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बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचे CM के लिए बिछाया गया ग्रीन कार्पेट, LJP ने साधा निशाना

सीएम नीतीश कुमार बाढ़ग्रस्त इलाकों का लगातार दौरा कर रहे हैं. इस बार अपने दौरे के चलते वे विपक्ष के निशाने पर आ गये हैं. एक बाढ़ राहत शिविर में मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए ग्रीन कार्पेट बिछाया गया था. इसे लेकर लोजपा ने सीएम पर निशाना साधा है. पढ़ें पूरी खबर.

बाढ़ पीड़ितों के साथ सीएम
बाढ़ पीड़ितों के साथ सीएम
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Published : Aug 17, 2021, 4:04 PM IST

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) बाढ़ (Flood in Bihar) प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण (Aerial Survey) करने निकले थे लेकिन इसे लेकर वे विपक्ष के निशाने पर आ गये हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने के दौरान वे बाढ़ पीड़ितों से मिलने पहुंचे. वहां पर उनके लिए ग्रीन कार्पेट बिछाया गया था. इसे लेकर एलजेपी (LJP) ने सीएम पर हमला बोला है.

ये भी पढ़ें: बोले CM नीतीश- बाढ़, सुखाड़ और पर्यावरण सरकार की बड़ी प्राथमिकता, हरसंभव पहुंचा रहे हैं मदद

लोजपा ने नीतीश कुमार और अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार की लगभग 20 लाख की आबादी बाढ़ से जूझ रही है और मुख्यमंत्री के स्वागत में उनके अधिकारी ग्रीन कार्पेट बिछा रहे हैं. लोजपा के प्रवक्ता चंदन सिंह (LJP Spokesperson Chandan Singh) ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 16 साल से नीतीश कुमार लगातार हवाई सर्वेक्षण ही कर रहे हैं. धरातल पर अब तक उनकी योजनाएं नहीं उतर पाई हैं.

हर साल लोग बाढ़ का दंश झेलते हैं. इस प्राकृतिक आपदा से करोड़ों का नुकसान आम जन को भुगतना पड़ता है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में अभी तक अधिकारी नहीं पहुंचे हैं. इस वजह से वहां की जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लोजपा ने कहा कि मुख्यमंत्री के आगमन पर भागलपुर (Bhagalpur Flood) और खगड़िया (Khagaria Flood) के राहत शिविरों में कम्युनिटी किचन के माध्यम से मुख्यमंत्री को दिखाने के लिए तरह-तरह के व्यंजन परोसे गए हैं.

देखें वीडियो

लोजपा नेता ने कहा कि बिहार के 17 जिलों में करीब 20 लाख लोग बाढ़ की समस्या झेल रहे हैं. लोग मजबूरन रोड पर तीरपाल लगाकर रहने को मजबूर हैं. उन्हें न तो भोजन मिल रहा है और न ही बुनियादी सुविधाएं मुहैया हो पा रही हैं. बाढ़ पीड़ितों के लिए राज्य सरकार की ओर से दवा और डॉक्टर की व्यवस्था भी नहीं की गई है. ऐसे में मुख्यमंत्री के स्वागत में ग्रीन कार्पेट में जो पैसे खर्च किए गया, उससे ही बाढ़ पीड़ितों को भोजन मुहैया करवाया जा सकता था.

ये भी पढ़ें: CM नीतीश कुमार बाढ़ ग्रस्त खगड़िया और भागलपुर जिले का कर रहे हवाई सर्वेक्षण

बता दें कि पिछले एक हफ्ते से गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. गंगा के खतरे के निशान से ऊपर बहने की वजह से दियारा के निचले व तटवर्तीय इलाके जलमग्न हो गये हैं. पटना के साथ ही इलाहाबाद, बनारस और बक्सर में भी गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई है. गंगा के जलस्तर में और वृद्धि होने की संभावना है. फिलहाल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन अपने स्तर पर राहत और बचाव कार्य में जुटा है.

बता दें कि उत्तर बिहार में इस बार जून महीने से ही बाढ़ की स्थिति बनी हुई है और लाखों लोगों की परेशानी बाढ़ के कारण बढ़ी हुई है. ऐसे मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त को भी गांधी मैदान से कहा है कि सरकार के खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला हक है और सरकार हर संभव मदद पहुंचाने की कोशिश करेगी.

मुख्यमंत्री के तरफ से लगातार बाढ़ ग्रस्त इलाकों की समीक्षा भी हो रही है. अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने बैठक कर बाढ़ से हुए क्षति का आकलन करने का भी निर्देश दिया है. धान रोपने की भी क्षति का आकलन करने का मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है.

ये भी पढ़ें: बोले CM नीतीश- इस बार हुआ है बाढ़ का बहुत ज्यादा असर, लोगों को राहत देना हमारा कर्तव्य

राज्य के 26 जिलों की 20 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक राज्य के 26 जिलों के 86 प्रखंडों की कुल 570 पंचायतें बाढ़ से आंशिक या पूर्ण रूप से प्रभावित है. वहां की 20 लाख से अधिक की आबादी बाढ़ की चपेट में है.

राजधानी पटना के अलावा वैशाली, भोजपुर, लखीसराय, मुजफरपुर, दरभंगा, खगड़िया, सहरसा, भागलपुर, सारण, बक्सर, बेगूसराय, कटिहार, मुंगेर और समस्तीपुर जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. इन जिलों में बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की आठ और एसडीआरएफ की नौ टीमों को लगाया गया है.

