पटना: बिहार में नीतीश सरकार (CM Nitish Kumar) के लाख प्रयासों के बाद भी शराबबंदी (Bihar Liquor Ban) नहीं हो पा रही है. भले ही पुलिस लाख कार्रवाई कर रही हो, लेकिन शराब माफिया सक्रिय हैं. यहां एक बार फिर जहरीली शराब पीने से मौत का मामला (Dead due to poisonous liquor in Bihar) सामने आया है. बिहार के तीन जिले मधेपुरा, औरंगाबाद और गया में पिछले तीन दिनों में अब तक आठ लोगों की जहरीली शराब से मौत की खबर है. एक तरफ परिजन जहां शराब पीने से मौत की बात कबूल रहे है, तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस जांच की बात कह रही है.
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मधेपुरा में जहरीली शराब से जीजा-साले की मौत: मधेपुरा जिले के चौसा थाना क्षेत्र के घोषई में जहरीली शराब पीने (Dead due to poisonous liquor in Madhepura) से एक परिवार में साला-बहनोई की मौत हो गई. घटना रविवार की है. बताया जाता है कि रविवार की रात सुबोध झा के घर में हुई पार्टी में सरहसा निवासी दामाद आलोक झा ने साला के साथ जहरीली शराब पी थी. इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौसा ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. जबकि, शराब पीने के बाद बीमार सुबोध झा के पुत्र अभिनव कुमार उर्फ गोलू की मौत सोमवार को इलाज के दौरान हुई. वहीं एक की स्थिति नाजुक है.
औरंगाबाद में 3 की संदिग्ध मौत: बिहार के औरंगाबाद में कथित जहरीली शराब से तीन लोगों की हुई मौत के मामले (Dead due to poisonous liquor in Aurangabad) में एक सब इंस्पेक्टर और स्थानीय चौकीदार को निलंबित कर दिया गया है. जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के रानीगंज गांव में एक व्यक्ति संजय दास की मौत रविवार की सुबह हो गई थी. संजय के परिवार वालों का कहना है कि उसने शनिवार की रात शराब पी थी और रविवार सुबह उसे मरा हुआ पाया गया. इसी गांव में दो दिन पहले एक स्थानीय व्यक्ति कृष्णा राम की भी संदिग्ध रूप से मौत हो गई थी, हालांकि कृष्णा राम की मौत के बारे में उसके घर वालों ने कोई शिकायत कहीं नहीं की थी. दूसरी घटना भी जिले के मदनपुर थाने के सिंदुवार गांव की है, जहां पिंटू शर्मा नाम के व्यक्ति ने शनिवार की रात शराब पी थी और रविवार की सुबह अपने घर में मृत पाया गया.
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गया में जहरीली शराब से 3 की मौत : बिहार के गया में आमस के पथरा गांव में तीन लोगों की संदिग्ध हालत में मौत (Dead due to poisonous liquor in Gaya) हुई है. आधा दर्जन लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है. इस बीच, परिवार का कहना है कि सभी ने सोमवार शाम शराब पी थी, जिसके बाद सभी की तबीयत बिगड़ने लगी. सोमवार रात दो लोगों की मौत हो गई. कुछ लोगों को मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया है, और कुछ लोगों को आमस के ही सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया हैं.
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बिहार में 2016 में की गई थी शराबबंदी : बता दें कि बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया गया था। कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.
अब जुर्माना देकर छूट जाएंगे शराबी : हालांकि, 6 साल बाद शराबबंदी कानून में बड़ा बदलाव (Changes In The Prohibition Law) किया गया है. जिसके बाद यदि को व्यक्ति पहली बार शराब पीते पकड़ा जाता है तो उसे जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा. लेकिन बार-बार पकड़ें जाने पर जेल और जुर्माना दोनों की सजा हो सकती है. पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने वालों को कार्यकारी मजिस्ट्रेट के निर्णय के अनुसार 2,000 रुपये से 5,000 रुपये के बीच जुर्माना लेकर रिहा किया जाएगा. यदि पहली बार अपराध करने वाला व्यक्ति जुर्माना अदा करने में विफल रहता है तो उसे एक माह की कैद हो सकती है. अगर आप दूसरी बार शराब पीते पकड़े गए तो अनिवार्य रूप से एक वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई थी फटकार : दरअसल, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर नीतीश सरकार को फटकार भी लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में शराब के मामलों, विशेष रूप से जमानत से संबंधित मामलों को लेकर राज्य को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल पूछा कि क्या शराबबंदी लागू करने से पहले और शराबबंदी कानून लाने से पहले बिहार में इसके लिए अदालती ढांचा तैयार किया गया है या नहीं? इस पर कोई अध्ययन किया कराया गया या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, बिहार में शराबबंदी की वजह से लगातार जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ रही है. जजों की संख्या कम है बावजूद इसे 26 में 16 जज केवल शराबबंदी से जुड़े मामलों में ही फंसे हुए हैं.
शराबबंदी को लेकर बैकफुट पर क्यों आए नीतीश: आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2016 से दिसंबर 2021 तक शराबबंदी कानून के तहत करीब 2.03 लाख मामले सामने आए. इनमें 3 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 1.08 लाख मामलों का ट्रायल शुरू किया गया. इनमें से 94 हजार 639 मामलों का ट्रायल पूरा हो चुका है. 1 हजार 19 मामलों में आरोपियों को सजा मिली. 610 मामलों में आरोपियों को बरी किया जा चुका है.
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