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रामविलास पासवान को मिला पद्म भूषण, अबीर-गुलाल और पटाखे छोड़कर कार्यकर्ताओं ने मनाया जश्न - Patna

लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) को राष्ट्रपति भवन में मरणोपरांत पद्म भूषण (Padma Bhushan) सम्मान दिया गया. सांसद चिराग पासवान ने ये सम्मान ग्रहण किया. इस दौरान रीना पासवान भी मौजूद थीं.

राम विलास पासवान
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Published : Nov 9, 2021, 12:51 PM IST

पटना: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने 2021 में पद्म पुरस्कार के लिए चुनी गई हस्तियों को सम्मानित किया. उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) को मरणोपरांत पद्म भूषण (Padma Bhushan) पुरस्कार से सम्मानित किया. एलजेपी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने परस्कार ग्रहण किया. वहीं, एलजेपी संस्थापक को पद्म भूषण सम्मान मिलने से कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है.

ये भी पढ़ें: पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को मिला पद्म भूषण सम्मान, चिराग ने किया ग्रहण

इस अवसर पर राजधानी पटना के श्रीकृष्णा पुरी स्थित पार्टी दफ्तर में जोरदार तरीके से जश्न मनाया गया. रामविलास पासवान को मरणोपरांत आज पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है. एलजेपी के कार्यकर्ताओं ने अबीर-गुलाल और पटाखे छोड़कर पार्टी कार्यालय में जश्न मनाया है.

देखें वीडियो

एलजेपी नेता चंदन सिंह ने कहा कि स्वर्गीय राम विलास पासवान दलित और गरीब और वंचितों के लिए हमेशा खड़े रहे हैं. आज उनके स्वर्गवास के बाद पद्म भूषण प्राप्त होना उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि है. हमारे लिए तो आज दिवाली और होली का माहौल है.

ये भी पढ़ें: विरासत की सियासत बनी चिराग के लिए चुनौती, गठबंधन पर कन्‍फ्यूजन के कारण अधर में राजनीतिक भविष्य

आपको बताएं कि रामविलास पासवान ने छह प्रधानमंत्रियों के साथ उन्होंने काम किया था. यह अपने आप में रिकॉर्ड है. मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी समेत 6 प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में वह केंद्रीय मंत्री रहे. अपने जीवन उन्होंने कुल 11 चुनाव लड़े थे. 2 बार हारे थे. नौ बार लोक सभा एवं दो बार राज्यसभा सांसद रहे. DSP की नौकरी छोड़ वह राजनीति में आये थे. उनका जन्म बिहार के खगड़िया में 1946 में हुआ था. जयप्रकाश नारायण आंदोलन के दौरान वह तेजी से बिहार की सियासत में उभरे थे. 1977 में पहली बार हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव जीते थे. 74 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था.

उनके निधन के बाद साल भर के अंदर उनकी पार्टी में टूट हो गयी. चिराग के चाचा व सांसद तथा केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस 5 सांसदों के साथ अलग हो गए. पार्टी दो धड़ों में बंट गई. पार्टी का चुनाव चिह्न बंग्ला को चुनाव आयोग ने जब्त कर लिया. चुनाव आयोग ने चिराग को लोजपा रामविलास के नाम से पार्टी का नाम आवंटित किया तथा चुनाव चीन हेलीकाप्टर आवंटित किया. पारस को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से पार्टी का नाम आवंटित किया तथा सिलाई मशीन चुनाव चिन्ह आवंटित किया.

पटना: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने 2021 में पद्म पुरस्कार के लिए चुनी गई हस्तियों को सम्मानित किया. उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) को मरणोपरांत पद्म भूषण (Padma Bhushan) पुरस्कार से सम्मानित किया. एलजेपी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने परस्कार ग्रहण किया. वहीं, एलजेपी संस्थापक को पद्म भूषण सम्मान मिलने से कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है.

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इस अवसर पर राजधानी पटना के श्रीकृष्णा पुरी स्थित पार्टी दफ्तर में जोरदार तरीके से जश्न मनाया गया. रामविलास पासवान को मरणोपरांत आज पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है. एलजेपी के कार्यकर्ताओं ने अबीर-गुलाल और पटाखे छोड़कर पार्टी कार्यालय में जश्न मनाया है.

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एलजेपी नेता चंदन सिंह ने कहा कि स्वर्गीय राम विलास पासवान दलित और गरीब और वंचितों के लिए हमेशा खड़े रहे हैं. आज उनके स्वर्गवास के बाद पद्म भूषण प्राप्त होना उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि है. हमारे लिए तो आज दिवाली और होली का माहौल है.

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आपको बताएं कि रामविलास पासवान ने छह प्रधानमंत्रियों के साथ उन्होंने काम किया था. यह अपने आप में रिकॉर्ड है. मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी समेत 6 प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में वह केंद्रीय मंत्री रहे. अपने जीवन उन्होंने कुल 11 चुनाव लड़े थे. 2 बार हारे थे. नौ बार लोक सभा एवं दो बार राज्यसभा सांसद रहे. DSP की नौकरी छोड़ वह राजनीति में आये थे. उनका जन्म बिहार के खगड़िया में 1946 में हुआ था. जयप्रकाश नारायण आंदोलन के दौरान वह तेजी से बिहार की सियासत में उभरे थे. 1977 में पहली बार हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव जीते थे. 74 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था.

उनके निधन के बाद साल भर के अंदर उनकी पार्टी में टूट हो गयी. चिराग के चाचा व सांसद तथा केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस 5 सांसदों के साथ अलग हो गए. पार्टी दो धड़ों में बंट गई. पार्टी का चुनाव चिह्न बंग्ला को चुनाव आयोग ने जब्त कर लिया. चुनाव आयोग ने चिराग को लोजपा रामविलास के नाम से पार्टी का नाम आवंटित किया तथा चुनाव चीन हेलीकाप्टर आवंटित किया. पारस को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से पार्टी का नाम आवंटित किया तथा सिलाई मशीन चुनाव चिन्ह आवंटित किया.

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