इसके अलावा चार एनडीआरएफ की और पांच एसडीआरएफ की अन्य टीमें दूसरे बाढ़ प्रभावित जिलों में पहले से तैनात हैं. प्रभावित इलाकों में 1948 नावों का परिचालन किया जा रहा है. एक लाख 39 हजार से ज्यादा पॉलीथीन शीट और 27 हजार 387 सूखा राशन पॉकेट बांटे गये हैं. इसके अलावा प्रभावित क्षेत्रों में 31 राहत शिविर और 254 सामुदायिक किचेन का संचालन किया जा रहा है.

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) बाढ़ (Flood in Bihar) प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण (Aerial Survey) करने निकले थे लेकिन इसे लेकर वे विपक्ष के निशाने पर आ गये हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने के दौरान वे बाढ़ पीड़ितों से मिलने पहुंचे. वहां पर उनके लिए ग्रीन कार्पेट बिछाया गया था. इसे लेकर एलजेपी (LJP) ने सीएम पर हमला बोला है.

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लोजपा ने नीतीश कुमार और अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार की लगभग 20 लाख की आबादी बाढ़ से जूझ रही है और मुख्यमंत्री के स्वागत में उनके अधिकारी ग्रीन कार्पेट बिछा रहे हैं. लोजपा के प्रवक्ता चंदन सिंह (LJP Spokesperson Chandan Singh) ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 16 साल से नीतीश कुमार लगातार हवाई सर्वेक्षण ही कर रहे हैं. धरातल पर अब तक उनकी योजनाएं नहीं उतर पाई हैं.

हर साल लोग बाढ़ का दंश झेलते हैं. इस प्राकृतिक आपदा से करोड़ों का नुकसान आम जन को भुगतना पड़ता है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में अभी तक अधिकारी नहीं पहुंचे हैं. इस वजह से वहां की जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लोजपा ने कहा कि मुख्यमंत्री के आगमन पर भागलपुर (Bhagalpur Flood) और खगड़िया (Khagaria Flood) के राहत शिविरों में कम्युनिटी किचन के माध्यम से मुख्यमंत्री को दिखाने के लिए तरह-तरह के व्यंजन परोसे गए हैं.

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लोजपा नेता ने कहा कि बिहार के 17 जिलों में करीब 20 लाख लोग बाढ़ की समस्या झेल रहे हैं. लोग मजबूरन रोड पर तीरपाल लगाकर रहने को मजबूर हैं. उन्हें न तो भोजन मिल रहा है और न ही बुनियादी सुविधाएं मुहैया हो पा रही हैं. बाढ़ पीड़ितों के लिए राज्य सरकार की ओर से दवा और डॉक्टर की व्यवस्था भी नहीं की गई है. ऐसे में मुख्यमंत्री के स्वागत में ग्रीन कार्पेट में जो पैसे खर्च किए गया, उससे ही बाढ़ पीड़ितों को भोजन मुहैया करवाया जा सकता था.

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बता दें कि पिछले एक हफ्ते से गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. गंगा के खतरे के निशान से ऊपर बहने की वजह से दियारा के निचले व तटवर्तीय इलाके जलमग्न हो गये हैं. पटना के साथ ही इलाहाबाद, बनारस और बक्सर में भी गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई है. गंगा के जलस्तर में और वृद्धि होने की संभावना है. फिलहाल बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन अपने स्तर पर राहत और बचाव कार्य में जुटा है.

बता दें कि उत्तर बिहार में इस बार जून महीने से ही बाढ़ की स्थिति बनी हुई है और लाखों लोगों की परेशानी बाढ़ के कारण बढ़ी हुई है. ऐसे मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त को भी गांधी मैदान से कहा है कि सरकार के खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला हक है और सरकार हर संभव मदद पहुंचाने की कोशिश करेगी.

मुख्यमंत्री के तरफ से लगातार बाढ़ ग्रस्त इलाकों की समीक्षा भी हो रही है. अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने बैठक कर बाढ़ से हुए क्षति का आकलन करने का भी निर्देश दिया है. धान रोपने की भी क्षति का आकलन करने का मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है.

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राज्य के 26 जिलों की 20 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक राज्य के 26 जिलों के 86 प्रखंडों की कुल 570 पंचायतें बाढ़ से आंशिक या पूर्ण रूप से प्रभावित है. वहां की 20 लाख से अधिक की आबादी बाढ़ की चपेट में है.

राजधानी पटना के अलावा वैशाली, भोजपुर, लखीसराय, मुजफरपुर, दरभंगा, खगड़िया, सहरसा, भागलपुर, सारण, बक्सर, बेगूसराय, कटिहार, मुंगेर और समस्तीपुर जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. इन जिलों में बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की आठ और एसडीआरएफ की नौ टीमों को लगाया गया है.

इसके अलावा चार एनडीआरएफ की और पांच एसडीआरएफ की अन्य टीमें दूसरे बाढ़ प्रभावित जिलों में पहले से तैनात हैं. प्रभावित इलाकों में 1948 नावों का परिचालन किया जा रहा है. एक लाख 39 हजार से ज्यादा पॉलीथीन शीट और 27 हजार 387 सूखा राशन पॉकेट बांटे गये हैं. इसके अलावा प्रभावित क्षेत्रों में 31 राहत शिविर और 254 सामुदायिक किचेन का संचालन किया जा रहा है.

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