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खुशियों को लगी कोरोना की 'हाय', घाटे का शिकार हो रहे शादी से जुड़े व्यवसाय

कोरोना वायरस से संक्रमण के खतरे के बीच घाटे का सामना कर रहे शादी-ब्याह से जुड़े कारोबारी सरकार से नियमों में ढील की गुजारिश के साथ ही आने वाले शादी सीजन से उम्मीदें लगाए हैं.

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Published : Jun 29, 2020, 7:37 PM IST

पटना: अनलॉक 1.0 में इवेंट या शादी विवाह के लिए परमिशन दे दी गई है. मैरिज हॉल को लेकर नई शर्तों के साथ ये परमिशन दी गई है. उन शर्तों की वजह से भी अनलॉक 1.0 में भी विवाह से जुड़े कारोबार में तेजी नहीं आ पाई है.

मैरिज हॉल की बुकिंग ना के बराबर
जून के पूरे महीने में 15 से ज्यादा लग्न के शुभ मुहूर्त थे. मैरिज हॉल के संचालक का कहना है कि सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक शादी विवाह या समारोह में ज्यादा से ज्यादा 50 लोगों को आमंत्रित किया जा सकता है. इस स्थिति में मैरिज हॉल की बुकिंग ना के बराबर ही हो रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

घर में ही शादी समारोह का आयोजन कर रहे लोग
शेखपुरा वेडिंग हॉल संचालक ने कहा कि सोशल डिस्टेंस भी मेंटेन करना है. मेरे हॉल की कैपेसिटी जहां 200 से 300 लोगों की है, वहां अब महज 50 लोगों को ही प्रवेश देना है. इन हालातों में कहीं न कहीं हॉल की बुकिंग ना के बराबर हो रही है. जिन लोगों को बेहद जरुरी है वे अपने घर परिवार में ही शादी विवाह समारोह का आयोजन कर रहे हैं.

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रिंग सेरेमनी

'खराब हो रही हमारी आर्थिक स्थिति'
वेडिंग हॉल संचालक ने कहा कि जिस तरह से बिहार में गाइडलाइन दिया गया है, उसका पालन करना जरुरी है. हम उसका पालन कर रहे हैं. लेकिन इससे हमारी हालत बद से बदतर होती चली जा रही है. हमारे व्यवसाय से केटरर, बैंडवाले या बिजली का काम करने वाले कारीगर जुड़े हैं. हम सब की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है.

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गाइडलाइन का हो रहा पालन

'मैरिज हॉल में 200 से 250 लोगों के प्रवेश की मिले अनुमति'
बिहार राज्य टेंट डेकोरेटर संघ के सचिव नवलेश कुमार की भी कहना है कि जिस तरह 50 लोगों की ही अनुमति मिली है. उससे हमारे कम्युनिटी हॉल का खर्च भी नहीं निकल पाता. हमने कई बार सरकार से निवेदन भी किया कि मैरिज हॉल में कम से कम 200 से 250 लोगों के प्रवेश की अनुमति मिले जिससे कि हम लोगों का धंधा चल पड़े. लेकिन राज्य सरकार हमारी बात नहीं सुन रही. नवलेश कुमार ने कहा कि अब इसी महीने शुभ मुहूर्त भी खत्म हो रहे है. हमारा व्यवसाय खत्म हो चला है.

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सोशल डिस्टेंस का पालन

'भुखमरी का शिकार हो रहे हैं हम'
वहीं केटरर और पंडाल का काम करनेवाले श्याम सुंदर का कहना है कि हमारे क्षेत्र का व्यवसाय करनेवाले लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं. हमे देखनेवाला कोई नहीं है, देश में ट्रेन और बस चलाये जा रहे हैं तो फिर मैरिज हॉल में क्या दिक्कत है. हम गाइडलाइन का पालन करते हुए ही अपना काम करते.

'गाइडलाइन को फॉलो करना मजबूरी'
छोटे मोटे समारोह मैरिज हाल में किये जा रहे हैं. वर-वधू पक्ष वाले इस बात का ख्याल कर रहे हैं कि समारोह में 50 से ज्यादा लोग ना आ पाए. अपनी बेटी के रिंग समारोह का आयोजन करने आए. अंजनी कुमार का कहना है कि मन मसोस कर ये समारोह कर रहा हूं. अपने कई लोगों को नहीं बुला पाया इस बात का मलाल है. लेकिन गाइडलाइन को फॉलो करना मजबूरी है.

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थर्मल स्क्रीनिंग के बाद मिल रही एंट्री

थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही अतिथियों को प्रवेश
शेखपुरा वेडिंग हॉल में थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही अतिथियों को प्रवेश कराया जा रहा है. मुख्यद्वार पर मास्क और सैनिटाइजर भी दिए जा रहे थे. साफ तौर पर कोरोना ने सबकी लाइफस्टाइल ही बदल दी है.

