निकाले. केंद्र की सरकार अस्तित्व के सवाल को नकार कर अस्मिता के सवाल को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर रही है.
'तिरंगे के सम्मान को बचाना है' : मेधा पाटेकर ने कहा कि देश के तिरंगे के सम्मान को बचाना है. संविधान को बचाना है तो देश में सेक्युलर ताकतों को एक होना जरूरी है. आगे कहा कि नफरत छोड़ो संविधान बचाओ अभियान उन लोगों ने शुरू किया है और इसमें से एक नारा राहुल गांधी ने भी अपने यात्रा में लिया है. जिसे वो अच्छा समझती हैं. आगामी 2 अक्टूबर से 10 दिसंबर तक वो प्रदेश के जिले- जिलों में जाकर यात्रा करेंगी और समाज को जागरूक करेंगी. क्योंकि समाज की सोच बदलेगी तभी जाकर व्यापक बदलाव संभव होगा.
बिहार बाढ़ और सुखाड़ से है प्रभावित : बिहार में भी उत्तर बिहार बाढ़ से प्रभावित रहता है और दक्षिण बिहार में सुखार की गंभीर समस्या है. आजादी के इतने वर्षों के बाद भी यह समस्या बरकरार है. कोसी संबंधी आयोग के सिफारिशों का आज तक अमल नहीं हुआ है, प्रदेश में एक बार फिर से मंडी व्यवस्था लागू करने की आवश्यकता है. मेधा पाटेकर ने कहा कि भाजपा की सरकार किसी की सुनती नहीं लेकिन अब नीतीश कुमार भाजपा से अलग हो गए हैं तो वह चाहती हैं कि बदलाव हो और सरकार जनता से संवाद कायम करे.