अब आने वाले शादी सीजन से उम्मीदें
कोरोना काल में घाटे का सामना कर रहे शादी-ब्याह से जुड़े ये कारोबारी अब सरकार से नियमों में ढील की गुजारिश के साथ ही आने वाले शादी सीजन से उम्मीदें लगाए हैं.. कि शायद तब घाटे को मुनाफे में तब्दील कर सकें.

पटना: अनलॉक 1.0 में इवेंट या शादी विवाह के लिए परमिशन दे दी गई है. मैरिज हॉल को लेकर नई शर्तों के साथ ये परमिशन दी गई है. उन शर्तों की वजह से भी अनलॉक 1.0 में भी विवाह से जुड़े कारोबार में तेजी नहीं आ पाई है.

मैरिज हॉल की बुकिंग ना के बराबर
जून के पूरे महीने में 15 से ज्यादा लग्न के शुभ मुहूर्त थे. मैरिज हॉल के संचालक का कहना है कि सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक शादी विवाह या समारोह में ज्यादा से ज्यादा 50 लोगों को आमंत्रित किया जा सकता है. इस स्थिति में मैरिज हॉल की बुकिंग ना के बराबर ही हो रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

घर में ही शादी समारोह का आयोजन कर रहे लोग
शेखपुरा वेडिंग हॉल संचालक ने कहा कि सोशल डिस्टेंस भी मेंटेन करना है. मेरे हॉल की कैपेसिटी जहां 200 से 300 लोगों की है, वहां अब महज 50 लोगों को ही प्रवेश देना है. इन हालातों में कहीं न कहीं हॉल की बुकिंग ना के बराबर हो रही है. जिन लोगों को बेहद जरुरी है वे अपने घर परिवार में ही शादी विवाह समारोह का आयोजन कर रहे हैं.

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रिंग सेरेमनी

'खराब हो रही हमारी आर्थिक स्थिति'
वेडिंग हॉल संचालक ने कहा कि जिस तरह से बिहार में गाइडलाइन दिया गया है, उसका पालन करना जरुरी है. हम उसका पालन कर रहे हैं. लेकिन इससे हमारी हालत बद से बदतर होती चली जा रही है. हमारे व्यवसाय से केटरर, बैंडवाले या बिजली का काम करने वाले कारीगर जुड़े हैं. हम सब की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है.

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गाइडलाइन का हो रहा पालन

'मैरिज हॉल में 200 से 250 लोगों के प्रवेश की मिले अनुमति'
बिहार राज्य टेंट डेकोरेटर संघ के सचिव नवलेश कुमार की भी कहना है कि जिस तरह 50 लोगों की ही अनुमति मिली है. उससे हमारे कम्युनिटी हॉल का खर्च भी नहीं निकल पाता. हमने कई बार सरकार से निवेदन भी किया कि मैरिज हॉल में कम से कम 200 से 250 लोगों के प्रवेश की अनुमति मिले जिससे कि हम लोगों का धंधा चल पड़े. लेकिन राज्य सरकार हमारी बात नहीं सुन रही. नवलेश कुमार ने कहा कि अब इसी महीने शुभ मुहूर्त भी खत्म हो रहे है. हमारा व्यवसाय खत्म हो चला है.

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सोशल डिस्टेंस का पालन

'भुखमरी का शिकार हो रहे हैं हम'
वहीं केटरर और पंडाल का काम करनेवाले श्याम सुंदर का कहना है कि हमारे क्षेत्र का व्यवसाय करनेवाले लोग भुखमरी का शिकार हो रहे हैं. हमे देखनेवाला कोई नहीं है, देश में ट्रेन और बस चलाये जा रहे हैं तो फिर मैरिज हॉल में क्या दिक्कत है. हम गाइडलाइन का पालन करते हुए ही अपना काम करते.

'गाइडलाइन को फॉलो करना मजबूरी'
छोटे मोटे समारोह मैरिज हाल में किये जा रहे हैं. वर-वधू पक्ष वाले इस बात का ख्याल कर रहे हैं कि समारोह में 50 से ज्यादा लोग ना आ पाए. अपनी बेटी के रिंग समारोह का आयोजन करने आए. अंजनी कुमार का कहना है कि मन मसोस कर ये समारोह कर रहा हूं. अपने कई लोगों को नहीं बुला पाया इस बात का मलाल है. लेकिन गाइडलाइन को फॉलो करना मजबूरी है.

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थर्मल स्क्रीनिंग के बाद मिल रही एंट्री

थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही अतिथियों को प्रवेश
शेखपुरा वेडिंग हॉल में थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही अतिथियों को प्रवेश कराया जा रहा है. मुख्यद्वार पर मास्क और सैनिटाइजर भी दिए जा रहे थे. साफ तौर पर कोरोना ने सबकी लाइफस्टाइल ही बदल दी है.

अब आने वाले शादी सीजन से उम्मीदें
कोरोना काल में घाटे का सामना कर रहे शादी-ब्याह से जुड़े ये कारोबारी अब सरकार से नियमों में ढील की गुजारिश के साथ ही आने वाले शादी सीजन से उम्मीदें लगाए हैं.. कि शायद तब घाटे को मुनाफे में तब्दील कर सकें.

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